रसोई में मौजूद नेचुरल एंटीबायोटिक चीजें हैं बड़े काम की: Natural Antibiotic
Natural Antibiotic

Natural Antibiotic: छोटी-मोटी बीमारी होने पर भी जल्द ठीक होने के चक्कर में हम अक्सर ऐलोपैथिक मेडिसिन खासकर मंहगी एंटीबॉयोटिक मेडिसिन लेते हैं। जिन्हें एंटीबॉयोटिक रेज़िस्टेंस होने की आशंका के कारण मेडिकल साइंस भी लंबे समय तक लेने के पक्ष में नहीं है। लेकिन अपनी रसोई में आसानी से मिलने वाले नेचुरल एंटीबायोटिक चीजों की अनदेखी कर देते हैं। इनमें कुछ ऐसे औषधीय कंपाउंड या तत्व होते हैं जिनका महत्व मेडिसिन के बराबर होता है। जिनका नियमित उपयोग कर खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ अपनी इम्यूनिटी भी बढ़ा सकते हैं और छोटी-मोटी बीमारियों की गिरफ्त में पड़ने से बच सकते हैं।

लौंग

Natural Antibiotic
Clove

लौंग को चाय या खाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी एगुलेंट तत्व ब्लड क्लॉट बनने से रोकते है, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में होने वाली जलन या सूजन को दूर करता है, एनल्जेसिक या दर्द निवारक है एंटी सेप्टिक की तरह इस्तेमाल होता है। लौंग में टैनिन, इजिनॉल, फ्लेवोनॉयड, ओलियोनॉलिक एसिड, विटामिन जैसे तत्व मौजूद होते हैं। इनकी वजह से लौंग का तेल दांत, गले, कान या टान्सिस के दर्द या ईएनटी संबधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। एंटी हिस्टामाइन गुणों के कारण लौंग साइनस, राइनाइटिस और आर्टिका स्किन जैसी एलर्जी को बढ़ने से रोकता है। एंटीस्पाज्मोडिक गुण के कारण मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करने में मदद करता है। ब्लड शूगर लेवल कम करने में भी मदद करता है। लौंग का तेल अरोमा थेरेपी और सिरदर्द के इलाज में भी मदद करता है।

सावधानी-तासीर में गर्म होने के कारण गर्मियों में लौंग के सेवन से बचें। अधिक सेवन से मुंह में छाले पड़ सकते हैं। लिवर, ब्लड क्लॉट पड़ने या इम्यून डिसऑर्डर के मरीजों को लौंग से परहेज करना चाहिए।

दालचीनी

आहार में खुशबू के साथ बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन को दूर करने में प्रभावी है जैसे-डायरिया, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, डिस्मेनोरिया। इसमें मौजूद एनालॉग इंसुलिन होने से डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद करता है। एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सीडेंट और माइक्रोबियल गुण पेट में होने वाले हेलिकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरियल इंफेक्शन को कंट्रोल  में रखता है। एंटी फंगल होने के कारण वायरस या फंगस इंफेक्शन से बचाता है। इसका सिनेमाल्डिहाइड ऑयल इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। दालचीनी  पाउडर वजन कम करने, बैड कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम करने में मदद करता है।

सावधानी- कॉर्कुमरिन तत्व गैस्ट्रोइंटस्टाइन डिस्आर्डर और एलर्जी भी करता है, इसलिए  रोजाना 1-2 चुटकियों से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। ज्यादा मात्रा में लेने से लिवर, फेफड़े, किडनी या डायबिटीज के मरीजों की तकलीफ बढ़ा सकता है। जीभ, मसूड़ों में सूजन आ सकती है, जलन हो सकती है, स्किन पर पैच पड़ सकते हैं। हाइपोग्लाइसीमिया या लो शुगर की समस्या भी हो सकती है।

जायफल

Nutmeg
Nutmeg

जायफल फ्लेवरिंग एजेंट है। इसमें मस्तिष्क को एक्टिव करने और कामोद्दीपक गुण पाए जाते हैं। हल्लुसीनोजेन यानी मतिभ्रम की स्थिति से उबरने में जायफल मदद करता है। पेट संबंधी, गैस की समस्या, रुमेठी गठिया हो, सेक्सुअल इच्छा बढ़ाने में सहायक है। माइरेस्टिसिन और एलिमीसीन एसेंशियल ऑयल मतिभ्रम जैसी साइकोएक्टिव गतिविधियों को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह घबराहट, जी मिचलाना, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं में फायदेमंद है।

