बस एक भूल-गृहलक्ष्मी की कहानी
Bas Ek Bhul

Hindi Kahani: “अरे! बुआजी, आप चिंता क्यों करती है, उमंग मेरी छोटी बहन है। मैं हूं न यहां, उसका पूरा ख्याल रखूंगी।” मुस्कान ने फोन पर अपनी बुआ को आश्वस्त करते हुए कहा।
मुस्कान बैंगलोर में अपने पति उदय और अपने 3 साल के बेटे मोहक के साथ रहती थी। उदय एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था। मुस्कान अपनी छोटी सी गृहस्थी में बहुत खुश थी, आखिर हो भी क्यों न उदय जैसा प्यार करने वाला पति जो मिला था उसे।  “सुनिए उदय, आज मेरी बुआ का फोन आया था। उनकी बेटी उमंग का यहां किसी कंपनी में जॉब लग गया है। बुआ बहुत फिक्र कर रही थी अकेली लड़की है कैसे सब मैनेज करेगी? मैंने बोल दिया कि हम है ना यहाँ तो परेशान होने की क्या बात है। सही किया ना?” मुस्कान ने कहा।
“हां, बिल्कुल सही किया।” उदय ने अपने लैपटॉप पर नजर गड़ा कर कहा।
“आपने सुना कि मैंने क्या कहा?” मुस्कान ने उदय के पास बैठते हुए कहा।
“हां मिसेज उदय मिश्रा, मैंने अच्छे से सुना और आज तो तुम इस लाल साड़ी में कहर ढहा रही हो।” उदय ने रोमांटिक होते हुए गले लगा लिया तो मुस्कान शर्मा गयी तभी पीछे से मोहक की “मम्मा” की आवाज आ गयी।
“ये हमारे लाड़ले साहबजादे हमेशा रॉन्ग टाइम पर ही क्यों एंट्री मारते हैं।” उदय ने कहा तो मुस्कान खिलखिला कर हंस पड़ी।
“क्या हुआ बेटा?” मुस्कान ने कहा।
“मम्मा निनी नहीं आ रही, अभी मेरे सपने में बड़ा सा क्रोकोडाइल आ गया था। आप मेरे साथ सो जाओ न प्लीज।” मोहक ने मासूमियत से कहा। उदय ने थोड़ा मुँह बनाया और मुस्कान अपनी मुस्कान बिखेरते हुए मोहक को सुलाने ले गयी।
“आज उमंग घर पर आ रही है। मंडे से फ्राइडे तो वो पीजी में रहती है। मैं सोच रही हूँ वीकएंड पर उसे यही बुला लेते हैं।” मुस्कान ने कहा।
“पर हम तो आउटिंग पर जाने वाले थे न!” उदय ने कहा।
“तो क्या हुआ? उमंग साथ चलेगी ना।” मुस्कान ने कहा।
रात को जब उदय घर पर आया तो मोहक की खिलखिलाने की आवाज आ रही थी। अंदर मोहक उमंग के साथ खेल रहा था।

Also read: पहली नजर का  प्यार-गृहलक्ष्मी की कहानियां


“देखो पापा, मौसी मेरे लिए नई कार लायी हैं।” मोहक ने उदय को कहा।
उमंग ने उदय को नमस्ते किया और दोनों के बीच फॉर्मल बातचीत हुई।
“उदय तुम्हें पता है उमंग बचपन से ही पढ़ाई और स्पोर्ट्स दोनों में होशियार है। बैडमिंटन के लिए तो इसने नेशनल में क्वालीफाई कर लिया था। ये पनीर की सब्जी खाओ उमंग ने बनाई है, हमारे पूरे घर में फेमस है इसके हाथ की पनीर की सब्जी।” मुस्कान ने कहा।
“वाह, अब तो तुम्हारी दीदी इतनी तारीफ कर रही हैं, खानी पड़ेगी।” उदय ने कहा तो उमंग थोड़ा सा झेंप गयी।
