gyan aise milta hai
gyan aise milta hai

एक बार एक युवक ज्ञान की लालसा में एक प्रकांड विद्वान के पास पहुँचा और उनसे पूछा कि वह भी उनकी तरह ही प्रकांड पंडित बन सकता है। वह विद्वान बहुत कम बात करते थे। वे उसे समुद्र तट पर ले गए और बिना अपने कपड़े उतारे उसका हाथ पकड़कर समुद्र के पानी में उतर गए। युवक ने समझा कि यह भी ज्ञान प्राप्ति का कोई तरीका है, लेकिन गहरे पानी में उतरने के बाद विद्वान अचानक मुड़े और उसके सिर को पानी में बलपूर्वक डुबा दिया।

लेकिन, जब उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो उसने पूरी ताकत लगाकर विद्वान का हाथ हटाया और अपना सिर पानी से बाहर कर लिया और हांफते हुए गुस्से से बोला कि यह क्या कर रहे थे आप? आपने तो मुझे मार ही डाला था! जवाब में विद्वान ने शांति से युवक से पूछा कि जब तुम्हारा सिर पानी के भीतर था तो सबसे ज्यादा जरूरी वह क्या चीज थी जो तुम चाहते थे?

युवक ने उसी गुस्से में कहा कि सांस लेना चाहता था और क्या विद्वान ने मुस्वफ़ुराते हुए जवाब दिया कि जो छटपटाहट तुम पानी के भीतर सांस लेने के लिए दिखा रहे थे, वैसी ही छटपटाहट जिस दिन तुम ज्ञान प्राप्ति के लिए अपने भीतर पैदा कर लोगे, तो समझना कि तुम्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है।

सार: इच्छाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारी इच्छाशक्ति है।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)