यह बात उस दिन की है जब मेरे पति मुझे देखने अपने परिवार के साथ मेरे घर पर आए थे। मैं और मेरी मां सभी रिश्तेदारों की खातिरदारी में व्यस्त थे। मैं और मेरे पति पहले से एक-दूसरे को जानते थे इसलिए मैं उनके परिवार के सभी सदस्यों को करीब से जानना चाहती थी।
सभी लोग चाय और नाश्ते का लुत्फ उठा रहे थे कि तभी उनके फूफा जी की बहू के बड़े भाई ने मुझसे चाय बनाने का आग्रह किया और साथ ही मेरी मां को वहीं बैठे रहने की हिदायत भी दी ताकि वह मेरी चाय बनाने में मदद न कर सके। मुझे चाय बनानी आती थी लेकिन उस दिन जल्दबाजी और घबराहट में मेरी चाय डार्क चॉकलेट की तरह गाढ़े भूरे रंग की नजर आ रही थी।
मेरी चाय को देखते ही बड़े भाईसाहब कहने लगे कि चाय का रंग कुछ अलग लग रहा है और यह सुनकर मैं शर्म से लाल हो गई क्योंकि मुझे लगा कि सभी लोग यही कहेंगे कि पढ़ी-लिखी और नौकरीपेशा होकर भी मुझे चाय बनानी तक नहीं आती है कि तभी मेरे होने वाले पति ने चाय के कप को अपने होंठों से लगाते हुए कहा कि
चाय बहुत अच्छी बनी है।
उनको मेरे चॉकलेट रंग की चाय की तारीफ करते हुए देखकर सभी लोग चाय पीने लगे और बड़े भाईसाहब ने भी चुपचाप चाय पीने में ही अपनी भलाई समझी। उस दिन मेरे होने वाले पति ने मेरे चॉकलेट जैसे रंग की चाय की तारीफ करके मेरे दिल में अपनी एक खास जगह बना ली। आज भी जब मैं कभी जल्दबाजी में गाढ़े रंग की चाय बनाती हूं तो उस दिन की घटना को याद करके शर्म से लाल हो जाती हूं।