“सच मे उमंग, मानना पड़ेगा तुम क्या कॉरपोरेट में अपना टाइम वेस्ट कर रही हो तुम तो शेफ बन जाओ।” उदय ने कहा तो उमंग हंस पड़ी।
“नहीं नहीं, ये रोज कुकिंग का चक्कर मुझसे नहीं होता, बस कभी-कभार बना लिया काफी है।” उमंग ने कहा।
उस वीकएंड उमंग भी उन लोगों के साथ घूमने गयी। मोहक भी उमंग से बहुत घुल मिल गया था। उमंग अकेली थी तो वीकएंड पर चली आती। मुस्कान के भी इस शहर में बहुत कम दोस्त थे, उमंग के आने से उसे सहेलियों की कमी नहीं खलती। वही उदय भी उमंग के मजाकिया स्वभाव का कायल हो गया।
“क्या कहा, मम्मी को आई सी यू में एडमिट करवाया है?” मुस्कान के चेहरे पर पसीने की बूंदे आ गयीं। उसने उदय को बताया। वीकएंड था तो उमंग भी वहीं आयी हुई थी।
“दी, आप अभी फ्लाइट से निकल जाइये और हाँ मोहक की चिंता मत कीजिये मैं उसे देख लूंगी, वैसे भी मंडे को आफिस में कुछ खास काम नही, मैं ऑफ ले लुंगी।” उमंग ने कहा।
उमंग मोहक से इतनी घुल मिल गयी थी कि मोहक उमंग से ही चिपका रहता, यहाँ तक कि रात को भी उसके पास सो जाता और उमंग भी बच्चे के साथ पूरी बच्ची बन जाती। उदय ने उसकी फ्लाइट की टिकट बनवाई और वो जल्द ही अपनी माँ के घर पहुंच गयी। माँ हार्ट की मरीज थीं। हल्का अटैक था पर भगवान का शुक्र था कि कुछ हुआ नहीं।
“दीदी, आप मोहक को साथ नहीं लायीं, जीजाजी संभाल लेंगे।” मुस्कान की भाभी ने कहा।
“उमंग है ना वहाँ, मोहक तो उससे बहुत घुल मिल गया है, बहुत प्यारी है उमंग, वो रहती है तो मेरा पूरा सहारा हो जाता है और खाली घर कचोटता भी नहीं।” मुस्कान ने कहा तो भाभी के चेहरे के भाव बदल गए।
“दीदी, ऐसे किसी पर आंखे मूंदकर भरोसा करना अच्छा नहीं, वैसे भी आज की लड़कियां बहुत तेज तर्रार होती हैं।” भाभी उठीं और चल दीं।
“ये भाभी भी ना, क्या-क्या सोचती हैं।” मुस्कान ने मन-ही-मन में कहा।
सोमवार को मुस्कान वापिस बैंगलोर पहुंच गयी। मोहक स्कूल था। उदय ऑफिस गए थे और उमंग हॉल में बैठी अपने लैपटॉप पर काम कर रही थी।
“अरे दी, आ गईं आप।” मुस्कान सोफे पर बैठी तो उमंग फट से चाय बना लाई।
“कैसी हैं मामीजी अब?” उमंग ने कहा।
“बस ठीक हैं, शुक्र है माइनर अटैक था, कल छुट्टी मिल जाएगी। सॉरी मेरी वजह से ऑफिस मिस हुआ तुम्हारा।” मुस्कान ने कहा।
“क्या बात करती हो दी, चलो दी अब मैं चलती हूं।” उमंग ने कहा।
“क्यों, रुको ना, शाम को तुम्हारे जीजू छोड़ आएंगे। डिनर कर के जाना।” मुस्कान ने कहा तो उमंग रुक गई।
शाम को डिनर के बाद उदय उमंग को छोड़ कर आ गए। आते हुए उदय को काफी देरी हो गयी।
“इतनी देरी कैसे हो गयी।” मुस्कान ने कहा।
“वो गाड़ी खराब हो गयी थी रास्ते में।” उदय ने कहा।
अचानक से न जाने क्यों मुस्कान के जेहन में भाभी की वो बात कौंध गयी। “नहीं नहीं, ये क्या सोच रही है वो।” मुस्कान ने खुद को ही कहा।
