Hindi Kahani
Hindi Kahani

Hindi Kahani: वो लौट रही थी वहीं जहां से भाग आई थी दस साल पहले अपनी शादी के मंडप से। अपना घर छोड़ते समय माता-पिता की इज्जत के बारे में भी जरा सा नहीं सोचा था उसने। आज वो अकेले नहीं अपनी बेटी के साथ अपने माता-पिता के पास जा रही थी। उसकी बेटी ने कभी अपने पिता का चेहरा नहीं देखा था।

प्यार इतना अंधा होता है कि सोचने समझने की शक्ति ही क्षीण कर देता है। कोई छोटी बच्ची तो नहीं थी उस समय… पच्चीस साल की थी… जब उसे अपने बॉस से प्यार हुआ था जो उम्र में उससे करीब आठ साल बड़ा था। पहली ही नजर में उस पर फ़िदा हो गई थी।

स्नातकोत्तर करने के बाद उसने नौकरी करने की इच्छा जताई तो पिता ने बस इतना कहा…” सुचिता बिटिया अब तुम बड़ी हो गई पर बचपना अब भी है तुममें इसलिए ध्यान रखना कि कोई तुम्हारे भोलेपन का लाभ ना उठाए। किसी के बहकावे में मत आना। सिर्फ अपने काम से मतलब रखना। अपने कदमों को बहकने मत देना।”

उसकी मम्मी ने तो साफ मना कर दिया था।
“सुचि को नौकरी करने की कोई जरूरत नहीं है। कहीं कोई ऊंच नीच हो गई तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। हम किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। अब इसकी शादी करवा दीजिए तो हम बेतरनी पार हो जाएंगे। अब तो पढ़ाई भी इसने पूरी कर ली है। नौकरी करनी है तो ससुराल में जाकर ही कर लेगी।”

“पापा सिर्फ साल भर का समय दे दीजिए मैं उसके बाद मम्मी की बात मान लूंगी। आप जहां जिससे मेरी शादी के लिए कहेंगे मैं कर लूंगी। बस एक साल मुझे नौकरी करने दीजिए। मेरे भी कुछ सपने हैं उसे पूरा करने दीजिए… ससुराल वाले पता नहीं मुझे नौकरी करने देंगे या नहीं।”

बड़ी मुश्किल से मां राजी हुई थी।
साल भर बाद कितना कुछ बदल जाएगा इस बात से सुचिता और उसके मम्मी पापा अंजान ही थे।

सामान अपनी सीट के नीचे रखा और बिटिया को अपने सामने वाली सीट पर बिठाया। खिड़की के बाहर उसके पीछे दौड़ लगाते पेड़ों को देखने लगी। यादों का कारवां उसके साथ चल रहा था।

लोकेश को वो इन दस सालों में भी नहीं भूल पाई थी। उसके प्यार में पागल जो थी। वो था ही इतना स्मार्ट और हैंडसम कि लड़कियां उसके पीछे दिवानी बनी फिरती थी पर वो किसी को भाव नहीं देता था लेकिन जब सुचिता पहले दिन ऑफिस आई तभी से लोकेश उसे पसंद करने लगा था।

‘मे आई कम इन सर!’
दोनों की नजरें जब आपस में मिली तो काफी देर तक एक दूसरे के चेहरे से हटीं ही नहीं।
जब प्यून ने दरवाजा खटखटाया तब लोकेश का ध्यान सुचिता के चेहरे से हट पाया।
“यस स्योर कम इन मिस ब्यूटीफुल…।”
वो शरमा गई और उसने अपनी नजरें झुका ली।

साधारण बातचीत और ऑफिस के काम के साथ साथ सुचिता लोकेश के करीब आती गई। वो अपने मां पापा से किया वादा भूल ही गई थी। उसके कदम बहक रहे थे या उसे प्यार हो रहा था या उसके बॉस का उसके प्रति झुकाव उसे अपनी तरफ खींच रहा था… इस बात से वो खुद अंजान थी।

लोकेश हर बात पर उसकी तारीफ करता। उसके काम के साथ उसकी सुंदरता की तारीफ करते नहीं थकता।
सुचिता ने अपनी इतनी तारीफ पहले कभी सुनी ही नहीं थी। उसका मन गदगद हो उठता और प्रेम की पंखुड़ियां खिल उठती।

“तुम्हारी आंखें झील सी गहरी हैं… मन करता है मैं इसमें डूब जाऊं… दिन भर बस तुम्हें देखता रहूं… तुम मेरे पास बैठी रहो। तुम पहले मुझे क्यों नहीं मिली… “

