sandesh
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गूंगी, बहरी, लेकिन बेहद आकर्षक उस युवती ने अपना बुटीक खोल रखा था, जिसमें रेडीमेड कपड़े, सोफा कवर, चादरें, तौलिए आदि के साथ ही महिलाओं के लिए श्रृंगार प्रसाधन भी रखे थे। उसकी छोटी बहन जो मेडिकल दाखिले के लिए तैयारी कर रही थी, अपनी सहेली रमा के साथ अक्सर बुटीक पर आती थी। सहेली आए दिन कुछ न कुछ सामान खरीदती रहती थी। बातों के दौरान उसने बताया कि वह फैशन डिजाइनर बनना चाहती है, पर माँ-बाप उसे डॉक्टर बनाना चाहते हैं। परीक्षा हुई तो बहन की सहेली के पर्चे ठीक नहीं हुए। उसे अनुमान लग चुका था कि उसे मेडिकल में प्रवेश मिलना नामुमकिन है। दो दिन बाद ही छत के पंखे से फांसी लगाकर उसने आत्महत्या कर ली।

गूंगी युवती को बहुत सदमा पहुँचा, उसने अपनी डायरी में लिखा- “प्रकृति ने जिन्हें पूर्ण, स्वस्थ, सुंदर शरीर दिया है, ऐसे मनुष्य भी जीवन की छोटी-मोटी असफलताओं से घबरा कर इतने कुंठित, अवसादग्रस्त, तनावग्रस्त हो जाते हैं कि अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेते हैं। परिस्थितियों का सामना करने का उनमें साहस ही नहीं होता। दूसरी ओर हमारी तरह के विकलांग लोग किसी भी परिस्थिति का सामना करने को तैयार रहते हैं। शायद जीवन संघर्ष का पाठ अपनी अपंगता के कारण बचपन से ही सीखने लगते हैं। किसी का थोड़ा सा स्नेह, सहयोग व प्रोत्साहन पाकर ही हम स्वयं को बहुत सुखी महसूस कर लेते हैं। क्या कभी आपने सुना है कि किसी विकलांग ने अपने जीवन से निराश, कुंठित या तनावग्रस्त होकर आत्महत्या की हो?”

उसने डायरी का यह पन्ना फाड़ा तथा गोंद लगाकर अपने बुटीक के मुख्य दरवाजे पर चिपका दिया।’

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)