पिछले 3-4 दिनों से छत पर खड़ी लड़की और सड़क से गुजरते एक लड़के के बीच आत्मीय रिश्ता बन गया था। आज उस लड़के ने हाथ से इशारा करके उस लड़की को नीचे आने के लिए कहा, तभी वहां पर घात लगाए 3-4 आवारा लड़कों ने हमला बोल दिया, ‘हमारे इलाके में ऐसी वाहियात हरकत, छोड़ेंगे नहीं।
‘अरे भाई, छोड़ दो मुझे। मैं वैसा नहीं हूं। लड़के ने कहा। लेकिन वह उसे तरह पीटने लगे। शोर-शराबा सुन भीड़ इकट्ठा हो गई, लड़की के घरवाले भी आ गए। ‘चचा जान, यह हमारी अमरीन को 3-4 दिनों से चोरी-छिपे देख रहा था। वह तो आज इशारा करते हुए पकड़ लिया।
‘चाचाजी, उसे बहन मानता हूं मैं। वह गिड़गिड़ा कर बोला। ‘बहन! लड़के हंसने लगे और उसे फिर पीटने लगे। उसे पिटता देख अमरीन से ना रहा गया, ‘यह सही कह रहा है। इसने कभी मुझे गलत नजरों से नहीं देखा। इसकी निगाहों में पाकीजगी और चेहरे से झलकती मासूमियत से मुझे लगा जैसे इससे मेरा कोई गहरा रिश्ता है। ‘अब घुमा फिरा कर बातें ना बनाओ, अपने आशिक को बचाने की खातिर, एक लड़का मुस्करा कर बोला। सुनकर युवक दहाड़ कर बोला, ‘खबरदार, जो आगे एक भी गंदा लफ्ज मुंह से निकाला। जबान खींच लूंगा। ‘एक तो चोरी, ऊपर से सीना जोरी। तू हमारे मुहल्ले की लड़की को छेड़े और हम चुपचाप तमाशा देखते रहें, कहते हुए सभी उस पर पिल पड़े।
उसके बगल में लटके थैले को खोलते हुए एक लड़का बोला, ‘जरा हम भी तो देखें यह मजनू अपनी लैला के लिए क्या तोहफा लेकर आया है? थैले में एक बहुत सुंदर राखी और एक खूबसूरत गिफ्ट पैक था, जिस पर कलात्मक शब्दों में लिखा था ‘मेरी छोटी बहन के लिए।
देखकर लड़का बोला, ‘अब यह नया ड्रामा। यह पहले से ही इंतजाम करके चलता है, वैसे तो आशिकी, पकड़े गए तो भाई-बहन। ‘उस्ताद, यह तो वही हुआ, दिन में भैया रात में सैंया, दूसरे लड़केने कहा तो सभी बेहूदे हंसने लगे। ‘खामोश, अमरीन के पिता रहमान जब जोर से बोले तो वह लड़के चुप हो गए।
उन्होंने उस युवक से पूछा, ‘बेटा तुम कौन हो?, क्या नाम है तुम्हारा और किस मकसद से यहां आए हो? इतने सारे सवाल सुनकर भी वह घबराया नहीं, बोला, ‘पहले एक गिलास पानी पिला दीजिए, फिर बताता हूं। पानी पीकर वह बोला, ‘मेरा नाम कृष्णमोहन है… ‘…तो यह हिन्दू है और हमारी कौम की लड़की को छेड़ता है। उसकी बात पूरी होने से पहले वह उसे मारने के लिए आगे बढ़े लेकिन रहमान ने उन्हें रोक दिया। ‘बेटे, तुम बोलो।