रात को उदय ने मुस्कान को अपने बाहों में भरते हुए कहा “पता है तुम बिन मेरा बिल्कुल मन नहीं लगता, अधूरा सा हो जाता हूँ मैं, पता है घर खाली हो जाता है तुम्हारे बिना, कभी यूहीं छोड़ कर तो नहीं जाओगी न मुझे, वादा करो।” उदय ने कहा।
“ये क्या सवाल है?” इस सवाल से मुस्कान के चेहरे पर हंसी आ गयी।
“तुम वादा करो।” उदय ने कहा तो मुस्कान ने अपना हाथ उसके हाथों में थमा दिया।
उमंग का आना-जाना यूं ही लगा रहा। अब तो उमंग नहीं आती तो उदय खुद ही उसे जाकर ले आते। उमंग उस घर का हिस्सा बन गयी थी।
“तुम उमंग से सीखो कि जिंदादिल होना किसे कहते है, मैं कितना कहता हूँ तुमसे थोड़ा बाहर जाओ, लोगों से घुलो-मिलो पर नहीं।” उदय ने कहा।
“देखो पतिदेव, मेरा घर संसार तो सब आप हो और ये आपकी बाहों का घेरा ही मेरी दुनिया है।” मुस्कान ने कहा और मुस्कुरा दी।
आज स्कूल से फ़ोन आया कि मोहक को लेने के लिए उसे जाना पड़ेगा। उसको कुछ सामान लेना था तो वो पहले मॉल चली गई। वहाँ जो उसने देखा तो उसके होश फ़ाख्ता हो गए। उमंग का हाथ उदय के हाथ में था और दोनों कॉफी पी रहे थे। उसका दिमाग सुन्न हो गया वो भाभी की बात उसके कानों में गूंज गयी। उसने देखा पार्किंग में उदय ने उमंग को गले से लगाया, आगे उसकी देखने की हिम्मत नहीं हुई। वो जैसे-तैसे मोहक को स्कूल से घर ले कर आई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आँखों के सामने इतना बड़ा धोखा उसे दिया जा रहा है और वो खुद ही जिसने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। शाम को उदय घर आया।
“उदय आज देर हो गयी।” मुस्कान ने कहा
“हाँ, फ्राइडे था तो मीटिंग थीं, चलो इस वीकएंड सिटी से बाहर चलते हैं और हाँ उमंग को भी फ़ोन कर दो, चलो मैं ही करता हूँ।” उदय ने कहा और फ़ोन ले कर चला गया।
मुस्कान के दिल पर हजारों छुरियां चल गईं। उसके जी में आया कि वो बोल दे कि वो मीटिंग क्लाइंट के साथ थी कि उमंग के साथ उसे सब पता है। क्या कमी थी उसके प्यार में, टूट कर चाहा था उसने उदय को और आज उदय। धोखा दे दिया था उदय ने उसे, उसके प्यार को। वादा किया था उदय ने…. साथ निभाने का तो कैसे भूल गए वो अपना वादा? उसकी बस एक ही भूल थी कि उसने उदय और उमंग पर आंख मूंद कर भरोसा किया। ये सोचकर उस के आंसू रोके न रुके।
“अरे क्या हुआ? ” उदय ने पूछा तो मुस्कान “वो प्याज काटने की वजह से हो गया” का बहाना बना बाथरूम में चली गयी।
