इस कार्यक्रम का आयोजन लीगा मेडीकोरम होम्योपैथिका इन्टरनेशनेलिस (एल.एम.एच.आई.), सी.सी.एच. और सी.सी.आर.एच. के साथ साझेदारी में की थी। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस दो दिवसीय कार्यक्रम को अपना समर्थन प्रदान किया था। 10 अप्रैल होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैम्यूल हैनीमैन का 261वां जन्मदिन था, जिसे हर साल दुनियाभर में विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए आयुष के केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, भारत सरकार श्री श्रीपद येस्सो नायक ने कहा कि देश में जल्द ही एम्स के समकक्ष एक होम्योपैथी संस्थान बनाया जाएगा। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले दिग्गजों में मोहम्मद नासिम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, बांग्लादेश सरकार; श्रीमति फोज़िया मंज़ूर, उच्चायोग की काउन्सलर, पाकिस्तान; श्री मुश्ताक आलम, स्वास्थ्य राज्य मंत्री, नेपाल सरकार तथा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं कर्नाटक के स्वास्थ्य राज्य मंत्री शामिल थे।

कार्यक्रम में भारत के 2200 डॉक्टर्स के आलावा 28 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत किया था। इस मौके पर जाने-माने होम्योपैथ एवं एल.एम.एर्च.आइ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ. एस. पी. एस. बक्शी ने ‘होम्योपैथिक क्रान्ति’ पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए कहा ‘‘हमारे लिए बेहद सम्मान और गर्व की बात है कि दो सौ सालों की होम्योपैथिक क्रान्ति के बाद पहली बार भारत में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। उन्होने कहा कि होम्योपैथी में लागत कम है। ऐसे समय में जब भारतीय अपनी आय का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कर रहे हैं, होम्योपैथी चिकित्सा के अन्य विकल्पों की तुलना में किफायती भी है। यही एक कारण है कि होम्योपैथी आज भारत जैसे देश की चिकित्सा प्रणाली में मुख्यधारा के रूप में शामिल हो चुकी है।”

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