‘मेरी छोटी बहन पल्लवी की मौत पिछले महीने ही हुई है। उसे मैं अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था। मैं अपने काम के सिलसिले से जब दिल्ली जा रहा था तब उसने कहा था, ‘भैया, इस रक्षाबंधन पर आप मेरे लिए दिल्ली के चांदनी चौक से गुलाबी सूट लेकर आना। मैंने आपके लिए बहुत सुंदर राखी खरीदी है। जब मैं दिल्ली से लौटा, उसी दिन सड़क दुर्घटना में वह चल बसी। मैं बदहवास इधर-उधर भटकने लगा। एक दिन मैंने बाजार में अमरीन को देखा। वह हूबहू पल्लवी जैसी दिखती थी। मैं उसका पीछा करते-करते यहां तक आ पहुंचा।
आज रक्षाबंधन है, मैंने सोचा पल्लवी वाली राखी अमरीन से बंधवा लूंगा और वह सूट उसे दे दूंगा। यह सुनकर रहमान की आंखें नम हो गईं और अमरीन के आंसू बहने लगे। अमरीन को आंसू बहाते देख लड़के हंस पड़े, ‘कितनी बढिय़ा स्टोरी बनाई है इसके आशिक ने। लेकिन अमरीन याद रखो, हम इस मुहल्ले के हैं और तुम्हारी हिफाजत करना हमारा फर्ज है। ‘हिफाजत, तुम करोगे मेरी शिराज? सुबह-शाम भद्दे-भद्दे इशारे करते हो मुझे, अमरीन व्यंग्य से बोली। ‘और हां, अरबाज तुम? वह दूसरे लड़के की तरफ मुखातिब हुई, ‘तुम तो मुझे कितने अच्छे मैसेज भेजते हो। पढ़ाऊं सभी को। जैसे ही उसने कहा, अरबाज की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। वह तीसरे लड़के से बोली, ‘इरफान, आप तो मुहल्ले के सबसे शरीफ हो। तभी तो मुहल्ले की हर लड़की को लिफ्ट देने के लिए तैयार रहते हो। इंकार करने पर झूठे इलजाम लगाते हो। तुम्हारी इस फितरत से मुहल्ले की सभी लड़कियां वाकिफ हैं।
सुनकर इरफान की भी बोलती बंद हो गई। अमरीन ने कृष्णमोहन को राखी बांधनी चाही तभी भीड़ ने उसे रोक दिया, ‘तुम इस लड़के को राखी नहीं बांध सकती। ‘आखिर क्यों नहीं बांध सकती राखी? ‘क्योंकि रक्षाबंधन हमारा त्यौहार नहीं है। ‘रक्षाबंधन किसी भी धर्म का हो लेकिन असली त्यौहार तो भाई-बहन के रिश्ते का है। कृष्णमोहन मेरा भाई है और मैं राखी बांधूंगी। अमरीन राखी बांधने को हुई तभी भीड़ चिल्लाई, ‘रहमान मियां, रोको अपनी लड़की को। यह नहीं मानेगी तो तुम्हारा हुक्का पानी बंद करवा देंगे। बेटियों की शादियां मुश्किल हो जाएगी, सोच लो। ‘अरे, इसे राखी बांधने दो। भाई-बहन का प्यार है, इसमें हुक्का-पानी कहां से आ गया। रहमान मियां बोले। ‘रहमान मियां, हम खूब समझते हैं। यह दिखावा है, असल में कहानी कुछ और है। ‘आप लोग जो समझें, समझते रहें मुझे अपनी बेटी पर भरोसा है। कहते हुए वह अमरीन से बोले, ‘बेटा, घर चलो वहीं राखी बांधना और सेवइयां खिलाना।
जैसे ही कृष्णमोहन चलने को हुआ तभी भीड़ ने उस पर हमला बोल दिया। उसे तब तक नहीं छोड़ा जब तक उसका दम नहीं निकल गया। अमरीन और रहमान कुछ न कर सके। पुलिस आई, भीड़ ने सामूहिक बयान दे दिया, ‘इस लड़केने मुहल्ले की लड़की के साथ बलात्कार की कोशिश की थी। …और एक पवित्र रिश्ता बनने से पहले ही खत्म हो गया।
