Cancer in Child: कैंसर एक ऐसा शब्द है जो आज भी हमें डराता है। एक वक्त था जब कैंसर के कुछ ही मामले हुआ करते थे लेकिन अब हम अपने आस-पास या अपने ही परिवारों में नजर डालें तो इस बीमारी से हमारा कोई अपना भी जूझ ही रहा है। हैरान करने वाली बात है कि बच्चों में भी कैंसर के आंकड़े चिंताजनक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 0 से 19 साल की उम्र के 4 लाख बच्चे कैंसर का शिकार हो रहे हैं।
भारत की बात करें तो यहां हर साल 50000 नए चाइल्डहुड कैंसर केस के दर्ज किए जाते हैं। आखिर यह सोचने की बात है कि ऐसा हो क्यों रहा है? इसकी सीधी सी वजह है कि आजकल की लाइफस्टाइल। आजकल बच्चे फोन के साथ मस्त और व्यस्त रहते हैं। तो चलिए आज से ही खुद को सुधारने की शुरुआत करते हैं। ताकि आपके बच्चे भूल से भी इस बीमारी की चपेट में न आ पाएं।
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Cancer in Child:जंक फूड का सेवन

आजकल बर्गर, पिज्जा और दूसरे फ्राइड आइटम्स का सेवन बेइंतेहा कर रहे हैं। इनमें सैचुरेटेड फैट काफी मात्रा में होता है। इन चीजों का सेवन करने से बॉडी में केमिकल इनटेक बढ़ता है। रूटीन लाइफ में जिस तरह से बच्चे जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और डिब्बा बंद भोजन को पसंद कर रहे हैं, उससे उनके शरीर में केमिकल इनटेक बढ़ रहा है। हमने बच्चों में जंकफूड की इतनी डाल दी कि अचानक से तो वह खत्म नहीं हो सकती लेकिन इस खाने को रोज न करके हफ्ते में एक बार फिर महीने में एक बार और ऐसी ही धीरे-धीरे करके कम किया जा सकता है।
घर का बना खाना है सुरक्षित

घर का बना हुआ फ्राइड या बेक्ड खाना भी नुकसान नहीं करता। इसकी वजह है कि आप बटर या तेल जो भी आप इस्तेमाल कर रहे हैं वो सेफ फूड होगा। बाजार में खाने को बार-बार गर्म किया जाता है। खासतौर से तंदूरी और फ्राइड खाने को बार-बार गर्म करने से उस पर अनबर्न कार्बन पार्टीकल डवलप हो जाते हैं जो कि कैंसर की एक बहुत बड़ी वजहों में से एक है। आप कोशिश करें कि बच्चों को घर पर ही बाहर मिलने वाला खाना बनाकर खिलाया जाए। बच्चों के मन में यह बात बैठा दें कि वो जो चाहेंगे घर में बनेगा। घर में चीजों के हेल्दी ऑप्शंस आप ढूंढ सकते हैं जैसे कि बर्गर के बन में आप व्हीट वाले बन को चुन सकते हैं। उसकी पेटीज में आप आलू के साथ बहुत सी हेल्दी सब्जी डाल सकते हैं। बाजार में पास्ता मैदा का होता है जबकि घर में आप सूजी और आटे से ही पास्ता तैयार कर सकते हैं। मैदा आंतों में चिपकता है और बहुत बार यह लीवर को खराब कर कैंसर की वजह बन जाता है।
आर्टिफिशियल प्रिजर्वेटिव

बच्चों को क्या बड़ों को भी आजकल एग्जॉटिक डिब्बाबंद फ्रूट्स का बड़ा क्रेज रहता है। इसमें डले हुए प्रिजर्वेटिव्ज कैंसर की वजह बनते हैं। आजकल टी टाइम में लोग अनहेल्दी स्नैक्स का सेवन भरपूर मात्रा में करते हैं। आप कोशिश करें कि बच्चों के साथ उस वक्त में फल खाएं। मौसम के फल उन्हें कभी नुकसान नहीं करेंगे। अगर बच्चों का जूस पीने का मन है तो ताजे फलों का जूस उनके लिए सही रहेगा। वह जितना हरी सब्जी और फल खाएंगे उनमें एंटी ऑक्सीडेंट और मिनरल की कमी नहीं होगी। इसके अलावा आर्टीफिशल कलर्स को उनके खाने में शामिल न करें। क्योंकि इन कलर्स में भी कई ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर की वजह बन जाते हैं।
किचन में फैंसी आइटम्स को कहें न

नॉन स्टिक आइटम आपके किचन में सजे हुए बहुत अच्छे लगते हैं। लेकिन आपको मालूम है कि यह दिखने में जितने अच्छे हैं सेहत के लिए उतने ही नुकसानदायक हैं। इसके अलावा माइक्रोवेव में बार-बार खाने को गर्म करना, किसी भी प्लास्टिक के बर्तन में गर्म करना कैंसर को दावत देने जैसा है। बच्चों के लिए जो भी खाना बन रहा है वो लोहे और तांबे के बर्तन में बने। बासी खाने का सेवन न आप करें और न बच्चों को करवाएं।
बच्चों को रखें एक्टिव
बच्चे जब फिजिकली एक्टिव रहते हैं तो वह ठीक से खाते-पीते हैं। लेकिन मोबाइल के इस दौर में बच्चों की फिजिकल एक्टिवटीज न के बराबर हो गई हैं। कोशिश करें कि बच्चे ऑन ग्राउंड भी खेलें। उनकी जिस भी स्पोर्ट्स में दिलचस्पी है आप उन्हें वह जॉइन करवाएं। वह अगर फिजिकली चार्ज रहेंगे तो हर बीमारी को शुरुआती स्तर पर रोकने की क्षमता उनके शरीर में होती है।
(चाइल्ड स्पेशलिस्ट डाॅक्ट एजाज अहमद से बातचीत के अनुसार)
