summary: एक पुराना राज़ और फिर जुड़ा दिलों का रिश्ता
दादी की बेरुख़ी प्रियंका के लिए हमेशा एक पहेली रही, पर जब उनकी सख्ती का कारण सामने आया, तो सब कुछ बदल गया। रिश्ते में लौट आया अपनापन।
Sad Story in Hindi: प्रियंका अपने माँ-पापा की आँखों का तारा थी। हर किसी की लाड़ली, समझदार, पढ़ाई में होशियार और दिल से बहुत कोमल। लेकिन उसका अपनी दादी के साथ रिश्ता ऐसा था जिसमें वो कभी अपनापन महसूस नहीं कर पाई। दादी उसके प्रति सख्त थीं, बात-बात पर टोका-टोकी करतीं, और सबसे बड़ी बात, वो हमेशा चाहती थीं कि प्रियंका की शादी जल्द से जल्द तय हो जाए।
दादी को यह डर खाए जा रहा था कि कहीं प्रियंका किसी से प्यार न कर बैठे। उनका मन कई तरह की आशंकाओं से भरा था, और यही वजह थी कि जब उन्हें पता चला प्रियंका किसी लड़के को पसंद करती है और उसी से शादी करना चाहती है, तो उन्होंने पूरे घर में तूफान मचा दिया।
प्रियंका ऐसा कैसे कर सकती है?
तुम दोनों ने सर चढ़ा रखा है इसे।
अभी के अभी सबकुछ खत्म करो, और भी ना जाने क्या-क्या दादी ने प्रियंका को कह डाला।
दादी का गुस्सा इस कदर था कि उन्होंने प्रियंका को ताने देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके कहा हर शब्द प्रियंका के दिल में तीर की तरह चुभता गया। धीरे-धीरे प्रियंका खुद में सिमटती गई। उसने सबसे बात करना बंद कर दिया। घर से बाहर जाना तो दूर पूरे दो महीने तक घर के गेट पर भी कदम नहीं रखा।

माँ-पापा उसकी हालत देख बेचैन थे। एक दिन प्रियंका की माँ उसके कमरे में आईं और प्यार से उसका सिर सहलाते हुए बोलीं – गुड़िया, आज मैं तुम्हें तुम्हारी दादी की सख्ती के पीछे की कहानी बताना चाहती हूँ।
फिर माँ ने वो सच्चाई बताई जो प्रियंका ने कभी सोची भी नहीं थी।
माँ ने बताया जब उनकी शादी को एक साल हुआ था, तब प्रियंका की बुआ दीप्ति ने घर में बताया कि वो एक लड़के से प्यार करती है और उसी से शादी करना चाहती है। दादी ने पहले बहुत विरोध किया, लेकिन फिर जब उन्होंने लड़के और उसके परिवार से मुलाकात की, तो उनका दिल बदल गया। लड़का एक प्रतिष्ठित अस्पताल में डॉक्टर था, पढ़ा-लिखा और सुसंस्कृत। शादी खूब धूमधाम से हुई।
शादी के कुछ महीने तो ठीक बीते, लेकिन सातवें महीने ही छिपी हुई सच्चाई सामने आ गई। दीप्ति का पति उससे सिर्फ जरूरत भर की बात करता था, बाकी समय जैसे उसका अस्तित्व ही न हो।
जब दीप्ति ने खुशी-खुशी उसे बताया कि वह माँ बनने वाली है, तो उसने बिना पूछे ही उसका गर्भपात करवा दिया। दीप्ति जब टूटी हालत में उससे जवाब मांगने पहुँची, तो उसने ठंडे लहज़े में कहा,
मुझे बच्चों से नफरत है। मैं ये ज़िम्मेदारी नहीं उठाना चाहता।

दीप्ति की दुनिया उजड़ गई, और उसी दिन से दादी का दिल भी डर और पछतावे से भर गया। उन्हें लगने लगा, अगर दीप्ति की पसंद में इतना बड़ा धोखा छुपा था, तो कहीं प्रियंका भी ऐसी ही किसी राह पर न चली जाए।
माँ की बातें सुनते-सुनते प्रियंका की आँखों से आँसू बहते रहे। उसे आज दादी की सख्ती के पीछे छिपा प्यार और डर दोनों साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था।
उसी पल दरवाज़े पर धीमे से दस्तक हुई। प्रियंका ने सिर उठाया तो देखा सामने दादी नम आँखें लिए खड़ी थीं। दादी ने धीरे से प्रियंका के कंधे पर हाथ रखा और बोलीं, “बेटा, मैंने तुझसे कभी नफरत नहीं की। बस एक डर मेरे दिल में बैठ गया था कि कहीं तू भी दीप्ति की तरह टूट ना जाए। लेकिन आज समझ आ गया कि प्यार जब सच्चा हो और भरोसा हो, तो डर को पीछे छोड़ देना चाहिए।
प्रियंका कुछ बोल न सकी। बस दौड़कर दादी से लिपट गई। सालों की दूरी एक पल में मिट गई।
दादी ने प्रियंका को आँचल में समेटते हुए कहा,अब जो भी फैसला होगा, हम सब साथ मिलकर करेंगे। मुझे तेरी खुशी से बढ़कर कुछ नहीं चाहिए, और इस तरह घर में जमी सालों की चुप्पी को प्यार और समझदारी ने खुरच कर अलग कर घर से अलग कर दिया।
