आकर्षण प्यार का पहला दर्पण-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी: First Love Story
Aakrshan Pyar ka Pehla Darpan

First Love Story: अचानक से जब कोई बेगाना अपना अपना सा लगने लगता है। साथ ही अनेक तरह की भावनाओं का ज्वार जब हमारे अंदर उमरने लगता है। जो हमें विपरीत लिंग के प्रति तेजी से आकर्षित करने लगता है। यही आकर्षण प्यार का पहला दर्पण है, जिसकी वजह से कोई साधारण सा भी मेरे लिए खास हो जाता है। इसे उम्र की नजाकत ही तो कह सकते हैं। ऐसा क्या हो जाता है एक पल में…..शायद इसी का नाम प्यार है, और आकर्षण इसकी शुरुआत। इसी प्यार में मैं भी जाने कैसे पड़ गया?? और यह आकर्षण की डोर मुझे भी खींच ले गई सामने पड़ोस वाली खिड़की पे ………… दिल वही अटक गया।

मनीष वो मनीष हां मां आया…क्या हुआ। मां ने बताया कि सामने पड़ोस में नए पड़ोसी आए हैं। पांडे जी और उनका पूरा परिवार एक बेटा और एक बेटी है ।मैं बोला मैं क्या करूं????????? मां बोली अरे ऐसे कैसे मैं क्या करूं, पड़ोसी हैं तो जान पहचान तो बनानी होगी। ठीक है मैंने कहा…। पड़ोसी अच्छे बहुत ही सौभाग्य से मिलते हैं ।क्योंकि लेनदेन ऊंच-नीच कभी जरूरत पर काम आए एक दूजे के। उस समय मुझे कहां पता था कि ये पड़ोसी मेरे लिए इतने खास बन जाएंगे। कि… बिना उनके यहां गए हुए हैं मुझे चैन ही नहीं मिलेगा। मेरा रूम ऊपर वाले फ्लोर पर था उनका भी ठीक सड़क के आमने-सामने। मैं छत पर जब भी जाता तो एक लड़की सामने चुलबुली सी हरकत करते रहती थी। पता नहीं क्यों???? ये साधारण सी लड़की और उनकी वह हरकतें मुझे अच्छी लगने लगी। मैं उसे नहीं देखता तो बेचैन हो जाता। धीरे-धीरे मैं नोटिस करने लगा कि वह भी मुझे देखती और नजरें झुका लेती है

मां ने कहा पांडे जी के यहां पूजा में हम सभी को चलना है ।मैं तो खुशी खुशी क्यों नहीं…। और इस पूजा से ही हमारे जाने आने की शुरुआत हो गई। मैं कोई काम का बहाना ढूंढते रहता कि किसी तरह उनके यहां जाऊं । पांडे अंकल भी बड़े अच्छे स्वभाव के थे उनकी बेटी सोनम भी। हम दोनों की धीरे-धीरे बातचीत होने लगी ।बिना बातचीत किए हुए एक पल एक दिन भी नहीं रह पाते थे मन तो करता कि हमेशा हम दोनों एक ही जगह रहे । लेकिन ऐसा संभव नहीं था ,और इसी आकर्षण की डोर से खींचते चले गए हम दोनों प्यार की ओर कदम बढ़ाते हुए। जिंदगी की नई आशाओं और नई उम्मीदों को लेकर जिंदगी के नए सफर में…………।

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