yah hai samajh kaam aayi
yah hai samajh kaam aayi

एक युवक को जुए की लत लग गई। एक दिन वह अपने एक दोस्त से बुरी तरह हार गया। दोस्त ने उसे प्रलोभन दिया कि इस बार अगर तुम जीत गए तो मैं तुम्हारा सारा सामान तुम्हें लौटा दूँगा, लेकिन अगर तुम हार गए तो मैं तुम्हारे घर आऊंगा और जिस चीज को सबसे पहले छुऊंगा, वो मेरी हो जाएगी। जुआरी लालच में आ गया। लेकिन इस बार भी वह हार गया।

दोस्त ने कहा कि मैं कल तुम्हारे घर आऊंगा। जुआरी ने घर जाकर अपनी पत्नी को सारा मामला कह सुनाया। पत्नी समझदार थी, बोली कि मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ, लेकिन तुम्हें कसम खानी होगी कि आगे से फिर कभी जुआ नहीं खेलोगे। उसने वादा किया।

पत्नी ने सारा बहुमूल्य सामान एक संदूक में भर कर अलगनी पर रखवा दिया। अगली सुबह आते ही दोस्त की नजर अलगनी पर रखे संदूक पर पड़ी। वह समझ गया कि कीमती सामान संदूक में है। उसने तुरंत पास रखी सीढ़ी उठाई और उसे दीवार से लगा कर अलगनी पर चढ़ने लगा।

तभी जुआरी युवक की पत्नी ने उसे रोक दिया और बोली कि भैया, अब आपका ऊपर जाना व्यर्थ है। आप सीढ़ी को पहले छू चुके हैं। इसलिए सीढ़ी लेकर यहाँ से जाइए और फिर कभी इस ओर मत आइएगा।

सारः कई बार दुष्ट को सबक सिखाने के लिए दुष्टता आवश्यक हो जाती है।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)