दिखावे का नकाब-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Very Short Story
Dikhave ka Nakab

Very Short Story: पोती का पहला जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक सुलभा बहन जी।
आज की बर्थडे पार्टी में तो आपने जी भर कर पैसा खर्च किया है।कितना सुंदर आयोजन ,वाह!!सचमुच रौनक लगा दी आज तो आपने।बहुत ही किस्मत वाली है आपकी बहू जिसे रंजीत जैसा सुंदर, समझदार, कामयाब पति और आप जैसे सास ससुर मिले जो लड़का लड़की में कोई अंतर नहीं करते और बहु को भी अपनी बेटी से बढ़कर मानते हैं।आज के जमाने में आप जैसे अच्छे लोग होते ही कहां हैं जो आजकल की मॉडर्न विचारों वाली नकचढ़ी बहुओं के सारे नाज़ नखरे उठाते हैं, उनकी हर छोटी बड़ी ख्वाहिश पूरा कर उनको हाथों पर रखते हैं और उनके अनुसार ही खुद को ढाल लेते हैं।

ज़रूर पिछले जन्म में आपकी बहू ने मोती दान किए होंगे जो इस जन्म में आप जैसे गुणी परिवार में बहू बनकर आने का सौभाग्य उसे प्राप्त हुआ।और फिर आप लोग अनोखी(पोती का नाम) को भी तो अपने जिगर का टुकड़ा समझ कितने नाजों से पालते हैं।आज के समय में इतना प्यार और लाड़ तो लोग लड़कों का भी नहीं करते जितना आप अपनी पोती का करते हैं।सच में धन्य हैं आप लोग!!काश कि, सभी लड़कियों को विवाह के पश्चात आप जैसा भरा पूरा,सभ्य और संस्कारी परिवार ही मिले तो ये धरती किसी स्वर्ग से कम नहीं रहेगी।परंतु आज की नई पीढ़ी की बहुओं को कहां ये संस्कार की बातें पल्ले पड़ती हैं,उनको तो हर बात में बहस कर सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद को ही सही साबित करना होता है।सास ससुर चाहे बहू के लिए कितना भी अच्छा सोच लें,कर लें,यहां तक कि उसके लिए अपना स्वाभिमान तक भूल जाएं,परंतु फिर भी उसे उनमें कमी ही नज़र आती है।उन्हें सिवाय पति को अपने काबू में रखने के किसी और चीज़ से कोई मतलब नहीं होता। सास ससुर तो आज की बहुओं को फूटी आंख नहीं भाते। हे ईश्वर !आज की बहुओं को सद्बुद्धि दीजिए।
सुलभा तारीफ़ों के समुंद्र में लगातार गोते खा रही थी और खुद पर गुमान कर रही थी।उसका सीना खुशी से फूला नहीं समा रहा था।फिर भी बड़े ही बनावटी लहज़े में वह सभी रिश्तेदारों और मिलने जुलने वालों की वाही वाही लूटने के उद्देश्य से बार बार यही कह रही थी कि, बहू के रूप में बेटी भाग्य वालों को ही मिलती हैं,परंतु बेटियां तो सौभाग्य वालों के घर जन्म लेती हैं।चाहे हमारी बहू काम करने में कम होशियार है,परंतु आखिर वह है तो हमारे परिवार की ही सदस्य न। ईश्वर जानता है कि मैंने अपनी बेटियों और बहू शिविका में कभी कोई फ़र्क नहीं किया। बेटियां तो हर मां बाप के जिगर का टुकड़ा होती हैं।
घर के सभी लोग और मेहमान सुलभा और उसके परिवार की तारीफ़ करते नहीं थक रहे थे और बर्थडे पार्टी का जमकर आनंद ले रहे थे सिवाय शिविका के, जिसका पार्टी में बिलकुल भी मन नहीं लग रहा था।वह मानों अंदर ही अंदर रो रही थी और लगातार भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि आज की ये रात कभी खत्म ही न हो।वह 3 माह के गर्भ से थी और मन ही मन बहुत घबराई हुई थी क्योंकि अगली सुबह उसकी गायनेकोलॉजिस्ट के साथ अपॉइंटमेंट थी।
दुनिया के सामने अच्छे बनने का भरपूर दिखावा करने वाली, भलमानसी का नक़ाब पहनने वाली उसकी सास सुलभा जी और दब्बू पति रंजीत उसको जबरन गर्भपात के लिए डॉक्टर के पास ले जाने वाले थे।

शिविका की कोख में फिर से एक कन्या जो पल रही थी।

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