samay ka mahatva
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डॉक्टर अमरनाथ झा एक प्रसिद्ध विज्ञान चिकित्सक थे। वह समय के बड़े पाबंद थे। वह पटना की यात्र पर थे। उन्हें आया देख पटना के साहित्यकारों ने एक गोष्ठी का आयोजन किया।

उस गोष्ठी में डॉक्टर झा को मुख्य अतिथि बनाया गया था। डॉक्टर झा ने निमंत्रण स्वीकार लिया था। निमंत्रण स्वीकार करते समय उन्होंने गोष्ठी के आयोजकों से कह दिया था कि निश्चित समय से 30 मिनट पहले ही वह उनके निवास पर किसी को भेज दें।

अगले दिन गोष्ठी प्रारंभ होने से आधा घंटे पहले ही डॉक्टर झा तैयार होकर अपने अवास पर बैठे थे। लेकिन उन्हें लेने आने वाला व्यक्ति आधा घंटा बिलंब से पहुँचा। यद्यपि उसने बिलंब के लिए आते ही क्षमा माँग ली थी लेकिन डॉक्टर झा ने उस गोष्ठी में भाग लेने से स्पष्ट इनकार कर दिया।

वह व्यक्ति बहुत गिड़गिड़ाया कि उनके न जाने से गोष्ठी विफल हो जाएगी। लेकिन डॉक्टर झा नहीं माने और बोले, “देरी से जाकर मैं- लेट-लतीफ कहलाना नहीं चाहता। भले ही आपकी गोष्ठी सफल रहे या विफल… मुझे इससे मतलब नहीं।”

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)