Malabsorption Syndrome: मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम जिसे कुअवशोषण सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। इस सिंड्रोम के होने से आपके द्वारा सेवन किए गए पोषक तत्व शरीर को नहीं मिलते। इसे सामान्य शब्दों में समझे तो, जब भी आप कोई स्वस्थ भोजन खाते हैं तो ऐसी उम्मीद की जाती है कि यह आपके शरीर को विटामिन और मिनरल्स के फायदे देगा, लेकिन मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम होने पर आपके द्वारा खा गए भोजन से मिलने वाले पोषक तत्व आपके शरीर को नहीं मिलते, क्योंकि इस सिंड्रोम के कारण विटामिन और मिनरल्स शरीर तक नहीं पहुंच पाते। इस सिंड्रोम के होने से पाचन संबंधी समस्याएं, शरीर में सूजन और दस्त जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं। इतना ही नहीं, कुअवशोषण सिंड्रोम होने से कई तरह के संक्रमण, हड्डियों में कमजोरी और फ्रैक्चर जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। चलिए जानते हैं, आखिर मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम क्यों होता है, यह कितनी तरह का होता है, इसके लक्षण क्या है, इसका इलाज क्या है, साथ ही इस सिंड्रोम के होने पर क्या करें, क्या ना करें।
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मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के प्रकार

आमतौर पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजीज, जैसे सीलिएक और इंफ्लेमेट्री बाउल डिजीज, हर तरह के पोषक तत्व को शरीर में पहुंचने से रोकती हैं। लेकिन कुछ खास तरह की बीमारियों में विशेष प्रकार के पोषक तत्व ही शरीर को नहीं मिलते। इन बीमारियों को मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के प्रकार के रूप में देखा जाता है। जैसे –
- कार्बोहाइड्रेट मालएब्जॉर्प्शन – बहुत से लोग कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जबकि कुछ लोग सिर्फ कुछ खास तरह के ही कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं जैसे कि शुगर। यदि ऐसे लोग कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो उन्हें पेट में दर्द, गैस की समस्या और पेट में सूजन हो सकती है। दरअसल, ऐसे लोगों की छोटी आंत में कार्बोहाइड्रेट पूरी तरह से अवशोषित नहीं होता। नतीजा उनके कोलन में बैक्टीरिया फर्मेंटेड हो जाते हैं। इससे उन्हें बहुत ज्यादा गैस की समस्या होती है। इस तरह की समस्या को कार्बोहाइड्रेट मालएब्जॉर्प्शन के नाम से जाना जाता है।
- वसा मालएब्जॉर्प्शन – फैट मालएब्जॉर्प्शन अब्जॉर्प्शन, मालएब्जॉर्प्शन का सबसे सामान्य प्रकार है। इस समस्या के होने पर वसा आपकी छोटी आंतों में ठीक से अवशोषित नहीं होती और वह कोलन में चली जाती है। नतीजन, वसायुक्त मल यानी स्टीटोरिया हो जाता है। यह वसायुक्त मल चिकना, पतला और बदबूदार भी हो सकता है। साथ ही ये हल्के रंग का लिक्विड रहता है। इतना ही नहीं, वसायुक्त मल के साथ ही वसा में कई घुलनशील विटामिन जैसे ए, डी ईऔर के भी मल के साथ बाहर निकल जाते हैं और शरीर इनको अवशोषित करने में असफल रहता है।
- पित्त एसिड मालएब्जॉर्प्शन – कभी-कभी गॉलब्लैडर, पित्त की नलिकाओं या लीवर जैसी बीमारियों के कारण पित्त की कमी हो जाती है जो कि वसा का कुअवशोषण का कारण बनता है। वहीं कई बार किसी अन्य समस्या के कारण भी छोटी आंत में पित्त एसिड रह जाता है जो कि कोलन में चला जाता है। इस वजह से पित्त एसिड मालएब्जॉर्प्शन हो जाता है। इस वजह से लंबे समय तक दस्त या डायरिया की समस्या भी हो सकती है।
- प्रोटीन मालएब्जॉर्प्शन – प्रोटीन मालएब्जॉर्प्शन का यह प्रकार अपने आप ही होता है। इसके होने के अभी पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन यदि आपको दूध प्रोटीन नहीं पचता है या ग्लूटन के सेवन से समस्या होती है तो आपको प्रोटीन मालएब्जॉर्प्शन हो सकता है।
क्या कहना है डॉक्टर का
- वन हेल्थ क्लिनिक खराड़ी, पुणे के एमडी, जनरल फिजिशियन डॉ. सुनील चौधरी का मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के बारे में कहना है कि आमतौर पर यह आंतों की अंदरूनी परत डैमेज होने से होता है।
- बाहर का खाना अधिक खाने से और पेट में इंफेक्शन होने से आंतों की लाइनिंग और इसके अंदर के सेल्स डैमेज हो जाते हैं, जिससे कि शरीर में कोई भी पोषक तत्व अवशोषित नहीं हो पाता।
- टॉक्सिक इफेक्ट भी आंतों को बहुत नुकसान पहुंचता है। आजकल खाने में बहुत ज्यादा फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड्स जैसे कई केमिकल्स का उपयोग होता है, जो कि सीधे हमारे पेट को इफेक्ट करते हैं।
- आमतौर पर लोग प्रिजर्वेटिव्स फूड या डब्बा बंद फूड अधिक खाते हैं, इससे मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम का सीधा कनेक्शन है।
- साफ-सुथरा खाना ना खाना भी आंतों को प्रभावित करता है। दरअसल, लोग बाहर जब रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं तो उन्हें यह नहीं अंदाजा होता कि वहां पर कितनी साफ-सफाई है। इस वजह से भी पेट संबंधी या पाचन संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
- लाइफस्टाइल भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार है। जैसे आपका स्लीपिंग पैटर्न बिगड़ा है या फिर आप अधिक कॉफी पीते हैं और शरीर में बहुत ज्यादा एसिडिटी बन जाती है। यह सभी मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं।
- मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम की समस्या आजकल बहुत आम बात हो गई है। अगर इस समस्या से बचाना है तो घर का बना हुआ देसी खाना खाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। साथ ही खाना बनाते समय साफ-सफाई का भी ध्यान देना जरूरी है।
मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के कारण

- मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम कई संभावित कारणों से हो सकता है। जैसे –
- ट्रॉमा या चोट लगा
- बैक्टीरिया फंगस, वायरस और परजीवी संक्रमण होना
- सीलिएक रोग – ये एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से छोटी आंत की परतों को नुकसान पहुंचता है।
- इन्फ्लेमेटरी बॉउल डिजीज होना – इस स्थिति में आंतों में सूजन आ जाती है जो कि क्रोहन या अल्सरेटिव कोलाइटिस रोग का कारण बनता है।
- पेनक्रियाटिक की समस्या होना- इस दौरान पेनक्रियाज में सूजन आ जाती है, जो एंजाइमों को पचाने की प्रक्रिया में अवरोध पैदा करता है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस – यह एक जेनेटिक कंडीशन है, जिसकी वजह से फेफड़े और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है।
- लेक्टोज इनटोलरेंस – यह स्थिति तब होती है जब आपका शरीर डेयरी उत्पादों को या चीनी से बने लैक्टोज को पचाने में सक्षम नहीं होता।
- गॉलब्लैडर संबंधी समस्या – इसके दौरान सूजन या जेनेटिक बीमारी गॉलब्लैडर को प्रभावित करती है, जिससे पित्त का प्रोडक्शन होता है और पित्त का स्राव कम हो जाता है।
- लीवर युक्त रोग – लीवर युक्त रोग होने से पाचन के लिए आवश्यक एंजाइम के उत्पादन में कमी आ सकती है।
- लंबे समय तक एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से भी यह समस्या हो सकती हैं।
मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के लक्षण
मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम होने पर पेट में दर्द और असुविधा होने लगती है, जिसमें गैस बनना और सूजन बढ़ना शामिल है। इसके अलावा कई और लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे –
- बार-बार दस्त लगने की समस्या होना
- पानी वाला या बहुत पतले मल के साथ ही मल में से बदबू आना
- मल का रंग हल्का या बहुत गहरा होना
- चिपचिपा मल का आना
- तेजी से वजन का घटना
- त्वचा पर पपड़ीदार रैशेज होना
- क्रॉनिक स्थिति में डायरिया होना
यदि आपको यह सभी लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के जोखिम और जटिलताएं

मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के होने से शरीर को मजबूत बनाने वाले विटामिन मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व नहीं मिलते जिससे कई गंभीर जटिलताए हो सकती हैं। जैसे-
- इंफेक्शन की आशंका होना।
- ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाना।
- बच्चों का विकास धीमी गति से होना और वजन बढ़ाना।
- कुछ पोषक तत्व जैसे विटामिन ए, जिंक, हेल्दी इम्यून सिस्टम के लिए और सही विकास के लिए जरूरी होते हैं। यदि ये आपके शरीर को यह नहीं मिल रहा है, तो आप कमजोर हो सकते हैं।