“लोकेश ऐसा मत कहिए… कुछ कुछ होता है… “
वो शरमा कर उसके और करीब आ जाती। कब सर से लोकश बोलने लगी उसे भी याद नहीं।
वो ऑफिस के बाद भी उसके साथ समय बिताने लगी। देर होने पर लोकेश उसे उसके घर तक छोड़ आता। शनिवार रविवार को भी ऑफिस में जरूरी काम है कहकर घर से निकलती और लोकेश के साथ किसी पार्क या शहर से दूर किसी ऐसी जगह जहां प्रकृति का सौंदर्य तो हो लेकिन लोगों की आवाजाही ना के बराबर हो… वो लोकेश के साथ पूरा दिन बिताती।
समय अच्छा बीत रहा था। पहला प्यार जो हो गया था उसको। उसे अपने सपनों का राजकुमार मिल गया था। उनके बीच धीरे धीरे नजदीकियां बढ़ती ही जा रही थीं। घर आकर भी वो उसी से घंटों फोन पर बात करती और मैसेज करती रहती। वो खाना भी ज्यादातर लोकेश के साथ बाहर से ही खा कर आती।

जब भी मम्मी पापा पूछते कि… ” इतनी देर क्यों हुई?” तो वो कहती…
“वर्क लोड ज्यादा है इसलिए ऑफिस में ज्यादा देर रहना पड़ता है।”

लोकेश से जब भी उसके परिवार के बारे में पूछती तो टाल देता।
“क्या करोगी मेरे परिवार के बारे में जानकर। मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हारी हर जरूरत पूरी करता हूं।”

“हां लोकेश यह तो सही है पर आपके घर में कौन-कौन रहता है यह तो आपने कभी बताया ही नहीं जैसे मैं अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूं।”

“हर चीज बताना जरूरी है क्या?” वह झल्ला उठता था जिस झल्लाहट का अर्थ सुचिता समझ ही नहीं पा रही थी ।
नौकरी करते हुए उसको साल भर होने को था उसकी मां शादी के लिए परेशान हो रही थी और उसके बदले रूप को देखकर चिंतित रहा करती थी।
” तुम्हारी सैलरी तो तुम हमारे हाथ में दे देती हो तो फिर तुम्हारे पास इतने महंगे कपड़े, बैग, घड़ी और ज्वैलरी… यह सब कहां से आता है?”

“मम्मी आप क्यों चिंता करती हो। मैंने यही चाहा था कि सालभर अपनी मेहनत की कमाई आप लोगों पर खर्च करूंगी और अपने भी शौक पूरे करूंगी। मेरे काम को देखकर मेरी तनख्वाह डबल कर दी है। मैं बस उन्हीं पैसों से अपने शौक पूरे कर रही हूं।”

लोकेश उसे हमेशा महंगे तोहफे देता। उनके बदले वो जो चाहता वो सुचिता उसे दे देती जिसे वो प्यार समझती पर लोकेश सिर्फ उसके जिस्म से खेल रहा था इसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी।
एक शाम उसका जी मचलने लगा और उल्टियां होने लगी तो उसने लोकेश को बताया…
” उसके पिरियड्स भी मिस हो गए हैं इस महीने।”
“तो मैं क्या करूं? डॉक्टर को दिखाओ।”
“आप मुझसे शादी कब करोगे?”
“जब तुम कहोगी तब कर लूंगा। वैसे तो शादी करके करना क्या है जो जैसे चल रहा है चलने दो।”
नहीं लोकेश शादी करनी जरूरी है… मैं प्रेगनेंट हूं शायद… वैसे भी कब तक हम ऐसे ही मिलते रहेंगे। आप एक बार मेरे मम्मी पापा से हमारे रिश्ते की बात तो कीजिए।”
“हां कर लेंगे अभी कौन सी जल्दी है… जाकर डॉक्टर को दिखाओ… ये तुम्हारा वहम होगा।”
“आप जल्दी अपनी शादी की बात नहीं करेंगे तो मेरे मम्मी पापा मेरी किसी और से शादी करवा देंगे। मैं आपके सिवाय किसी और के बारे में सोच ही नहीं सकती।”
उसका शक सच निकला जब उसने टेस्ट करवाया उसकी प्रेगनेंसी की रिपोर्ट पोजिटिव निकली।
लोकेश ने बच्चा गिराने के लिए जोर दिया।

उसके मम्मी पापा को जब पता चला तो वो‌आग बबूला हो गए।
मां तो अपना सिर पीटने लगी…
” मना किया था बेटी को नौकरी करने की छूट मत दीजिए। देखिए मुंह काला करके आई है। शादी से पहले गर्भवती हो गई।”