अगले दिन उमंग आयी तो मुस्कान का व्यवहार पूरा बदला था, बाहर जाने का प्लान कैंसिल हुआ तो उन्होंने डिनर का प्लान बनाया। मुस्कान बेमन से उनके साथ गयी। उसके दिमाग में यही चल रहा था वो क्या करेगी कैसे रहेगी उदय के बिना, क्या होगा उसका? एक तलाकशुदा औरत को समाज किस नजर से देखता है, क्या वो जानती नहीं और मां ! वो तो मर ही जाएंगी। भाभी ने सही कहा था मैं ही बेवकूफ थी जो मैंने अपनी बसी बसाई गृहस्थी उजाड़ दी। वो खुद को ही उस दिन के लिए कोस रही थी जब उसने उमंग को अपने घर पर बुलाया। उसके मन में आ रहा था कि उमंग के चेहरे पर एक तमाचा जड़ दे।
“मुस्कान, कहाँ खोई हो। वेटर पूछ रहा है क्या लोगी तुम” उदय ने कहा।
“हां, नंबर 24।” उसने वेटर को कहा।
“मुस्कान तुम तो शनिवार को नॉनवेज नहीं खाती न।” उदय ने कहा।
“पर अब सब बदल गया है।” मुस्कान ने कहा। एक दिन में उसकी खुशहाल जिंदगी में ग्रहण लग गया। कल तक कितनी खुश थी वो जब तक उसने उन दोनों को साथ नहीं देखा था, नहीं रहेगी वो उदय की जिंदगी में अब।”
तभी उनकी टेबल पर कोई आ कर बैठा, उदय ने उससे हाथ मिलाया।
“मुस्कान दी, इनसे मिलो….ये है निशांत।” उमंग ने कहा।
“हूँ।” मुस्कान सिर्फ इतना बोली।
“दी,आपको कुछ बताना था,वो…… मैं और निशांत एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, पर मम्मी-पापा को तो आप जानती हैं, वहीं निशांत के पेरेंट्स भी ये नहीं चाहते थे लेकिन कल जीजू यहाँ मेरे और निशांत के साथ आए और निशांत के पापा-मम्मी से बात की तो वो मान गए। थैंक गॉड, मैं और निशांत इतने परेशान थे कि न जाने अब क्या होगा पर जीजू ने न सिर्फ निशांत के पापा को बल्कि मेरे पापा को भी समझाया। दी, माँ अभी भी बहुत गुस्सा है, अब प्लीज प्लीज प्लीज….ये जिम्मेदारी आपकी ….माँ को आप मना लो ना।” उमंग ने कहा।
इस एक पल में मुस्कान को लगा कि मानों किसी ने उसकी जिंदगी उसे वापिस कर दी हो। उसके शरीर मे एक नई जान डाल दी। क्या-क्या सोच रही थी वो……. हे भगवान, उसने ईश्वर को लाखों धन्यवाद दिया। उसे कुछ समझ नहीं आया तो उसने उमंग को गले लगा लिया।
“उमंग, मैं सच मे तेरे लिए बहुत खुश हूँ और तू चिंता मत कर, मैं बुआजी से बात कर लुंगी।” मुस्कान ने कहा तो उमंग ने उसे गले लगा लिया।
निशांत और उमंग को ड्राॅप कर दोनों घर आए, मोहक नींद में था। उसे उदय ने बेड पर लिटाया । वो जैसे ही पलटा उसे मुस्कान ने कस कर गले लगा लिया। उदय ने पूछा क्या हुआ?
“कुछ नहीं बस ये बताना था कि मैं आपसे बहुत बहुत बहुत प्यार करती हूं और आपके बिना मेरी जिंदगी बिल्कुल अधूरी है।” मुस्कान ने कहा।
“पर मैं तो यही हूं ना तुम्हारे पास।” उदय ने मुस्कान के चेहरे पर आई लटों को हटाते हुए कहा।
“हां, एक पल के लिए लगा मुझसे दूर हो गए हो बस ऐसे ही रहना मेरे पास हमेशा मेरे साथ, वादा।” मुस्कान ने कहा तो उदय ने उसे अपनी बाहों में भींच कर कहा
“पक्का वाला वादा।” और दोनों प्यार से एक दूसरे की आगोश में समा गए।