सावधानी- जायफल के ज्यादा सेवन से नशा आ जाता है जिससे घबराहट, सिरदर्द, प्यास लगना, आंखों में जलन, बेहोशी का कारण बनता है। गर्भवती महिलाओं को भ्रूण में दोष आने या गर्भपात होने का खतरा भी रहता है। 

हल्दी

शक्तिशाली प्राकृतिक चिकित्सकीय एजेंट और इम्यून सिस्टम बूस्टर के रूप में काम करती है। इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी फंगल, एटी कार्सोनोजेनिक, एंटी बॉयोटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी जैसे गुण मिलते हैं। करक्युमिन नामक यौगिक फ्री रेडिकल्स कणों केा शरीर से बाहर निकाल़ता है जिससे शरीर के इम्यून सिस्टम केा सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलती है। शरीर में आई सूजन, जलन और दर्द को कम करता है। ब्रेन के स्टेम सेल्स को रिपेयर कर अल्जाइमर, पार्किसन जैसी न्यूरो डिजनरेटेड डिजीज से बचाने में मदद करता है। हल्दी गांठ का पानी या हल्दी पाउडर प्री डायबिटीज को रिवर्स करने और टाइप 2 डायबिटीज की स्टेज आने को रोकता है। करक्युमिन गॉलब्लेडर में बाइल के निर्माण को स्टीमुलेट करता है जिससे डायजेशन प्रक्रिया सुचारू रूप् से चलती है। एंटी सेप्टिक, एंटी बैक्टीरियल जैसे हीलिंग गुण होने की वजह से हल्दी इंफेक्शन,बर्न या चोट से बचाती है। चोट लगने पर हल्दी का लेप लगाना प्रभावी है। 

सावधानी- तासीर में गर्म होने के कारण इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाता है। ज्यादा लेने पर त्वचा पर रैशेज, दाने हो सकते हैं।

अदरक

Ginger
Ginger

एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेटएएंटी इंफ्लीमेटरी, स्टीमुलेंट इम्यूनिटी बूस्ट करता है। गैस्ट्रिक या आंतों के मूवमेंट को बढ़ाता है, जिससे डायजेशन प्रक्रिया अच्छी होती है। अपच, पेट दर्द जैसी समस्याओं में आराम पहुंचाता है। फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालकर रक्त प्रवाह को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। ब्लड वैसेल्स में सूजन और दर्द कम होता है। बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। यह कार्डियोटोनिक होने के कारण हृदय गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। एंटी इंफ्लीमेटरी होने के कारण आर्थराइटिस में सूजन और दर्द को कम करता है। अदरक रोगनिवारक का काम भी करता है। गर्भवती महिला को होने वाले हाइपरमेसिस ग्रेविडरम यानी बहुत ज्यादा घबराहट, उल्टियां आ रही हैं, मार्निंग सिकनेस, एनोक्सिया हाइपोक्सिया, डिप्सिया, ब्रोंकाइटिस, रूमेटाइड दर्द में अदरक का सेवन बहुत फायदेमंद है। वमनरोधी हाने के कारण उल्टी आने पर अदरक चूसने से आराम मिलता है। एंटी फंगल, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण सर्दी-जुकाम, गले में खराश में राहत पहुंचाता है।

सावधानी- हार्ट प्रॉब्लम के मरीज को अदरक सेवन में घ्यान रखना चाहिए। दिन में 3-5 ग्राम अदरक ले सकते हैं।

लहसून

एंटी ऑक्सीडेंटए एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और माइक्रोबियल गुण, सल्फ्यूरिक और ओर्गेनिक एसिड युक्त एलिसिन कंपाउंड इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के साथ&साथ कई बीमारियों से हमारा बचाव करता हैं। इसमें मौजूद एलिसिन कंपाउंड इसके एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों को बढाते हैं। हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मदद करते हैं। किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाव करने, सूजन, दर्द और बदलते मौसम में होने वाली एलर्जी को कम करने में मदद काम करता है।  एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पेट में ई कोलाई, साल्मोनेला एंटरिटिडिस जैसे बैक्टीरिया से पेट कीं गड़बड़ियों को दूर करने और पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। 

