भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
5 साल की नन्हीं रिमी बारिश की बूंदों को अपनी खिड़की से बहुत गौर से देख रही थी, चेरापूंजी के एक छोटे से गांव में रहती थी। दुनिया भर में सबसे ज्यादा बारिश चेरापूंजी में ही होती थी। बारिश की बूंदों की तरह रिमी कभी पटर-पटर बोलती थी। कुछ दिनों पहले एक दुर्घटना ऐसी घटी कि रिमी सदमे में चली गई थी और चुप-सी हो गई थी। अब वह बोल नहीं सकती थी। रिमी न जाने क्या सोच रही थी? तभी उसकी माँ ने उसके हाथों में दूध का गिलास पकड़ाते हुए उससे पूछा, “कहाँ खोया हुआ है मेरा बच्चा?” रिमी ने चौंक कर मां की तरफ देखा। माँ ने उसके गालों पर प्यार से थपथपाया और कमरे से बाहर निकल गई।
रिमी स्वभाव से बेहद शांत थी। बोलने की शक्ति ना होने की वजह से रिमी का कोई दोस्त नहीं था। अपने गाँव के बच्चों को आपस में बात करते, मस्ती करते देख रिमी अकसर उदास हो जाया करती थी। उसके दोस्त उसकी ड्रॉइंग बुक और कलर्स पेन्सिलें थीं। नन्हीं रिमी अकसर अपनी ड्राइंग कॉपी में कुछ न कुछ बनाती रहती। ऐसे ही उस दिन रिमी चित्र बना रही थी तो उसकी आँख लग गई। उसे पता भी नहीं चला। रिमी! रिमी! अपने नाम की आवाज सुन रिमी ने आंखें खोली। आश्चर्य से उसकी आँखें बड़ी हो गई। उसके ड्राइंग कॉपी से तेज रोशनी निकल रही थी और ड्राइंग कॉपी पर उसके बनाए हुए सारे चित्र उससे बातें कर रहे थे। पंखों को फैलाकर चित्र की परी उसके सामने थी, उसके साथ खूबसूरत सफेद खरगोशों का जोड़ा, गिलहरी और गौरैया भी थे। नन्हीं रिमी आश्चर्यचकित सबको देखने लगी। खबसरत सफेद पंखों को फैलाकर परी कमरे में रिमी के सामने इधर-उधर उड़ने लगी फिर रिमी के सामने आकर खड़ी हो गई। रिमी की आँखों में कई प्रश्न तैर रहे थे। परी ने रिमी के माथे को प्यार से चूमा और उसे अपनी बाँहों में भर लिया। खुशी के मारे रिमी की आँखें बंद हो गई।
जब रिमी की आँखें खुली तो उसने अपने को एक खूबसूरत फूलों के बाग में पाया। वहाँ रंग-बिरंगी तितलियाँ उड़ रही थी। रिमी खुशी से झूम उठी। खरगोशों का जोड़ा और गिलहरी इधर-उधर भाग रहे थे। गौरैया भी अपने पंख फैलाए उड़ रही थी। रिमी ने परी की तरफ देखा। परी ने रिमी का हाथ पकड़ा और बाग में टहलने लगी। परी ने रिमी से कहा, “रिमी एक गाना सुनाओ।” रिमी की आँखों में आँसू आ गए। यह देखकर परी ने उसे पंखों से ढक लिया और रिमी के कान में फुसफुसाकर कुछ कहा। नन्हीं रिमी की आंखों में चमक आ गई, उसके होंठ मुस्करा उठे। पूरा माहौल संगीत में हो गया, रिमी एक मधुर गीत गाने लगी। रिमी के मधुर गीत पर बागों में फूल झूमने लगे। गौरैया के पंखों की फड़फड़ाहट तेज हो गई। खरगोशों का जोड़ा और गिलहरी खुशी से इधर-उधर भागने लगे। परी बड़े प्यार से रिमी की तरफ देखते हुए उसका गाना सुनती रही। गाते-गाते भाव-विभोर होकर रिमी ने अपनी आँखें बंद कर ली।
रिमी! रिमी! अपना नाम सुनकर रिमी ने आँखें खोली तो माँ को सामने पाया। उसने आश्चर्य से माँ को देखा फिर ड्राइंग कॉपी पर अपनी नजर दौड़ाई। उसके बनाए हुए सारे दोस्त ड्राइंग कॉपी में छिप गए थे। ड्राइंग कॉपी पर सिर्फ इतना ही लिखा था, “रिमी, अपनी माँ को पुकारो।” रिमी ने आवाज लगाई – माँ! माँ…! बाहर जाती हुई रिमी की माँ हैरान होकर पलटी और दौड़ कर रिमी को अपने बाँहों में भर लिया। माँ की आँखों से आँसू बहने लगे। रिमी ने अपनी नन्हें हाथों से पोंछते हुए कहा- माँ, मत रो। अब मैं तुम्हें बुला सकती हूँ। मैं तुमसे बात कर सकती हूँ। मेरे भी बहुत सारे दोस्त होंगे। अब मैं भी मस्ती कर सकती हूँ। माँ, मैं बोल सकती हूँ। हाँ माँ, मैं बोल सकती हूँ। “हाँ मेरी बच्ची,” कहते हुए माँ ने उसे गले से लगा लिया।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
