वो पहली मुलाकात-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Wo Pehli Mulakat

Love Story in Hindi: बहता है मन कहीं, कहाँ जानते नहीं
बहता है मन कहीं, कहाँ जानते नहीं
कोई रोक ले यहीं
भागे रे मन कहीं, आगे रे मन चला
जाने किधर जानु ना।।

तरुणा अपनी बालकनी में खड़ी हो, बारिश के मज़े लेते हुए इस गाने को सुन रही थी। उसके हाथ में गर्म चाय का प्याला था। अचानक इस गाने को सुनते ही तरुणा अतीत के सागर में खो गई। हाथों में अदरक वाली चाय की प्याली पकड़े अपने कमरे की बालकनी में खड़े हो वो ऐसी ही एक बारिश का मज़ा ले रही थी कि अचानक एक पक्षी के तारों में उलझने की वजह से उसके हाथ से कप छूट गया और नीचे गिर गया।

वह अभी यह सोच ही रही थी कि कैसे वो उस बेचारे पक्षी को तारों से निकाले कि उसे नीचे से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई, “ओ! मैडम, क्या मेरे मर्डर करने की साज़िश रच रहीं थीं आप। वो तो भगवान का शुक्र है मैं एक इंच दूर था वरना आज मेरा राम नाम सत्य हो जाता।”

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तरुणा ने नीचे वाली बालकनी में झांका। वहाँ एक नया किराएदार आया था। तरुणा झल्लाते हुए बोली, “जान बूझ कर नहीं किया। वो देखो, सामने तार पर वो पक्षी अटक गया है। उसे ऐसी हालत में देखते ही चाय की प्याली हाथ से झूट गई।”

“ओह! क्या मैं आपके घर आ उस पक्षी को तारों के जमघट से निकाल सकता हूँ?” उस लड़के ने कहा।

तरुणा थोड़ी हिचकिचाई, किसी अनजान लड़के को वो अपने घर आने की इजाजत कैसे दे सकती है। आस पास किसी ने देख लिया तो बेवजह दस बातें बनाएंगे। पर पक्षी की जान बचाना ज़रूरी था। इसलिए उसने हामी भर दी।

ऊपर आ उस लड़के ने सबसे पहले अपना परिचय दिया,”मेरा नाम तरुण है। एक हफ्ते पहले शिफ्ट हुआ हूँ। आप…”

“जी, मैं तरुणा। आइए बालकनी इस तरफ है। बेचारा पक्षी कितनी कोशिश कर रहा है तारों से निकलने की। पर कामयाब नहीं हो पा रहा। भगवान ना करे, अगर उसे बिजली का झटका लग गया तो?”

तरुण झट बालकनी की मुंडेर पर चढ़ गया। और फिर ऊपर बनी छोटी सी छजली पर चढ़ कर उसने उस पक्षी को धीरे -धीरे तारों से आज़ाद करना आरंभ किया। पर पक्षी के फड़फड़ाने की वजह से उसके हाथ पर काफी जगह पक्षी के पंखों से घाव बन गये। पर तरुण को अपने घाव की चिंता नहीं थी। उसने बहुत मुश्किल से उस पक्षी को आज़ाद किया और आज़ाद होते ही पक्षी उड़ गया।

तरुण बारिश में पूरी तरह भीग चुका था। अब समस्या थी कि वो नीचे कैसे उतरेगा। तरुणा ने उसे रुकने को कहा और भाग कर पड़ोस से सीढ़ी लेकर आई। उस सीढ़ी के सहारे तरुण नीचे उतर गया।

“तरुणा जी, अगर आप इस सीढ़ी का जुगाड़ पहले ही कर लेतीं तो मुझे इतनी तकलीफ़ ना होती।” तरुण ने मुस्कुराते हुए कहा।

“सॉरी, वो याद नहीं रहा। पक्षी को ऐसे फंसा हुआ देख मैं बहुत घबरा गई थी।” तरुणा ने कान पकड़ते हुए कहा।

