Story in Hindi: विवाह के हर एक मंत्र के साथ लाल जोड़े में लिपटी रोमा का रोम रोम रोमांचित हो रहा था। उसके भविष्य के सपने पूरे होने की उम्मीद जो जाग रही थी।
वो यही तो ख्वाब देखा करती थी कि हर लड़की की तरह उसके भी सपनों का राजकुमार एक दिन आएगा और उसे अपने साथ नई दुनिया में ले जाएगा जहां खुशियां ही खुशियां होगी, वो अपनी जिंदगी अपने मन से जी सकेगी।
पहली नजर में ही रोहन उसे अच्छे लगे थे। रोहन का परिवार के प्रति जिम्मेदारी का एहसास उसको पहली मुलाकात में ही हो गया था।
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रोमा के मन को यही बात रोमांचित कर रही थी कि जो इंसान अपनी मां बहनों का इतना ध्यान रखता है, इतना केयरिंग नेचर का है वो अपनी पत्नी यानि मेरा भी खूब ध्यान रखेगा। मेरी हर जरूरत हर इच्छा को पूरी करेगा।
माता पिता के घर में आर्थिक तंगी के कारण जो इच्छाएं दबी रह गई वो अब शादी के बाद पूरी हो जाएगी।
रोहन बैंक में अच्छी पोस्ट पर काम करता है। उसे कभी पैसों की कोई कमी नहीं होगी और हर तीन साल बाद उसकी पोस्टिंग अलग-अलग शहर में होती है तो नई नई जगह घूमना-फिरना होता रहेगा।
अपनी मां की तरह एक एक पैसे के लिए अपनी हर ख्वाहिश का गला नहीं घोंटना पड़ेगा।
वो जब अपनी शादी शुदा सहेलियों को अपने पति के साथ घूमते हुए देखती कभी किसी मॉल में तो कभी सिनेमा हॉल में तो उसका मन भी करता कि उसे ऐसा पति मिले जो उसकी सब ख्वाहिशें पूरी कर सके।रोहन ऐसे ही लगे थे उसे शादी से पहले हुई कुछ मुलाकातों में।
वो शादी के बाद हनीमून के ख्वाब देख रही थी। वो खुद को रोहन के साथ मूमल की मेड़ी के पास बैठी उसके कंधे पर सिर रखे देखती। रेतीला राजस्थान जहां इतिहास में ढेरों प्रेम कहानियां पनपी हैं उसे हमेशा अपनी तरफ आकर्षित करता था।
कभी सोचती एक नारियल पानी से दो पाइप लगा हम दोनों एक साथ नारियल पानी पीते हुए कितने रोमांटिक लगेंगे, किसी लक्जरी होटल में केंडल लाईट डिनर करते हुए कितना मजा आएगा।
हमेशा अपनी मां और भाई बहनों के बारे में ही सोचती रही उनकी हर जरूरत पूरी करती रही कभी अपने बारे में नहीं सोचा।
फिल्मों के हीरो की तरह ही तो रोहन उसे लग रहा था पहली ही नजर में। वो हकीकत के धरातल से दूर फिल्मी दुनिया में खो गई थी।
अपनी कल्पनाओं में रोमा रोहन के साथ प्रेम सागर में गोते लगा रही थी।
शादी की सभी रस्में पूरी हुई और फिर उसकी विदाई के बाद वो नए घर नए लोगों के बीच फिर से रस्मों रिवाजों को निभाते हुए बुरी तरह से थक गई थी।
रोहन की मां जो व्हील चेयर पर बैठी दूर से ही उसे देख आशिर्वाद दे रही थी, उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी पर रोमा उन्हें ऐसी हालत में देखकर अपने भविष्य की चिंता में डूब गई।
उनका आधा शरीर लकवा ग्रसित था। उसके आसपास उनके रिश्तेदार खड़े थे जिनकी फुसफुसाहट की आवाजें रोमा के कानों का पर्दा फाड़ रही थी।
“बहुरिया बड़ी सुंदर है पर क्या रोहन की मां की सेवा करेगी।”
“हमें तो ना लगे हैं जिज्जी। नए जमाने की लड़की है। कल को दफ्तर जाने की ज़िद्द करेगी। नर्स के भरोसे ही रोहन की मां को जिंदगी भर रहना पड़ेगा।”
“ना जिज्जी खर्चीली होवेगी तो नर्स को भी ना हटा दें और किसी वृद्धाश्रम में ना भेज दें।”
“अरे! हमारा रोहन श्रवण कुमार है। मां की बड़ी सेवा करता है। मौत के मुंह से बचा लिया है उसने अपनी मां को। नर्स के भरोसे सारा दिन ना रहना पड़े तभी शादी की है कि बहुरिया मां की देखभाल करेगी।”
उसकी ननदें उसे घेरे बैठी थी। आस पड़ोस की औरतें मुंह दिखाई के लिए आई हुई थी। घूंघट डाले गर्दन झुकाए झुकाए गर्दन दुखने लगी थी।
