Hindi Story
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Hindi Story: कन्नू ओ कन्नु कहां जा रहा है मायके आई सुषमा ने अपने बेटे कनिष्क को आवाज लगाते हुए पूछा तो कन्नु बोल क्या मां यहां नानी के घर भी आपकी पहरेदारी चलती रहेगी क्या ? गर्मियों की छुट्टियां हैं और यहां लाइट भी कितनी कम आती है कैसे मन लगेगा? मैं बस पड़ोस वाली तन्वी के घर जा रहा हूं चित्रहार देखना उसके यहां कम से कम बैटरी वाला टीवी तो है ना।

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अभी आया ये कहकर कन्नू एक पैर पर कूदता हुआ भाग कर चित्रहार कम देखने अपनी तन्नु (तन्वी) से मिलने जा पहुंचा…

दिल पर कहां जोर चलता है…..

उसका नानी के यहां आने का मकसद हमेशा तन्वी से मिलना , तन्वी और साथ के सभी बच्चों के साथ आम के बाग में मौज मस्ती करना था, बर्फ वाली चुस्की खाना और गर्मियों में जब सब सो जाएं तो आईस पाइस (लुका छुप्पी) खेलना होता था।

जब कभी दोपहर में सभी  बच्चे कैरम खेलते और तन्वी उसमें हार रही होती, तो वह जानबूझकर सामने से कोई गोटी ने निकलता, तन्वी को जीतने देता। तन्वी के जीतने पर उसे असीम आनंद की प्राप्ति होती। 

उधर तन्वी भी  कब से यह प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान लाइट भगा देना, जिससे कि बहाने से कन्नु घर आ सके और वो उसे चुपचाप कनखियों से देख सके। दोनों  की ही किशोर उम्र थी, दोनों ही एक दूसरे को मन ही मन पसंद करने लगे थे, पर ये वो जमाना था साहब ,जहां होठों से ज्यादा आंखें बातें किया करती थी। मन के जज्बात एहसास अक्सर मन में ही छुपा कर रखे जाते थे। घर परिवार और समाज की इज्जत सर्वोपरि थी। आजकल की तरह नहीं की सरेआम प्रेम का इजहार कर दिया जाए, वैसे  भी आजकल का प्रेम टिकता भी कहां है। क्योंकि उसमें वो मीठे  मीठे एहसास, वो दिल से निकले जज्बात और मीठी सी चुभन कम ही पाई जाती हैं।

खैर जैसे ही कन्नु तन्नु के घर आया पहला गाना चित्रहार का दूरदर्शन पर बज उठा। धक धक करने लगा, मोरा जियारा डरने लगा…..

और सचमुच ही दोनों के दिल जोर-जोर से धक-धक कर रहे थे, डर रहे थे, लग रहा था कि जैसे कोई चोरी कर रहे हो।

तभी तन्वी की मां ने आवाज लगाई तन्नु औ तन्नु जरा उठ कर कन्नु भैया को पानी दे दे, बेचारा गर्मी में भागता आया है चित्रहार देखने देख प्यास लगी होगी। पर भैया शब्द सुनकर तन्वी को मन ही मन कोफ्त हो आई, उसे नहीं सुनना था ,नहीं सुना, नहीं उठी, चुपचाप अपना क्रोशिया चलाती रही।

तभी तन्वी की मां आई और तन्वी का कान पड़कर बोली कब से कह रही हूं कन्नु को पानी दे दे, पर चिकना घड़ा हो गई है लड़की, एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देती है, जरा से भी लड़कियों वाले लख्खन नहीं आए हैं…

तन्वी मन ही मन मुस्कुराई और मन ही मन बोली तो क्यूं ना ऐसे बोलो ना मम्मी… कन्नु मानो जैसे किसी ने शहद ही कानों में घोल दिया हो ,मानो मंदिर की कितनी घंटियां कन्नु कन्नु पुकार रही हों।

