बेवफा सनम-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Bewafa Sanam Story
Bewafa Sanam Story

Bewafa Sanam Story: कोमल और मनीष की शादी पूरे रीति रिवाज से संपन्न हुई। लेकिन शक करने की आदत का शिकार मनीष अक्सर कोमल को  उसके मित्र महेश से रिश्ते को लेकर उलहाने देने से नहीं चूकता था। कोमल भी अपने पति के ताने हर दिन सुनकर भी और असहज होकर भी घर में कलह ना हो इस लिए हंसकर टाल देती।
एक शादी समारोह में कोमल और महेश का सामना हो गया। मनीष को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी। 
घर आकर ने गुस्से में
मनीष   ” तुम्हारा यार हैं न’
‘कोमल  ,, ऐसा नही है क्यों आप बात बढ़ा रहें हैं.. 
‘मनीष ,  “नही मिलो जाकर उससे   
 उसी के पास रहो ना?? 
मनीष ,,,  ” आप क्यों गलत सोच रहें हैं,, अपने पति को समझाते हुए कोमल बोली… 
कोमल,, ” कितना भरोसा करता था तुम पर लेकिन आज भी नही भूली हो तुम उसको?? 
मनीष ,, “चीखते हुए बोला|”
रोते हुए कोमल कमरे के अंदर गई और अपने पति के द्वारा इतना अपमानित करने पर अपने मायके के लिए निकल पड़ी। 
जाने कैसे महेश को पता चल गया तो कोमल के पीछे- पीछे हो लिया।  
महेश ने कोमल की राह रोककर कहा ” मैं तुम्हारी मजबूरी समझता हूं। तुम्हारे माता-पिता ने यदि स्वीकृति दे दी होती तो आज हम पति-पत्नी होते ।”
कोमल अपने कालेज के मित्र महेश की बात सुनकर फफक फफक कर रो पड़ी। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। 

अपने आपको संभाल कर वह महेश से बोली ” अब इन बेकार की बातों का कोई महत्व नहीं है। मैं यथार्थ से सामना कर रही हूं। तुम्हें लेकर मनीष के मन में बहुत गलतफहमी है।”
 “महेश को खुद से दूर करते हुए’  कोमल बोली… 
 “महेश ,, ” ऐसा सोचना भी पाप है… 
मैं शादी शुदा हूँ,,,  “चीखते हुए कोमल बोली |”
महेश  “मैं जानता हूं।
वह कॉलेज में मुझसे कटता रहा है। 
उसने हम दोनों के बारे में भ्रामक बातों को हवा दी थी।”
कोमल ” सब समझती हूं। हम दोनों के बीच आपत्तिजनक कुछ भी नहीं रहा। कभी नही रहा
|”लेकिन अब भी मनीष के मन में यदा-कदा शंका का कीड़ा कुलबुला ही जाता है ।”
 गहरी सांस लेते हुए कोमल बोली… 
महेश “तुम्हारे लिए मैंने अभी तक शादी नहीं की। यदि तुम मनीष से तलाक ले लो तो हम नया जीवन शुरू कर सकते हैं।”
कोमल “पागलों जैसी बात मत करो महेश। 
 हम बहुत अच्छे मित्र रहे हैं। हमारी शादी की बात चली लेकिन परिवार को रिश्ता मंजूर नहीं था। इस सच्चाई को स्वीकार करने में ही भलाई है।”
महेश “तुम महिलाओं की यही मजबूरी है। मनीष हमारे विषय में  अनाप सनाप बातें करता है। यह सब सहन कैसे कर लेती हो।”


कोमल ” मनीष बहुत सुलझे हुए पति हैं। धीरे-धीरे उनकी यह गलतफहमी दूर हो जाएगी।”
महेश ” मनीष के शक का कीड़ा कभी मरने वाला नहीं। तुम दोनों का जीवन बर्बाद हो जाएगा।”
कोमल का मन महेश की बात सुनकर थोड़ी देर के लिए विचलित होता है उसको लगता है महेश सही कह रहा है उसके साथ कभी सुख कहा ही मिला है आखिर,,, मुझे भी तो सुख पाने का अधिकार है मेरे इतने त्याग समर्पण का आखिर मनीष ने क्या सिला दिया,, मैं जाहे जितना करू मनीष को गलत ही लगता है यही सोच कर महेश से कुछ बोलने ही वाली थी उतने में कोमल की मन से आवाज़ आती है नही ये गलत है पाप है मनीष जैसा भी पति है सात फेरे लिए हैं उसके साथ वचन दिया है जन्म जन्म का और इतनी जल्दी उसको छोड़ देने का फैसला,, तेरे अपनों को दुःख होगा फिर मनीष ख्याल भी तो रखता है शायद ज्यादा प्यार करता है इस लिए खोने से डरता है.. 
कोमल,,,  ” महेश से बोली “! 
कोमल ” मेरी मनीष के प्रति निष्ठा और समर्पण में कोई कमी नहीं आयी है। मैं हमेशा अग्नि के सामने दिए गए वचनों पर अटल रहूंगी। प्लीज आज के बाद रिश्ते की बात मत करना।”
फिर कभी सामने मत आना की वार्निंग देकर कोमल वापस मनीष के पास लौट गई।
और घर आकर मनीष से माफी मांग कर बोली आप पति हैं आपको सब बोलने का अधिकार है..

Leave a comment