आदतें बदली जा सकती हैं –
भोजन को पोष्टिक बनाने के लिए व बच्चों में भोजन की रूचि बढ़ाने के लिए हमें कुछ आदतें बदलनी होंगी जिनके लिए कुछ उपाय करने होगें जो निम्न हैं-
-दूध को शाकाहारियों का रक्षक भी कहा जाता हैं। सादा दूध देना बंद करें उसमें कोई फ्लेवर डाल दें। अगर बच्चा छोटा हो तो दूध को दलिया,सूजी की खीर आदि में मिलाकर दें। बी-प्रोटीन या पैडीश्योर जैसे प्रोटीन सप्लीमेंट भी पानी या दूध में दे सकते हैं। पाउडर की उचित मात्रा मिलाएँ (पानी में 4-5 चम्मच) वरना खास फायदा नहीं होगा।
-जूस व कोल्ड ड्रिंक आदि न दें और अगर देना भी पड़े तो उसमें थोड़ा पानी मिलाकर दें। शेक, टॉफी व चॉकलेट दिन मे एक बार से ज्यादा न दें और कोशिश करे कि एक दिन में तानों मीठी चीजें एक साथ ना दें ।
-बिस्कुट, बर्गर, पिज्जा व चिप्स आदि ठोस पदार्थ दे सकती हैं लेकिन हर रोज इन्हें खिलाने से बचें।
ये सभी तरल पदार्थ पेट में जगह लेने के बाद भूख मार देते हैं क्योंकि यह अधिक लंबे समय तक पेट भरा रखता है।
माँ के लिए विशेष निर्देश –
जबरन न खिलाएँ यह बहुत जरूरी है। उसके सामने न कहें कि ‘खाने के लिए तंग करता है’ या कुछ नहीं खाता। दूध बंद करने से व जबरन खिलाने की प्रक्रिया रोकने से थोड़ा सा भी फायदा हो तो सच्चे दिल से तारीफ करें चाहें वह वास्तविक सुधार से भी ज्यादा हो। चाहे बच्चा भूखा ही क्यों न हो, जबरन न खिलाएँ । इसके अलावा अगर बच्चा बहुत कम खाना खाता है तो आप मक्खन व तले-भुने भोजन के रूप में वसा की मात्रा बढाएँ जिससे कैलोरी की मात्रा बढ़े। खाने से पहले कोई विकल्प न दें। सभी विकल्प खाने के बाद दिए जा सकते हैं। खासकर कटोरियों की संख्या पर न जाएँ, पोषक तत्वों पर ध्यान दें। आहार में प्रोटीन से भरपूर रोज़ के खाद्य पदार्थ शामिल करें।

प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत हैं-
अंडे- प्रोटीन के सबसे बेहतरीन स्त्रोत है,इसलिए कोशिश करें कि आप अपने बच्चों को ऑमलेट या बॉइल एग या एग से बनी डिशेज भी खिला सकते हैं।
फल और दूध से बने प्रोडक्ट्स-फलों में विटामिंस, मिनरल्स और कार्बोहाइडेट्स की मात्रा अधिक होती है। लेकिन ब्रेकफास्ट के लिए अनाज इससे अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर ज्यादा होते हैं। एक आइडियल ब्रेकफास्ट में अनाज, दूध, फल और दूध से बने दूसरे प्रोडक्ट्स ये सभी होने चाहिए
दही- अगर आपका बच्चा दुध पीने में आनाकानी करता है तो आप उसे दही जरूर खिलाएं।चाहे बूंदी ,खीरा ,कद्दू रायता या मीठा दही भी खिला सकती हैं।दही प्री-डाइजेस्टेड फूड है।यह प्री-डाइजेस्टेड प्रोटीन का बढ़िया स्त्रोत है।खाने के बाद लिए जाने वाले ये सप्लीमेंट, मिनरल व आयरन आदि की कमी पूरी करते हैं।
सोयाबीन – बड़ियों या चूरे के रूप में दाल, चावल व सब्जियों में मिलाएँ। या आटे में सोयाबीन का आटा 110 के अनुपात में मिला कर, धीरे -धीरे 1:6 के अनुपात में मिलाएँ। यदि थोड़े पिसे काले चने भी मिला सकें तो बेहतर होगा।
मिक्स आटा– गेंहू के आटे में रागी,चना,मूंगफली,सूजी को मिलाकर रखलें फिर उसकी रोटीयां बनाकर अपने बच्चों को खिलाएं।ये खाने में तो स्वादिष्ट लगेंगी ही उनके लिए न्यूट्रीशियस भी रहेगी।
बेसन –अगर बच्चे को खांसी-जुकाम रहता है तो गुड़ बेसन की मिठाई या मुनक्का दे सकते हैं।
केला-जिस बच्चे को बार-बार डायरिया होता हो उसे केला या याकुल्ट जैसा प्रोबायोटिक दे सकते हैं।
सेब-बच्चें अगर सेब नहीं खाते तो आप उन्हें उसका शेक ,जूस या स्मूदी बनाकर खिला सकतें हैं।सेब से उन्हें फाइबर मिलेगा।
सलाद-खीरा ,टमाटर ,गाजर आदि अपने बच्चों के डाइट में शामिल करें।सलाद अगर बच्चें नहीं खाते तो उनके पसंद के सैण्डविच में लगाकर खिलाएं।
स्प्राउट्स- वैसे तो सभी बच्चें आसानी से स्प्राउट्स नहीं खाते पर आप उन्हें नमकीन चाट बनाकर ,फ्रेंकी रोल बनाकर,ब्रेड चाट में मिलाकर ,बर्गर बन में लगाकर भी खिला सकते हैं।
यह भी पढ़ें-
कैसे बनाए घर में बच्चों के लिए सेरेलेक
अगर होमवर्क बन गया है हेडेक, तो पढ़े ये टिप्स
‘आपके बच्चे कहीं मोटापे का शिकार तो नहीं’
क्रीमी मैंगो: बड़ी लाजवाब है ये स्वीटडिश
आप हमें फेसबुक और ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।
