World Antibiotic Awareness Week
World Antibiotic Awareness Week

World Antibiotic Awareness Week हर साल 18-24 नवंबर के बीच मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आम लोगों, हेल्थ वर्कर और पॉलिसी मेकर के बीच एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस को बढ़ने से रोकना है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2050 तक करीब 10 मिलियन मृत्यु एंटी- माइक्रोबियल रेसिस्टेंस की वजह से होंगे। केवल भारत में ही साल 2010 में 12.9 बिलियन यूनिट एंटी-बायोटिक की खपत हुई थी। ये आंकड़े हमें एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस को और बढ़ने से रोकने के लिए जरूरी कदम लेने को कहते हैं।

एंटी-बायोटिक का इतिहास 

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एंटी-बायोटिक

पहले एंटी-बायोटिक को एलेग्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा 1928 डिस्कवर किया गया था। इसका नाम पेनिसिलिन रखा गया था। तब से लेकर कई एंटीबायोटिक को डिस्कवर किया जा चुका है और यह मॉडर्न मेडिसिन के लिए जरूरी भी बन गए हैं। लेकिन इसके जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल और गलत इस्तेमाल सेएंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस बढ़ रहा है। 

आज इस आर्टिकल में हम एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस के बारे में फरीदाबाद स्थित क्यूआरजी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के इंटरनल मेडिसन के कन्सल्टेन्ट डॉ अनुराग अग्रवाल से जानने और समझने की कोशिश कारेट हैं। 

क्या है एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस?

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इम्यूनिटी

सरल भाषा में समझें तो, किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए हम बॉडी को एंटी बायोटिक देते हैं। जब वह शरीर पर असर नहीं करता है, उस कीटाणु पर असर नहीं करता है, तो उसे एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस कहते हैं। कीटाणु से लड़ने के लिए हमें 2 चीजें चाहिए- अपने शरीर की इम्यूनिटी और एंटी बायोटिक। 

बढ़ा है एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस

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एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस

एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस पहले के मुकाबले बढ़ गया है। उदाहरण के लिए- वायरल बुखार में इसकी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन फिर भी इसमें एंटी-बायोटिक दवाइयां दे दी जाती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मरीज अपनी बीमारी के लिए डॉक्टर के पास न जाकर दवाइयां खुद खरीद रहा है। यह सबसे बड़ा कारण है एंटी बायोटिक रेसिस्टेंस का। इसलिए सबको यह सलाह दी जाती है वे डॉक्टर की बिना सलाह के एंटी बायोटिक बिल्कुल न खाएं। 

क्यों है एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस चिंता का विषय?

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डॉक्टर की सलाह

एंटी-बायोटिक के बढ़ते हुए इस्तेमाल से पूरी दुनिया में एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस बढ़ रहा है। इस वजह से निमोनिया और मेनिनजाइटिस जैसी बीमारियों का इलाज करने में दिक्कत होने लगी है। एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस की वजह से डॉक्टर को लंबे समय के लिए स्ट्रॉन्ग दवाइयां प्रेसक्राइब करनी पड़ रही हैं। इससे रोगियों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और क्रॉनिक बीमारियों से सफर कर रहे लोगों में इंफेक्शन के खतरे को मैनेज करने में दिक्कत आ रही है। 

ऐसे कंट्रोल में लाएं एंटी-बायोटिक रेसिस्टेंस

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पर्सनल हाइजीन
  1. एंटी-बायोटिक तभी लें, जब इसकी जरूरत हो। अपने डॉक्टर से पूछें क्या वाकई एंटी-बायोटिक मददगार है। सर्दी- जुकाम, साइनस इन्फेक्शन और अन्य इन्फेक्शन को एंटी-बायोटिक के बिना भी ठीक किया जा सकता है। इसलिए एंटी-बायोटिक का दुरुपयोग बिल्कुल न करें। 
  2. डॉक्टर की सलाह के बिना एंटी-बायोटिक का सेवन बिल्कुल न करें।  
  3. अपनी पर्सनल हाइजीन मेन्टेन रखें। सुनिश्चित करें कि आप खाना खाने से पहले और बाद में अपने हाथ जरूर साफ करें। इससे आप इन्फेक्शन से खुद को बचाते हैं। 
  4. बिना टेस्ट और रिपोर्ट के एंटी बायोटिक न लें। इससे एंटी बायोटिक रेसिस्टेंस बढ़ता है। 

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