Overview:छोटे फेफड़े, बड़े खतरे: महिलाओं में फेफड़ों की बीमारियां क्यों होती हैं ज़्यादा गंभीर?
महिलाओं की फेफड़ों की सेहत (Lung Health) पुरुषों से काफी अलग होती है। इसका कारण केवल शरीर की बनावट नहीं, बल्कि हार्मोन, प्रदूषण के संपर्क, और जीवनशैली भी है। महिलाओं में फेफड़ों की बीमारियाँ जल्दी और ज़्यादा गंभीर रूप में दिखाई देती हैं, लेकिन लक्षण अक्सर सामान्य थकान या स्ट्रेस समझकर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। डॉक्टर विकास मित्तल बताते हैं कि महिलाओं में फेफड़ों से जुड़ी कई समस्याएं हार्मोनल बदलावों, पर्यावरण और शरीर की संरचना के कारण अधिक होती हैं।
Women Lung Health: महिलाओं की सेहत की बात आती है तो हम अक्सर हार्मोन, पीरियड्स या हड्डियों की कमजोरी पर ध्यान देते हैं, लेकिन फेफड़ों की सेहत (Lung Health) को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। दरअसल, महिलाओं के फेफड़े पुरुषों की तुलना में ज़्यादा संवेदनशील होते हैं। डॉ. विकास मित्तल, डायरेक्टर – पल्मोनोलॉजिस्ट, सीके बिड़ला हॉस्पिटल®, दिल्ली के अनुसार हार्मोनल बदलाव, प्रदूषण, और लाइफस्टाइल फैक्टर्स के कारण वे सांस संबंधी बीमारियों का जल्दी शिकार बनती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सही जानकारी और समय पर जांच से कई गंभीर फेफड़ों की बीमारियों को रोका जा सकता है — ताकि हर महिला खुलकर और स्वस्थ सांस ले सके।
छोटे फेफड़े, बड़ा असर

महिलाओं के फेफड़े आकार में पुरुषों की तुलना में छोटे होते हैं, जिससे प्रदूषण या धुएं का असर उनके शरीर पर ज़्यादा पड़ता है। अगर कोई महिला और पुरुष एक ही वातावरण में हों या समान मात्रा में धूम्रपान करें, तो महिला के फेफड़े ज़्यादा जल्दी और गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। यही वजह है कि महिलाओं में क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज़ (Chronic Respiratory Disease) का खतरा अधिक होता है।
हार्मोन और फेफड़ों का रिश्ता
महिलाओं के शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) हार्मोन फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर असर डालते हैं। यही कारण है कि मासिक धर्म, गर्भावस्था या मेनोपॉज़ के दौरान सांस फूलना, थकान या बेचैनी जैसे लक्षण ज़्यादा महसूस होते हैं। ये हार्मोन फेफड़ों में सूजन और एलर्जी को बढ़ा सकते हैं, जिससे अस्थमा (Asthma) के लक्षण भी बिगड़ सकते हैं।
प्रदूषण और धूम्रपान से बढ़ता खतरा
शोध बताते हैं कि महिलाओं पर प्रदूषण और सिगरेट के धुएं का असर पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होता है। एस्ट्रोजन शरीर को धुएं और हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों के प्रति और संवेदनशील बना देता है। यही कारण है कि महिलाएं अक्सर सीओपीडी (COPD) जैसी बीमारियों से ज़्यादा पीड़ित होती हैं, भले ही वे खुद धूम्रपान न करती हों।
फेफड़ों का कैंसर और देर से पहचान
पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं में एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) यानी फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़े हैं। इसके लक्षण आम तौर पर बहुत सामान्य होते हैं — थकान, सांस लेने में दिक्कत, या वजन घटना — जिससे डायग्नोसिस में देर हो जाती है।
महिलाओं के फेफड़ों की सेहत को अब गंभीरता से समझने की ज़रूरत है। अगर समय रहते सही जांच और इलाज हो, तो फेफड़ों की कई बीमारियों को रोका जा सकता है। अपनी सांसों को हल्के में न लें — क्योंकि हर सांस में सेहत छिपी है।
Inputs by: Dr. Vikas Mittal, Director – Pulmonologist at the CK Birla Hospital®, Delhi