उसके पिता ने भी जांच पड़ताल शुरू की और अगले दिन ही बोले…
” बेटी वो लड़का ठीक नहीं है तेरे लिए। मैंने पता किया है उसने तुम्हारे ऑफिस की ही कई लड़कियों को धोखा दिया है। वो पहले से ही शादी शुदा है और दो बच्चों का बाप है। बात मानो उसे भूल जाओ। यह बात किसी को कानों-कान खबर ना हो। जहां हम तुम्हारे लिए रिश्ते की बात कर रहे हैं उसके लिए हां कह दो। जल्द ही शादी हो जाए बस अब एक यही चारा है या इस बच्चे को…”
“नहीं पापा ये मेरे प्यार की निशानी है… इसको मैं कुछ नहीं होने दूंगी। पापा आप झूठ बोल रहें हैं। ऐसा हो ही नहीं सकता। आप नहीं चाहते मैं लोकेश से शादी करूं।”

मां भी अपनी ज़िद पर अड़ी गईं। जबरन उसे शादी के लिए तैयार किया। ऑफिस जाना तो उसने छोड़ दिया था पर लोकेश को मैसेज करती रहती थी और फोन पर भी बात करती।
“मेरी शादी होने वाली है किसी और से आप हाथ पर हाथ धर कर बैठे हैं।”
“शादी के बाद तुम दुबारा ऑफिस ज्वाइन कर लेना फिर हम पहले की तरह मिल पाएंगे। तुम किसी को कुछ नहीं बताओगी तो कोई जान नही पाएगा ये बच्चा किसका है। थोड़े दिन बाद तुम अपने पति को तालाक दे देना उसके बाद हम दोनों को एक होने से कोई रोक नहीं सकेगा। तालाक शुदा बेटी पर मां बाप का रोब भी नहीं चलेगा।”
उसकी बातों से वो कन्विंस हो रही थी।
शादी के लिए हां भी कर दी और तैयार भी हो गई लेकिन अपने गर्भ में पलते बच्चे का ध्यान आते ही उसने निर्णय किया वो ये शादी नहीं करेगी और लोकेश को मजबूर कर देगी उससे शादी करने के लिए।
उसने ऑफिस से लोकेश के घर का पता तो मालूम किया था पर वो पहले कभी उसके घर नहीं गई थी।
शादी वाले दिन अपने कमरे की खिड़की से कूदकर वो भाग गई और लोकेश के घर पहुंच गई। दरवाजा उसकी पत्नी ने खोला। जब लोकेश की सच्चाई पता चली तो उसका अंतर्मन चीख उठा।
“तुमने मुझे साल भर से धोखे में रखा… मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं और मेरी शादी किसी अंजान से हो रही है… तुम शादी शुदा हो फिर भी मुझसे प्यार का झूठा खेल खेला।”

स्टेशन आ गया था… सुचिता ने अपना बैग उठाया और बिटिया का हाथ पकड़ा। ट्रेन से उतरकर कुछ कदम चली ही थी कि उसका पैर मुड़ गया… किसी ने उसे सहारा देने के लिए हाथ बढ़ाया… फटे पुराने मट मैले कपड़े बढ़ी हुई दाढ़ी और कंधे पर झोला लटकाए वो किसी भिखारी सा ही प्रतीत हो रहा था।
भीड़ में भी उन दो आंखों को देख उसने उस हाथ को झटक दिया।
“मम्मा ये अंकल तो हमारी मदद कर रहे हैं। ये नहीं पकड़ते तो आप गिर जातीं।”
“कोई जरूरत नहीं है बेटा हमें दूसरों के मदद की।”

लोकेश की आंखों में आंसू थे। बेवफाई की सजा उसे दस साल पहले ही मिल गई थी। पत्नी अपने दोनों बच्चों को लेकर चली गई… नौकरी छूट गई… पाई पाई के लिए मोहताज हो गया… तालाक के बाद एलिमनी देते देते।
हालत यह हो गई कि रेलवे स्टेशन पर दिन भर बैठे रहता कभी कोई तरस खाकर कुछ दे देता।

“बिटिया आने में दिक्कत तो नहीं हुई।”
सुचिता के पिता स्टेशन पर लेने आए थे। नतनी को देखते ही गोद में उठा लिया।
“पापा मां की तबियत कैसी है?”
“तुमको बहुत याद कर रही है‌।”
“पाप आप दोनों ने मुझे माफ कर दिया।”
“हां बिटिया।” आवाज भर्रा गई थी और आंखें गीली हो गई थी। दस साल बाद अपनी बेटी को देख रहे थे।
सुचिता ने एक घृणित नजर लोकेश पर डाली जो उसे ही काफी देर से देख रहा था और अपने किए की माफी मांगना चाह रहा था। पर जो उसने किया था उसकी कोई माफी नहीं थी।