किन लोगों को होता है मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम: Malabsorption Syndrome
Malabsorption Syndrome

Malabsorption Syndrome: मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम होने से आपके द्वारा सेवन किए गए पोषक तत्व शरीर को नहीं मिलते। इसे सामान्य शब्दों में समझे तो, जब भी आप कोई स्वस्थ भोजन खाते हैं तो ऐसी उम्मीद की जाती है कि यह आपके शरीर को विटामिन और मिनरल्स के फायदे देगा, लेकिन मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम होने पर आपके द्वारा खा गए भोजन से मिलने वाले पोषक तत्व आपके शरीर को नहीं मिलते। यहां ये भी जानना जरूरी है कि आखिर किन लोगों को मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम सबसे ज्यादा होता है।

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इन लोगों को होता है मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम

यहां ये भी जानना जरूरी है कि आखिर किन लोगों को मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम सबसे ज्यादा होता है।

  • जिन बच्चों का पेट खराब रहता है या जिनको फ्लू बहुत अधिक होता है, उन्हें कुछ समय के लिए मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम हो सकता है।
  • पाचन संबंधी रोगों से अगर आप पीड़ित हैं तो आपको यह सिंड्रोम हो सकता है। पाचन संबंधी रोग जैसे – सीलिएक रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस और क्रोहन रोग। पाचन संबंधी रोगों का पारिवारिक इतिहास होने पर भी आपको ये सिंड्रोम हो सकता है।
  • लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स या लैक्सेटिव दवा का सेवन करने वाले लोगों को आंत की सर्तरी करवाने वाले लोगों को शराब का अत्यधिक सेवन करने से भी आप इस सिंड्रोम के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।

मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के लिए जांच और निदान

जब भी आपको मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम होता है तो डॉक्टर सबसे पहले आपके लक्षणों के बारे में जानता हैं। साथ ही आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी लेता है। समस्या का सही कारण जानने के लिए डॉक्टर कई टेस्ट करने की सलाह दे सकता है। जैसे –

  • स्टूल टेस्ट- इसमें आपके मल की जांच होती है और डॉक्टर टेस्ट में यह जानता है कि मल में अत्यधिक वसा है या नहीं। यदि वसा बहुत अधिक होती है तो आपको कुअवशोषण सिंड्रोम हो सकता है।
  • लैक्टोज हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट- इस टेस्ट में डॉक्टर दूध और चीनी का घोल देने के बाद आपकी सांस में कितना हाइड्रोजन है, इसकी जांच करता है। साथ ये देखा जाता है कि आप पोषक तत्व को कितने अच्छी तरह से अवशोषित कर पा रहे हैं।
  • स्वेट टेस्ट- इसमें आपके पसीने के सैंपल लेकर सिस्टिक फाइब्रोसिस डिजीज को डायग्नोज किया जाता है, क्योंकि इस बीमारी के होने पर भी एंजाइम्स भोजन को सही से नहीं बचा पाते हैं।
  • छोटी आंत की बायोप्सी- इसके दौरान छोटी आंत के अंदर से एक छोटा सा टिशु सैंपल लिया जाता है। इससे ये जाना जाता है कि कहीं आपको कोई संक्रमण या और कोई अन्य समस्या तो नहीं।
  • एंडोस्कोपी- इसके दौरान डॉक्टर एक लचीली ट्यूब आपके मुंह में डालकर आंतों की जांच करता है।

मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम का इलाज

Malabsorption Syndrome Treatment
Malabsorption Syndrome Treatment

जैसे कि हर बीमारी का इलाज उसके लक्षणों पर निर्भर करता है, वैसे ही कुअवशोषण सिंड्रोम का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है।

  • आपको इलाज के दौरान ऐसे खाद्य पदार्थ को खाने की सलाह दी जा सकती है जिससे कि शरीर में कमजोरी ना आए और पोषक तत्वों की पूर्ति होती रहे।
  • कभी-कभी इस सिंड्रोम का इलाज करने के दौरान दवाएं लंबे समय तक दी जाती हैं जिससे पोषक तत्व रक्त में ठीक से प्रवेश कर जाएं।
  • यदि आपको किसी कारण यह सिंड्रोम हुआ है तो इसके लिए एंटीबायोटिक भी दी जाती जा सकती है।

मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम की देखभाल और रोकथाम

कुअवशोषण सिंड्रोम को जड़ से खत्म करना मुश्किल है, खासकर पर यदि किसी को सीलिएक रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस या कोई पेट संबंधी, या पाचन संबंधी पुरानी बीमारी है। मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम लगातार बना रह सकता है या कई महीनों से लेकर जिंदगी भर इसका इलाज करवाना पड़ सकता है। लेकिन इस सिंड्रोम को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर के संपर्क करना चाहिए। ऐसी स्थिति में आपको एंटीबायोटिक्स या लैक्सेटिव दवाओं का सेवन करने ये बचना चाहिए।

निष्कर्ष

अधिकतर लोग कभी-कभी अपच ब्लोटिंग, गैस और दस्त जैसी समस्याओं को महसूस करते हैं। यदि आप ऐसी चीजों का सेवन कर रहे हैं जो आपको नहीं पचती है या आपके अनुरूप नहीं है, तो यह लक्षण कुछ समय के लिए हो सकते हैं और आमतौर पर अपने आप चले जाते हैं। साथ ही गलत खान-पान के सेवन से होने वाली ये समस्याएं आमतौर पर अस्थाई होती है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन यदि यह लक्षण लंबे समय तक बरकरार रहते हैं और बार-बार ट्रिगर होते हैं तो यह चिंता की बात है। ऐसे में आपको इसको गंभीरता से लेना चाहिए, खासतौर पर इन समस्याओं के साथ ही यदि आपको दस्त भी होते हैं तो यह और अधिक चिंता की बात हो सकती है। आपको ऐसी स्थिति में तुरंत बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपके लक्षणों, आपके खान-पान और लाइफ स्टाइल को ध्यान में रखकर ही आपको कुछ टेस्ट लिखने टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।

अपच, ब्लोटिंग, गैस और दस्त यह लक्षण अगर लंबे समय तक बरकरार रहते हैं तो यह कुअवशोषण सिंड्रोम का एक कारण हो सकते हैं जो कि कुपोषण का एक ऐसा छिपा हुआ कारण होता है जिसके बारे में तुरंत पता लगने के बजाय धीरे-धीरे पता चलता है। साथ ही जब तक यह बहुत ज्यादा नहीं बढ़ जाता है या ट्रिगर नहीं हो जाता तब तक इसके बारे में नहीं पता चलता। इसके अलावा, यदि आप पर्याप्त आहार लेते हैं लेकिन फिर भी आपके शरीर में कमजोरी और थकावट रहती है या फिर आपको ऐसा महसूस होता है कि आपको पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल रहे तो भी मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के यह लक्षण हो सकते हैं। खासतौर पर, यह स्थिति बच्चों के लिए, बच्चों के विकास के लिए और अधिक खतरनाक हो सकती है।

अब तो आप इसके लक्षण समझ चुके हैं, इसके कारणों को भी जान चुके हैं। यदि आपको बार-बार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या होती है और आपको पतला या चिपचिपा मल आता है तो तुरंत आपको डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए। ध्यान रहे, यह समस्या बेशक नियंत्रित की जा सकती है, लेकिन इसको नियंत्रित करने में भी लंबा समय लग सकता है लेकिन आप इस समस्या को जड़ से खत्म करना मुश्किल होता है और इसकी दवाएं लंबे समय तक चल सकती हैं।