तन्वी दौड़कर पानी के साथ-साथ मां का बनाया रसना का शरबत भी ले आई।

पर धत तेरी की ….यह क्या हुआ लाइट आ गई, थोड़े अंधेरे में जो दोनों एक दूसरे को देख रहे थे अब कैसे देख पाएंगे क्योंकि हाँल में तो सभी छोटे बड़े लोग बैठे थे, दोनों ने कुछ नहीं कहा पर मन का हाल मन ने पढ़ लिया।

दो-तीन दिन बाद कन्नु का 12वीं और तन्वी का 10वीं का रिजल्ट आया ,दोनों ही फर्स्ट डिवीजन में पास हो गए थे, अब कन्नु को इंजीनियरिंग पढ़ने 5 साल के लिए बाहर जाना था और इस वजह से अब उसका गर्मियों में नानी के घर आना कम ही हो गया था। पर दोनों के बीच कोई मतभेद नहीं आया। दोनों ही अपनी अपनी मंजिल की ओर चलते गये और सही वक्त का इंतजार करते रहे।

तन्वी के हिस्से एक लंबा इंतजार आया और इंतजार करते-करते वो भी ग्रेजुएशन कर चुकी थी। पर कहते हैं ना की जोड़ियां तो स्वर्ग में ही बनती है,इन दोनों के लिए भी ईश्वर ने कुछ ऐसा ही खास लिखा था।

आज  बरसो बाद जब तन्वी अपने ड्राइंग रूम में बैठी मटर छील रही थी, तो कोयल सी तेरी बोली……. गाना सुनकर उसकी कन्नु के साथ बिताई पुरानी यादें ताजा हो गई।  उसने तभी  अलमारी से अपनी मीठी यादों का पिटारा निकाला , कुछ फोटो कुछ गिफ्ट्स और कुछ पत्र थे पर उनमें से सबसे खास वो प्रेम पत्र था जिसे वो ना जाने कितनी ही बार पढ़ चुकी थी पर आज भी उस पत्र में वही प्रेम वहीं कशिश थी ,

उसमें  सबसे ऊपर लिखा था मेड फॉर इच अदर 

डियर तन्नू 

क्या तुम  भी मुझे उतना ही पसंद करती हो जितना कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं,यदि हां तो आज पीले रंग का सूट पहन कर शाम को हाँल में चित्रहार देखने जरूर आना । वैसे तो मैंने तुम्हारी आंखों में भी अपने लिए प्यार देखा है पर फिर भी मुझे पता चल जायेगा कि तुम्हारे दिल में क्या है,तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं।

लेकिन एक और बात मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि  पहले हम दोनों ही अपनी अपनी पढ़ाई पर फोकस करेंगे और पढ़ाई पूरी करने के बाद ही अपने  घरवालों  से हमारी शादी की बात करेंगे।शायद ये इंतजार लम्बा हो लेकिन विश्वास रखना इसका फल बहुत ही मीठा होगा।

तन्वी आगे पढ ही रही थी कि …

तभी बाथरूम से उसका पति गाना गाते हुए निकले, मुझे नींद ना आए मुझे चैन ना आए……

उसने वो प्रेम पत्र छिपाना चाहता लेकिन उसके पति कन्नू यानि कनिष्क ने उसके हाथों से छीन लिया।

तभी पत्र में रखे दो सूखे  गुलाब  गिर गये जिन्हें तन्वी ने झट से उठा कर पास ही रखे लाल रुमाल में रख दिया। तब उसके पति ने आगे का पत्र पढ़ना शुरू किया…

कांटे नहीं कटते ये लम्हे इंतजार के नजरें बिछाए बैठे हैं रस्ते पे अपने यार के …

तुम्हें पीले सूट में देखने के इंतजार में…

तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा कन्नू।

अब दोनों ही मुस्कुरा उठे और बरसों  पुराने अपने मासूम प्रेम को याद कर हंस-हंसकर दोहरे हो गए, क्योंकि लगभग बीस बरस पहले इसे ईश्वर का आशीर्वाद कहें या चमत्कार ना जाने कैसे दोनों ही परिवारों को कन्नु और तन्नु की जोड़ी अच्छी लगी और बिन बोले ही दोनों का मासूम प्रेम पवित्र रिश्ते में बदल चुका था।अब दोनों जीवनभर के एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी थे।