Hindi Funny Story: बात मेरी ननद की शादी की है ।भरे घर में मेहमानों की पूरी रौनक़ थी ।शादी का घर और मेहमान ..मतलब काम और फ़ुरसत का कोई ताल -मेल नहीं ।वैसे तो घर के सभी सदस्य अपने -अपने हिसाब से काम में मदद करवा रहे थे सिवाए मेरे पति के ।मैं उनसे कोई भी काम कहती तो या तो वे काम किसी पर टाल देते या फिर बहुत अनमने मन से वे काम करते , उनके ऐसा करने पर मै बुरी तरह ग़ुस्से से खीज जाती ।उस दिन सभी लोग पूजा के बाद दोपहर को खाने के बाद बैठक में बैठ गये ।हँसी -मज़ाक़ ,गाने -बजाने की अच्छी ख़ासी महफ़िल जम गई थी ।एक -दूसरे की खिंचाई ,पुराने क़िस्से और गानों का दौर शुरू हो गया था ।मैं भी इसमें पूरा आनंद ले रही थी ।तभी मौसम ने करवट ली और आसमान पूरा काले -काले बादलों से ढक गया ।कुछ ही देर में बारिश शुरू हो गई ।मुझे तभी छत पर सूखते हुए कपड़ों का ध्यान आया ।बारिश में सभी कपड़े भीग ना जाये ,इस फ़िक्र में मैंने आव देखा ना ताव ,झट से सामने बैठे अपने पति से ज़ोर से कहा “ सुनो बारिश शुरू हो गई है ,तुम जल्दी से छत पर जाकर कपड़े उतारो ,मैं दो मिनट में आयी ..”
मेरी बात सुन कर सभी ज़ोर -ज़ोर से हंसने लगे ।
अपने कहे हुए शब्दों पर जब गौर किया तो शर्म के मारे मेरा बुरा हाल हो गया । सामने पतिदेव मुझे देख शरारत से मुस्कुरा रहे थे ।आज जब भी बारिश आती है तो पतिदेव मुझे छेड़ते हुए कहते है “ कहो तो छत पर जाकर कपड़े उतारू …” और मैं शर्म से लाल हो जाती हूँ ।
छत पर जाकर कपड़े उतारू क्यूं-हाय मैं शर्म से लाल हुई
