Back Pain in Young Women: महिलाओं में पीठ का दर्द एक आम समस्या हो गई है। खासकर, प्रसव के बाद उनमें पोषण तत्वों की कमी आ जाती है। ऐसे में उन्हें अपने सेहत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि पीठ दर्द से बचाव के लिए महिलाओं को क्या करना चाहिए।
क्या है कारण
आमतौर पर पीठ दर्द की समस्या तब ज्यादा होती है जब महिला का वजन ज्यादा हो या उसे कोई स्त्री रोग हो, रक्तवाहिनी, स्नाय तंत्रिका, मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी या डिस्क संबंधी कोई विकार हो। कई महिलाओं में पीठ दर्द के सटीक कारणों का पता भी नहीं चल पाता। लेकिन मौटे तौर पर पीठ दर्द के
कारणों को तीन भागों में बांट सकते हैं-
स्त्री जन्य रोग से पीड़ित होना
प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम (पीएमएस): यह महिलाओं का हर महीने पीरियड्स शुरू होने से कुछ दिन पहले प्रभावित करती है। पीएमएस की वजह से महिलाओं को शारीरिक-मानसिक कमजोरी आने लगती
है, जिससे उसे कमर दर्द की शिकायत रहती है।
एंडोमिट्रोओसिस: किशोरावस्था से ही महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है। यूटरस की अंदर की परत बाहर आने के बजाय पीछे हो जाती है और माहवारी के बाहर आने का रास्ता ब्लॉक कर देती है।
एक दीवार सी बन जाती है, जिससे ओवरी में ब्लड-फिल्ड एंडोमीट्रीमा सिस्ट बना देती है। ऐसी महिलाओं को पीरियड्स और इंटरकोर्स के दौरान पेट और पीठ में दर्द बहुत ज्यादा होता है।
डिस्मोनेरिया और बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना: 10-11 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होने वाली कई लड़कियों को पैल्विक एरिया और पीठ में तेज दर्द की शिकायत रहती है। कई बार ब्लीडिंग बहुत ज्यादा होती है जो 5-7 दिन तक रहती है, जिससे उनमें खून की कमी होने लगती है और वो
एनीमिया की शिकार भी हो सकती हैं।
स्पाइनल ऑस्टियोआर्थराइटिस: महिलाओं में कमर दर्द होने के प्रमुख कारणों में एक है। यह समस्या रीढ़ की हड्डी के फेसेट जॉइंट के क्षतिग्रस्त होने या हड्डियां कमजोर होने की वजह से होती है, जिसकी वजह से महिलाओं को कमर दर्द के अलावा जांघ और नितंबों में भी दर्द रहता है।
आहार संबंधी गलत आदतें
वर्तमान में संतुलित-पौष्टिक आहार के बजाय जंक फूड या फास्ट फूड का सेवन का प्रचलन बढ़ गया है। नाश्ता न करना, खाना नियत समय पर न खाना या तुरतफु रत निपटाना, बाहर का खाना ज्यादा खाना, अपनी डाइट पर ध्यान न देना, ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से महिलाओं की सेहत पर असर पड़ता है।
फिटनेस पर ध्यान न देना
नियमित व्यायाम न कर आरामपरस्त जीवनशैली जीने, घंटों एक जगह बैठे रहना या लंबे समय तक डेस्क जॉब करने का असर महिलाओं के वजन पर पड़ता है।
वजन बढ़ने से शरीर का सारा भार रीढ़ की हड्डी और शरीर के निचले हिस्से पर पड़ता है। बहुत ज्यादा दबाव से मांसपेशियां थक जाती हैं और उनमें दर्द होने लगता है। सिर्फ बैठे रहने से ही नहीं, ज्यादा देर तक खड़े रहने या चलने पर भी मांसपेशियों में थकावट आती है, जो पीठ दर्द का कारण बनती हैं। मोटापे के कारण उनकी पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां ज्यादा सिकुड़ या अकड़ जाती हैं, जिससे उनकी कमर अंदर की ओर घुस जाती है और हिप्स ऊपर की तरफ निकल आते हैं। कमर दर्द की शिकायत रहती है।
गलत पॉश्चर और गलत मूवमेंट
आगे झुक कर या गलत पॉश्चर में बैठना, कंधे झुका कर खड़े होना या चलना भी कमर दर्द को बुलावा देता है। गलत तरीके से मूव करने पर कई बार एक या उससे अधिक मांसपेशियों में ऐंठन आ सकती है।
इससे रीढ़ की हड्डी पर दवाब पड़ता है और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों में कसावट आ जाती है, जिससे कमर दर्द की शिकायत रहती है।
गर्भावस्था और प्रसवोपरांत होने वाला दर्द