सिर दर्द से फटा जा रहा था। मई की गर्मी में इस भारी लंहगे और गहनों से उसका दम घुटने को था।
अब उसकी इच्छा हो रही थी बस अब अपने बेडरूम में जाए यह भारी कपड़े गहनों को उतार कुछ हल्का पहने ।
उसकी सहेली ने उसे एक बड़ी प्यारी सी गुलाबी नाइटी देते हुए कहा था, ” यार! इसमें तू बड़ी सेक्सी लगेगी और जीजू तेरे रंग रूप को देखकर तुझ पर मोहित हो जाएंगे। सबको भूल जाएंगे और तेरे आगोश में समा जाएंगे।”
उसका मन वहां लोगों के बीच से भागकर रोहन के साथ कुछ समय बिताने और हनीमून की योजना बनाने का कर रहा था।
कल सुबह ही वो हनीमून के लिए निकल जाएगी गुलाबी नगरी जयपुर और राजस्थान के जैसलमेर। बहुत ही सुंदर जगह है वो उसने मूमल और महेंद्र की प्रेम कहानी पढ़ी थी तब से ही मूमल की मेड़ी देखने की इच्छा थी।
राजस्थान की टिकट और पांच दिन वहां रुकने के लिए वहां होटल और सारी व्यवस्था भी उसकी सहेलियों ने उसे उपहार स्वरूप दी थी।
इसका जिक्र उसने रोहन से पहले नहीं किया था, वो उसे सुहागरात में सर्प्राइज देना चाहती थी।
वो समय भी आया जब रोमा रोहन के छोटे से कमरे में बैठी उसका इंतजार कर रही थी। सुहागरात की सेज , फूलों से सजा बिस्तर कुछ भी तो नहीं था। जिसकी उसने कल्पना की थी।
एक छोटे से बिस्तर पर पुरानी चादर बिछी हुई थी जो कि कई दिनों से झाड़ी भी नहीं गई थी जिस पर धूल जमीं हुई थी।
कमरे की सफाई कई दिनों से नहीं हुई थी एक तरफ सामान का ढेर रखा हुआ था और एक कुर्सी पर कपड़ों का ढ़ेर टेबल पर जूठे चाय के कप और किताबें बिखरी हुई थी। कमरे के एक कोने में ही पुराना स्कूटर रखा हुआ था।
हे भगवान ये कमरा है या स्टोररूम। ऊपर मकड़ी के जाले देख उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि एक जाल से निकलकर वो दूसरे जाल में फंस गई है। पिता की मृत्यु के बाद घर परिवार को संभालने के लिए बारहवीं पास करते ही उसने नौकरी शुरू कर दी थी।
उसने अपनी चुनरी बालों में लगे पिन से सावधानी से निकाली और उसे एक तरफ रख दिया और जुट गई कमरे की साफ-सफाई करने में। सबसे पहले बिस्तर झाड़ा फिर बेतरतीब पड़े सभी समानों को सलीके से रखा। उस कमरे के पीछे बने स्टोररूम के एक कोने में ही उसे झाड़ू और झोलझाड़न मिल गया था। उसने मकड़ी के जाल हटाए और झाड़ू लगाया।
काफी समय बाद रोहन ने उस स्टोरनुमा कमरे में प्रवेश किया तब तक कमरे की साफ-सफाई कर चुकी थी रोमा।
“आपको कोई दिक्कत तो नहीं हुई रोमा जी। माफ कीजिएगा घर में आए रिश्तेदारों के रुकने के लिए अपना कमरा दे दिया और आनन-फानन में कुछ समझ नहीं आया तो आपको इसी कमरे में ले आया बस एक रात की बात है फिर यह घर तो आपका ही है।”
रोमा ने वो लाल लिफाफा रोहन को पकड़ाया,” यह छोटा सा उपहार मेरी सहेलियों ने हमको दिया है।”
“क्या है इसमें?”
“आप खुद खोल कर देख लीजिए।”
“अरे ये तो ट्रेन की टिकटें हैं, मेरे और आपके नाम की।”
“हां हनीमून की।”
“क्या?
क्या बात कर रहीं हों रोमा जी आप? आपने मुझसे पहले क्यों नहीं पूछा?
वैसे भी मुझे कल से ही ऑफिस ज्वाइन करना है। इस बीच शादी की तैयारी और रिश्तेदारों के आवभगत में ही कई दिनों से छुट्टी पर हूं।
हम चले जाएंगे तो घर पर मां का ध्यान कौन रखेगा?”
“अभी तो इतने लोग हैं और आपकी बहनें भी तो हैं।”
“वो कल ही चली जाएंगी, रिश्तेदार भी कल परसों तक चले जाएंगे। फिर मां अकेली हो जाएंगी।”
इससे पहले कैसे रहतीं थीं आपकी मां??
चीख रहा था रोमा का मन।
ऐसा नहीं था कि वो सास की सेवा से डरती थी पर उसके भी तो कुछ अरमान थे।
रोहन टिकटें फाड़ रहा था और वो कोने में लगे मकड़ जाल को देख रही थी जिसे थोड़ी देर पहले ही तो हटाया था उसने।
