Love Short Story in Hindi: बात उन दिनों की है जब नई— नई शादी के बाद पहली बार रौनक विदा होकर अपने पति के साथ दिल्ली गई थी।
एक तो अनजान शहर ऊपर से माता पिता के द्वारा की गई शादी जिसमें उसने शादी से पहले अपने पति से कभी मिली भी नहीं थी।
मन में कई उलझन,थोड़ी झिझक और न जाने कितने सारे सवाल लिए वह दिल्ली पहुंच तो गई थी परंतु एक सवाल उसके मन में बार— बार बिजली की तरह कौंध रही थी।
क्या प्रशांत जी मुझसे प्रेम करते हैं या सिर्फ सामाजिक शादी कर लिए? क्या हमारा साथ भी हमारे माता पिता के तरह ही सात जन्मों का होगा या…नहीं!नहीं,,,मैं भी न क्या सब सोचने लगी हूं कहकर रौनक कामों में लग गई।
इसी तरह चार दिन बीत गया,
आज प्रशांत(रौनक का पति) रौनक से बोला क्यों न हम कही साथ में घूमने चले, तुम्हें भी अच्छा लगेगा।रौनक भी हामी भर दी,फिर दोनों तैयार होकर चल दिए साथ में दिल्ली के भागती दौड़ती मैट्रो में बैठ कर।
रौनक गांव की लड़की थी इसलिए उसने लाल साड़ी,मांग भर सिंदूर और भरी भरी चूड़ियां पहनकर तैयार हुई थीं…हो भी क्या न आखिर नई नवेली दुल्हन जो थी। उन्हें मैट्रो में इस तरह देख कुछ मॉडर्न लड़कियां बार बार हंसकर तंज कसने लगी।कुछ देर तक प्रशांत चुप रहा परंतु अपनी पत्नी को असहज देख उन लड़कियों से बोला…आप लोग पढ़ी लिखी शिक्षित भी हो क्या?लगता तो नहीं है..क्योंकि आप सभी जिस पहनावे का मज़ाक उड़ा रही हैं यह हमारा संस्कार है भले आप ख़ुद को मॉडर्न समझ रही हैं परंतु मैं अपनी पत्नी को इसी रूप में पसंद करता हूं…समझे!आप।
यह सुनकर रौनक के मन में जैसे गुदगुदी सी हो उठी वह मन ही मन सोच में डूब गई,प्रशांत जी कितने अच्छे इंसान हैं वह मेरा इज्जत करते हैं,मुझे पसंद करते हैं तभी तो मेरी बेइज्जती उन्हें अच्छा नहीं लगा..यह सोचते सोचते उस मेट्रो में ही ऐसे खोई प्रशांत के प्रेम में जो उसे अहसास तक नहीं हुआ कि कब स्टेशन पहुंची।आज उसे बहुत ज्यादा खुशी और गर्व महसूस हो रहा था अपने माता पिता के पसंद से शादी करने पर।
मेट्रो में प्रेम-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