महिलाओं की प्रजनन प्रणाली जिसकी मांसपेशियां और स्नायुबंधन तंत्र कम मजबूत होता है। जिसकी वजह से गर्भावस्था के पांचवे महीने और प्रसव के दौरन पैल्विक मांसपेशियों और स्नायुतंत्र में प्राकृतिक रूप से बहुत अधिक खिंचाव होता है। इससे महिलाओं को काफी समय तक कमर दर्द का सामना करना पड़ता है।
इसी तरह प्रसवोपरांत अतिरिक्त शारीरिक श्रम करने की वजह से महिलाओं को काफी समय तक पीठ दर्द बना रहता है। इस दौरान शिशु की देखरेख, लंबे समय तक सही तरीके से बैठकर स्तनपान कराने के साथ घर के काम निपटाने पड़ते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पूरा आराम नहीं मिल पाता। अक्सर नींद पूरी न हो पाने के कारण शारीरिक- मानसिक तनाव और कमजोरी का सामना करना पड़ता है, जिससे महिला को असहनीय पीठ दर्द की शिकायत रहती है।
हाई हील्स पहनना
स्टाइलिश लुक पाने के लिए महिलाएं हील्स पहनती हैं। इससे उनके पैरों में दर्द, सूजन और रीढ़ की हड्डी में दर्द हो सकता है। जो धीरे-धीरे पीठ दर्द का कारण बनता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास
पीठ दर्द को हल्के में लेना गलत है, इनमें से कोई स्थिति महसूस हो, तो ओवर-द- काउंटर मेडिसिन पर भरोसा न कर डॉक्टर के पास जरूर जाएं। दर्द असहनीय हो जाए, 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहे या कुछ दिन बाद दुबारा हो, पीठ दर्द और अकड़न हो जो आपकी गतिशीलता में रूकावट बने, हाथ-पैरों में कमजोरी आना।
क्या है उपचार
डॉक्टर सबसे पहले मरीज से पीठ दर्द की मूल वजह का पता लगाते हैं। इसके लिए दर्द के पैटर्न,
तीव्रता और गंभीरता के बारे में जानकारी लेते हैं। किसी तरह की एलर्जी या अनहेल्दी फूड हेबिट्स या फिर एक्टिविटीज के कारण मांसपेशियों में आए खिंचाव के बारे में जानते हैं। फिजीकली एग्जामिन खासकर पैल्विक की जांच रेडियोलॉजी और एमआरआई से की जाती है। जांच के
बाद पीठ दर्द के पैटर्न, कारण और मरीज की स्थिति के हिसाब से उपचार किया जाता है। उन्हें पेन रिलीवर मेडिसिन, सूजन दूर करने के लिए एंटी बॉयोटिक मेडिसिन दी जाती है।
रखें सावधानी

कमर दर्द में आराम पाने के लिए महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1.पीरियड्स के दौरान दर्द हो, तो गर्म पानी से नहाना या हीटिंग पैड का इस्तेमाल करना फायदेमंद है। ब्लड सर्कुलेशन से मांसपेशियों को आराम मिलता है।
2.अपनी डाइट का ध्यान रखें। अनहेल्दी फूड की जगह संतुलित और पौष्टिक आहार लें। 3 बड़े मील लेने के बजाय 5 मील लें। यानी भरपेट खाने के बजाय ब्रेकफास्ट-लंच और डिनर के बीच में
हल्का नाश्ता करें।
3.जहां तक हो सके अपने भोजन में कैल्शियम, विटामिन डी से भरपूर चीजें ज्यादा से ज्यादा शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां, केला, अनार, जैसी फलसब्जियां, दूध और दूध से बनी चीजें ज्यादा से ज्यादा लें।
4.दिन में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं।
द्य उठने-बैठने और सोने का सही पॉश्चर अपनाएं। बैठने के दौरान अपनी पीठ को सहारा दें और अगर जरूरत हो तो गद्दा रखें। लंबे समय तक सोफे पर झुक कर बैठने से बचें।
5.यदि लंबे समय तक लैपटॉप का उपयोग करते हैं, तो स्लेंटेड स्टैंड का उपयोग करें। आपके लैपटॉप का ऊपरी भाग आपके सिर के समांतर होना चाहिए।
6.कभी भी वजन या वस्तुओं को लेने के लिए आगे न झुकें। अपने घुटनों पर झुकें
और रीढ़ को सीधा रखते हुए उठाएं।
7.पीठ दर्द वाली जगह या मांसपेशियों में अकड़न वाली जगह पर आइस पैक से सिकाई करें।
8.हमेशा एक्टिव रहें। अधिक देर तक बैठे या लेटे न रहें। घर हो या ऑफिस, कोशिश करें कि काम खड़े होकर करें। अगर बैठकर काम करना जरूरी है तो हर आधे घंटे बाद सीट से उठें और 4 से 5
मिनट के लिए टहलें या हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।
9.पीठ दर्द से आराम पाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर ही एक्सरसाइज करें।
10.रोजाना कम से कम 30 मिनट धूप सेकें। धूप से मिलने वाला विटामिन-डी हड्डियों
को मजबूत बनाने में सहायक है।
11.वजन को निंयत्रित रखें। अपने वजन के प्रति सजग रहें और 8-10 दिन में वजन
चैक करते रहें।
