अजय ने घर पहुंचकर आज की सारी घटना अपने पिता को बताई। दीवानचन्द ऊपर से नीचे तक कांप गए। बोले, ‘यह तूने अच्छा नहीं किया मेरे बेटे। अब चन्दानी हमें जीवित नहीं छोड़ेगा। वह कोई न कोई घटना उत्पन्न करके हमें अवश्य जान से मार डालेगा। उससे बच निकलना शेर की मांद से बच निकलने के बराबर है।’

‘हमें उसके सहारे नहीं, अपने सहारे जीवित रहना चाहिए।’ अजय ने अपनी मजबूत बांहों को आगे करते हुए सख्ती के साथ मुट्ठी बांधते हुए कहा, ‘हमारी इच्छा के विरुद्ध वह हमसे कोई काम नहीं ले सकता।’

‘बेटा,‘ दीवानचन्द ने कहा, ‘तू जवान है, परंतु मेरी तो सारी आयु ही उसके साथ काम करते निकल गई। मैं जानता हूं वह कितना भयानक व्यक्ति…’

सहसा फोन की घंटी बजी। दीवानचन्द कांपकर इस प्रकार रुक गए, मानो उन्होंने चन्दानी को अपने सामने खड़े देख लिया हो। उन्होंने फोन उठाया। बोले, ‘हैलो,‘

‘…’

अजय समझ नहीं सका कि उधर से क्या आवाज आ रही है, परंतु उसने देखा कि उसके पिता का चेहरा कुछ सफेद पड़ गया है। आगे बढ़कर उसने अपने पिता से फोन ले लेना चाहा, परंतु तब तक दीवानचन्द कान से फोन हटाकर रख रहे थे। फोन कट चुका था।

‘किसका फोन था?’ अजय ने तुरंत पूछा।

‘चन्दानी का।’ दीवानचन्द ने कहा, ‘आधे घंटे में मुझे उसके सामने उपस्थित होना है।’

‘आप नहीं जाएंगे। आप अब कभी भी वहां नहीं जाएंगे।’ अजय ने कहा, ‘वह बदमाश अवश्य आपसे रंधीर का बदला लेना चाहता होगा।’

‘बदला लेना होता तो मुझे क्यों बुलाता? तुझे नहीं बुलाता?’

‘फोन पर बुलाने का कारण नहीं बताया?’ अजय ने पूछा।

‘तू तो जानता है कि फोन पर वह केवल आज्ञा देना जानता है और कोई बात नहीं करता।’ दीवानचन्द ने उसे समझाया, ‘मुझे जाने दे बेटा। मैं उसे समझा-बुझाकर इस मामले को समाप्त करने का प्रयत्न करूंगा। उसके बाद यदि हमें यह गैंग छोड़ना ही है तो हम सदा के लिए यहां से बहुत दूर चले जाएंगे।’

अजय ने कोई उत्तर नहीं दिया। वह अपने बल पर चन्दानी के गिरोह को छोड़कर इसी शहर में रहना चाहता था। वह इस शहर को छोड़कर कैसे जा सकता था, जहां उसके दिल की धड़कन बसी हुई थी- अंशु।

हां, उसके पिता इस शहर को छोड़कर चले जाएं तो अच्छा है। वह उनसे मिलने के लिए कभी-कभी यहां से उनके पास जा सकता है।

दीवानचन्द चले गए तो अजय एक कुर्सी पर धंसकर सिगरेट पीते हुए एक बार फिर अंशु के विचारों में खो गया। अंशु के लिए वह जितना सोचता, दिल की मिठास उतनी ही बढ़ती जाती थी।

अंशु इस समय क्या कर रही होगी?

आज की सारी घटना उसने अपने मम्मी-डैडी को रो-रोकर सुनाई होगी। उसके डैडी अब निश्चय ही रंधीर के विरुद्ध बहुत कड़ी कानूनी कार्यवाही करेंगे। कौन बाप अपनी बेटी का इतना बड़ा अपमान सहन कर सकता है।

दीवानचन्द को गए हुए काफी समय हो गया तो अजय को उनकी चिन्ता होने लगी। चन्दानी ने उसके पिता के साथ जाने क्या व्यवहार किया हो सहसा फोन की घंटी बजी। अजय ने रिसीवर उठाया। बोला, ‘हैलो?’

‘आधे घंटे में ताजमहल होटल के सामने मिलो। रमन तुम्हें पिकअप कर लेगा।’ आवाज चन्दानी की थी। उसने आज्ञा दी थी।

अजय आवाज पहचानता था। उसने बहुत दृढ़ स्वर में कहा, ‘तुम भूल रहे हो कि मैंने तुम्हारा साथ छोड़ दिया है। मेरा अब तुमसे कोई संबंध नहीं रहा।’

‘तुम हमारा साथ कभी नहीं छोड़ सकते…और हम तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।’ चन्दानी के स्वर में दृढ़-विश्वास था। उसने कहा, ‘तुम भी भूल रहे हो कि इस समय तुम्हारे पिता हमारे बंदी हैं। यदि तुमने हमारा साथ छोड़ने का प्रयत्न किया तो हम तुम्हारे पिता को…’ चन्दानी का स्वर रुक गया। उसके स्थान पर एक चीते के गरजने का स्वर गूंजा।

अजय जानता था कि चन्दानी ने दो चीते पाल रखे हैं। अपने गद्दारों को वह इन चीतों के ही आगे डालकर दंड देता है। चीते जीवित व्यक्ति को दांतों तथा पंजों से टुकड़े-टुकड़े करके खाने में बहुत रुचि लेते हैं।

अजय के हाथ में रिसीवर कांप गया।

जारी…

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