Hindi Social Story: अरे, सुबह-सुबह यह क्या लेकर बैठ गए हैं? चाय नाश्ता कर लीजिए देर हो रही है। मुझे खाना बनाने में देर हो रही है।
सुनो,यह मेरी कुछ पॉलिसीयों के कागज हैं यह पांच साल बाद पूरी होने वाली है। ये एफ.डी अगले साल पूरी होने वाली है और यह कुछ इन्वेस्टमेंट है जो मैंने किए थे। जैसे-जैसे पूरे होंगे पैसा नॉमिनी यानी तुम्हारे अकाउंट में आता रहेगा। तुम्हें भविष्य की चिंता नहीं करनी पड़ेगी और यह देखो…
अब बस भी कीजिए फालतू बातों के लिए मेरे पास समय नहीं है। पता है ना आज करेले बनाने हैं?
देवी जी यह खाना पीना तो होता रहेगा। तुम पहले मेरी बात सुनो इस डायरी में मैंने सब कुछ डिटेल में नोट कर दिया है। जब जरूरत पड़े पढ़ लेना ताकि तुम्हें किसी का मुंह न देखना पड़े।
मुझे समझ नहीं आता आपको हो क्या गया है? जब से वर्मा जी के घर से लौटे हैं उलटी सीधी बातें किए जा रहे हैं।
थोड़ा गंभीर होते हुए बोले “वही तो तुम्हें बताने की कोशिश कर रहा हूं। यह बेकार की बातें नहीं है।” बहुत अहम और जरूरी है। वर्मा जी की मिसेज जिन्होंने कभी मुझे नमस्ते के अलावा बात नहीं कि कल फूट-फूट कर रो रही थी। कह रही थी, “वर्मा जी जब तक जिंदा थे तब उनके सामने हाथ फैलाकर पैसा मांग लिया करती थी”।उन्होंने मुझे अनपढ़ समझकर कभी कोई खाता या इन्वेस्टमेंट की जानकारी नहीं दी, जिसके चलते आज एक-एक पाई को मोहताज हो गई हूं। कहते थे “तू क्या जाने रुपया पैसे के बारे में तुझे दिया तो बर्बाद कर देगी”। आज सारा पैसा बच्चों ने हड़प लिया यह मकान भी बेच दिया। वृद्धआश्रम जाने की नौबत आ चुकी है।
अच्छा है हमारे बेटा बेटी है ऐसे नहीं,बेचारी मिसेज वर्मा सुमित्रा बड़े दुखद लहजे में बोली।
बीवी तुम क्या जानो समय अच्छे-अच्छे को बदल देता है इसलिए हमें अपना भला बुरा पहले ही सोच लेना चाहिए। पता नहीं उम्र कितनी लंबी या छोटी है। उसके हिसाब से वित्तीय प्लानिंग हमें कर लेनी चाहिए हालांकि मैं भी वही गलती कर रहा था।” तुम्हें कभी बताया नहीं खैर देर से ही सही आज मैं तुम्हें सब बता रहा हूं” और तुम भी इन बातों को अनदेखा न करना।
आप भी ना शुभ-शुभ बोलिए
भाग्यवान, “मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहना चाहता हूं आज भी और बाद भी ताकि तुम मुझे प्यार से याद रखो न की गालियां दो।”
अच्छा जी! “आप तो बड़े शातिर निकले मगर मैं भी कुछ काम नहीं हूं चलिए रसोई में आपका पसंदीदा करेले कैसे बनते हैं सिखा दूं ताकि कल को मेरे बाद आप मुझे गालियां न दें।”
वाह भाग्यवान, तुम तो बड़ी जल्दी समझ गई।
आखिर बीवी किसकी हूं। सुमित्रा, देवेश जी का हाथ पकड़कर रसोई की तरफ चल पड़ी।
जिंदगी के साथ जिंदगी के बाद भी-गृहलक्ष्मी की कहानियां
