Important Minerals: बैलेंस और न्यूट्रिशियस डाइट की बात आती है तो आमतौर पर आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और फैट को शामिल करने को तरजीह दी जाती है। डेली रूटीन में बहुत कम मात्रा में जरूरी मिनरल्स को इतना महत्व नहीं दिया जाता। ये हैल्दी डाइट का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। शरीर के मेटाबाॅलिक सिस्टम को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों के विकास और मजबूती प्रदान करने में मदद करते हैं। इनकी कमी से शरीर में मेटाबाॅलिक डिसऑर्डर होने की संभावना रहती है।
दैनिक जरूरत के हिसाब से मिनरल्स दो तरह के होते हैं-
- मैक्रोमिनरल जिसे रोजाना करीब 100 मिग्रा से अधिक लेना जरूरी है। इनमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड और सल्फर आते हैं।
- माइक्रोमिनरल या ट्रेस मिनरल में आयरन, मैंगनीज, जिंक, आयोडीन, जस्ता, कोबाल्ट, फ्लोराइड और सैलेनियम आते हैं। रोजाना केवल 15 मिग्रा माइक्रोमिनरल का सेवन करने की जरूरत होती है।
पोटेशियम
शरीर के विभिन्न अंगों, सेल्स, मसल्स में संकुचन और तंत्रिका तंत्र को ठीक तरह से काम करने में मदद करता है। ये दिल के कार्यो के लिए महत्वपूर्ण है। मांसपेशियों और पाचन तंत्र की गतिविधियों में बैलेंस बनाता है। पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। सोडियम के साथ मिलकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
एक व्यस्क को रोजाना तकरीबन 1 ग्राम पोटेशियम की जरूरत होती है। यह केले, संतरे, खजूर, टमाटर, आलू, शकरकंद , पालक, ब्रोकोली जैसी हरी सब्जियों, बीन्स, फलियों, मटर, दालों, सोयाबीन, कम वसा वाले दूध-दही, मूंगफली, सामन, टूना और क्लैम जैसे समुद्री जीव इसके अच्छे स्रोत हैं। पोटेशियम की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। नर्वस सिस्टम में डिसऑर्डर आ सकता है, मसल्स पर कंट्रोल न रहने पर पैरालाइसिस का खतरा रहता है। हाइपोकैल्सिमिया कब्ज, मांसपेशियों में कमजोरी और थकान का कारण बनता है।
मैग्नीशियम
यह एक प्रमुख इलेक्ट्रोलाइट मिनरल है जो शरीर के जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को करने में मदद करता है। हड्डियों के विकास और मजबूती प्रदान करने में सहायक है। सामान्य मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के कार्यो को सुचारू रूप से करने में मदद करता है। हृदय की लय को विनियमित करता है और उसे स्वस्थ रखता है, इम्यून सिस्टम केा सुचारू रूप से चलाने में सहायक है। ब्लड शूगर के लेवल को कंट्रोल करने और प्रोटीन तथा उर्जा के उत्पादन में मदद करता है। मैग्नीशियम हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे विकारों को कम करने में मदद करता है।
एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 400 मिग्रा मैग्नीशियम रिच खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी है। ड्राई फ्रूट्स, साबुत अनाज, खुबानी, एवोकेडो, केला, पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों, फलियां, गाजर, लाल-पीली शिमला मिर्च, सोयाबीन, अंडे, डार्क चाॅकलेट इसके प्रमुख स्रोत हैं। मैग्नीशियम की कमी से हृदय रोग के साथ व्यक्ति को थकान, कमजोरी, उल्टियां हो सकती हैं। स्थिति गंभीर होने पर सुन्नता, ऐंठन, अंगों में झुनझुनाहट जैसी समस्याओं का सामना कर सकता है।
आयरन
शरीर के लिए आवश्यक मिनरल में एक है जो स्वस्थ मेटाबाॅलिज्म को बढ़ावा देता है। शरीर में रेड ब्लड सेल्स या हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन पूरे शरीर में सप्लाई करने में मदद करता है। पर्याप्त मात्रा में आयरन का सेवन न करने से शरीर में एनीमिया या रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है। गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी से प्री मैच्योर डिलीवरी या गर्भस्थ शिश का विकास अवरुद्ध हो सकता है। इसके अलावा आयरन त्वचा, नाखून और बालों को स्वस्थ बनाए रखने में उपयोगी है।
एक स्वस्थ व्यस्क को रोजाना 8-10 मिग्रा आयरन की जरूरत होती है जबकि गर्भवती या मोनोपाॅज की स्थिति पर पहुंची महिला को रोजाना 18 मिग्रा आयरन लेना जरूरी है। आयरन के स्रोतों में रेड मीट, लिवर, अंडे, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, नींबू, साबुत अनाज, दालों, सेब, अमरूद, गुड़, कोको या डार्क चाॅकलेट में मिलता है। आयरन की कमी से एनीमिया, सेल्स मे सूजन, थकान हो सकता है।
सोडियम
यह माइक्रोमिनरल शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने का काम करता है। यह शरीर में आयोनिक और जल में बैलेंस बनाए रखता है। मांसपेशियों में संकुचन की प्रक्रिया को बनाए रखता है। तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से संचालन कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। डायजेस्टिव जूस के माध्यम से सोडियम फैट के उत्सर्जन में मदद करता है।
एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना तकरीबन 1 ग्राम सोडियम की जरूरत होती है। खाने वाला नमक सोडियम का अच्छा स्रोत है। इसकी कमी से मसल्स में संकुचन की कमी, नर्वस सिस्टम में गडबड़ी, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। समुचित मात्रा में सोडियम का सेवन न करने से हाइपोनेट्रेमिया हो सकता है। हाइपोनेट्रेमिया में ब्लड में सोडियम की कमी से सिरदर्द, जी मिचलाना, थकान, ऐंठन और बेहोशी का कारण हो सकता है।
आयोडीन
यह एक महत्वपूर्ण माइक्रोमिनरल है। यह थायरोक्सिन और ट्राई आयोडोथायरोनिन जैसी थायराइड हार्मोन के बाॅयोलाॅजिकल प्रोसेस को कंट्रोल करता है। ये हार्मोन शरीर के मेटाबाॅल्जिम और कई महत्वपूर्ण कार्यो को नियंत्रित करते हैं। इसके साथ ही गर्भस्थ शिशु और बच्चों की हड्डियों के विकास में मदद करता है। प्रोटीन के संश्लेषण प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाता है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
एक व्यस्क व्यक्ति को रोजाना केवल 0.15 मिग्रा आयोडीन की जरूरत होती है। जिसे वह आयोडाइज नमक, शैवाल जैसे सी-फूड, शतावरी, पालक, शलगम साग जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, पानी, मशरूम,डेयरी खाद्य पदार्थ, अंडे, तिल से प्राप्त कर सकते हैं। आयोडीन की कमी से गाॅयटर, बच्चों में बौनापन या क्रिटिनिज्म, बड़ों में मिक्सोडेमा थायराॅयड होने की संभावना रहती है।
( डॉ चांदनी कपूर, आहार विशेषज्ञ, मेरठ)