पॉली सल्फाइड कंपाउंड हृदय की धमनियां खोलने और खून के प्रवाह को बढाने में मदद करते हैं जिससे हृदय कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रहता हैं। एलिसिन एंटी ऑक्सीडेंट  सेल्युलर म्यूटेशन और केंसरस सेल्स को बढ़ने से रोकता है जिससे कोलोरेक्टल, किडनी, लंग्स, मुंह, प्रोस्टेट और गले के केंसर का खतरा कम होता है। मूत्रवर्धक प्रकृति का होने के कारण लहसून का नियमित सेवन शरीर से टॉक्सिक पदार्थो को बाहर निकालकर  किडनी, लिवर और ब्लड प्यूरिफायर का काम करता है।

सावधानी- गर्मी के मौसम में और पित्त संबंधी विकार वाले व्यक्तियों अपेक्षाकृत कम करना बेहतर है। इससे  शरीर में दाने निकलना, रैशेज, खुजली जैसी स्किन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ज्यादा सेवन से पेट फूलना, आंतों में सूजन जैसी  समस्याएं भी हो जाती है। रोजाना 2&5 कलियां खा सकते हैं, पाउडर 1 ग्राम तक ले सकते हैं

शहद

Honey

रोजाना एक चम्मच शहद का सेवन फ्री रेडिकल्स से दूर रख कर हमें कई बीमारियों से बचाता है और  हमारी स्किन तथा बालों के लिए भी फायदेमंद है। एंटीऑक्सीडेंट तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। ग्लूकोज़ और फ्रुक्टोज़ शरीर में अवशोषित होकर मसल्स की थकान कम करके उन्हें एनर्जी प्रदान करते हैं। ब्लड शूगर के स्तर को विनियमित करता है। हाइपोग्लासिमिक सूचकांक को नियंत्रित कर टाइप 1 के मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। एंटीबैक्टीरियल गुणांे से भरपूर शहद श्वसन तंत्र में संक्रमण को दूर कर खांसी मे राहत पहुंचाता है। दालचीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से धमनियों और दिल की नसों को पुनर्जीवित करने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है।

प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण शहद प्राकृतिक चिकित्सा का बेहतरीन विकल्प है। घाव पर बैक्टीरिया को विकास और संक्रमण से दूर रखता है, दर्द कम करने और जल्द आराम पहुंचाने मे मदद करता है। एंटी माइक्रोबियल और एंटी फंगल गुणों के कारण शहद जैविक स्किन केयर में उपयोगी है। नियमित इस्तेमाल से त्वचा स्वस्थ और चमकदार होती है। एक प्राकृतिक ह्यूमीटेंट के रूप में शहद त्वचा की परतों को हाइड्रेट कर नमी बनाए रखता है। एंटीऑक्सीडेंट और हाइड्रेटिंग गुण डेड स्किन को हटा कर नई त्वचा कोशिकाओं के विकास में सहायक है। एंजाइम और पोषक तत्वों से भरपूर शहद रूखे और बेजान बालों को नमीयुक्त और चमकदार बनाता है। एंटीबैक्टीरियल तत्व बालों में रूसी की समस्या को खत्म करते हैं और बालों के झड़ने की समस्या से निजात दिलाता है।

सावधानी- डायबिटीज में परहेज करना ही बेहतर है। 12 महीने से छोटे शिशुओं के लिए शहद का सेवन नुकसानदेह है। इसमें मौजूद क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम बैक्टीरिया मांसपेशियों मे कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत कर सकता है।

सौंफ

ड्राई फ्रूट हर्ब के नाम से जानी जाने वाली सौंफ स्कर्वी, सोयासिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं में फायदेमंद है। ब्लोटिंग कम करती है बच्चों में भी पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाती है। एंेठन दूर करने, एंटी सेप्टिक का काम करती है, अस्थमा, ब्रोंकाइटस या प्रदूषण से होने वाली श्वसन संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए रामबाण है। यूरिन न आना, दांत में दर्द, मुंह की बदबू दूर करने, पेट दर्द कम करने, ज्यादा प्यास लगने जैसी समस्याओं के उपचार में सहायक है। खाने के बाद चुटकी भर सौंफ चबाकर खाना डायजेशन संबंधी समस्याओें को दूर करता है। 

सावधानी- शूगर कोटिड सौंफ की जगह नेचुरल सौंफ का इस्तेमाल करना बेहतर है। पूरे दिन में 10-15 ग्राम तक ले सकते हैं।