तभी तरुणा ने देखा कि तरुण की चोट से लगातार खून बह रहा था। ये देख तरुणा डर गई।

“अरे! आपकी चोट से तो खून बह रहा है। ठहरिए, मैं आपकी चोट पर दवा लगा देती हूँ।” ये कह तरुणा अपने कमरे से दवाइयों का डिब्बा ले आई और तरुण की चोट को रुई से साफ कर उसपर दवा लगाने लगी।

उसने दवा लगाते समय सहसा तरुण की तरफ देखा। वो एकटक तरुणा को ही देख रहा था। इतने में रेडियो पर गाना बजा,

कोई लड़की है, जब वो हँसती है
बारिश होती है छनक छनक छुम छुम
कोई लड़का है जब वो गाता है
चाक धूम धूम, चाक धूम धूम
अरे कोई लड़का है, जब वो गाता है
सावन आता है घुमड़ घुमड़ घूम घूम
चाक धूम धूम, चाक धूम धूम..

दोनों के चेहरों पर इस गाने को सुन एक हल्की सी मुस्कान बिखर गयी। तरुणा ने उसके हाथ पर पट्टी बांध दी।

“मैंने पट्टी बांध दी है, पर आप डॉक्टर को ज़रूर दिखा लीजिए। कहीं कोई घाव ना रह जाए।” तरुणा बोली।

“जी, बारिश रुकते ही…” तरुण अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि उसे लगातार छींके आने लगीं।

तरुणा ने उठ किचन की तरफ जाते हुए कहा,
“लगता है आपको सर्दी लग गई है। इस मौसम में अदरक वाली चाय पीने से सर्दी नहीं लगती। आप रुकें मैं बना कर लाती हूँ।”

दोनों ने लगभग एक घंटे चाय की चुस्की लेते हुए बहुत सी बातें की। बारिश लगभग बंद हो चुकी थी पर उनकी बातें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं।

इसके बाद दोनों अक्सर एक दूसरे से टकरा जाते थे। कभी सीढ़ियों पर तो कभी लिफ्ट में। दोनों को एक-दूसरे का साथ पसंद आने लगा।

एक दिन हल्की – हल्की बारिश हो रही थी। तरुणा चाय का कप हाथ में लिए अपनी बालकनी में खड़ी थी। तभी नीचे की बालकनी से एक दिल रूपी गुब्बारा उड़ता हुआ ऊपर आया। उसपर लिखा था, “आज वेलेंटाइन डे पर क्या तुम मेरी वेलेंटाइन बनोगी – तरुण”

तरुणा ने उस गुब्बारे को अपने हाथ में लिया और उसकी दूसरी तरफ लिखा, “हमेशा के लिए” और उसके धागे को नीचे की तरफ वापस भेज दिया।

वो वेलेंटाइन तरुण और तरुणा का सबसे यादगार दिन था।

आज तीन साल बाद तरुणा को उन पलों का फिर ख्याल आ गया तो उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान उभर आई। वो पहली मुलाकात ही उन दोनों को करीब लाई और धीरे-धीरे दोनों दोस्त से कब प्यार के बंधन में बंध गए पता ही नहीं चला।

तरुणा अपने ख्यालों में खोई हुई थी कि तरुण ने उसे पीछे से आ अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, “पुरानी यादों को अकेले – अकेले ही याद कर रही हो। हमें भी साथ ले लो। हम भी थे उस यादों के सफर में।

तरुणा मुस्कुराते हुए उसके गले लग गयी। आज उसका पहला प्यार उसका जीवन साथी बनकर उसके साथ है। ज़िन्दगी के हर सुख दुख में उसका साथ निभाता है। पहला प्यार बहुत खूबसूरत होता है और पहला प्यार आपके जीवन में आखिरी प्यार बनकर हमेशा रहे, ये किस्मत वालों को नसीब होता है।

“तुम पूरे भीग चुके हो तरुण। चलो कपड़े बदल लो। तब तक मैं अदरक वाली चाय बनाती हूँ।” ये कह तरुणा किचन में चली गई और तरुण कपड़े बदलने। दोनों एक दूसरे को आज भी उतना ही चाहते हैं जितना पहले चाहते थे।

आज दोनों ने चाय पर फिर से पुराने लम्हों को जी लिया।