युवतियों में बढ़ती पीसीओएस की समस्या: PCOS Problem
PCOS problem increasing among girls

PCOS Problem: पीसीओएस यानी की पॉलिसिस्‍िटक ओवरी सिंड्रोम की समस्‍या पहले जहां 30 के ऊपर की महिलाओं में होती थी, वहीं आज कम उम्र की लड़कियां इस परेशानी से गुजर रही हैं। डॉक्‍टरों के अनुसार यह बीमारी पिछले 10-15 सालों में दोगुनी हो गई है।

मोटापा अपने आप में एक बीमारी है और यदि उसके ऊपर से कोई और बीमारी हो जाए तो जीना मुश्किल हो जाता है। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस भी इसी श्रेणी में आता है। जी हां, आपको यह जान कर ताज्जुब होगा कि मोटापे की शिकार महिलाओं में 90 प्रतिशत से भी अधिक को पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस अथवा पीसीओडी होने का खतरा होता है।

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PCOS Problem
PCOS

पीसीओएस बांझपन के मुख्य कारणों में से एक है। अध्ययनों के मुताबिक मौजूदा समय में गर्भधारण के एज ग्रुप वाली तकरीबन 35 महिलाएं इससे पीड़ित हैं। आखिर इस बीमारी का कारण है क्या और इससे कैसे निजात पाएं? आइए जानें- क्‍या है पीसीओएस? पीसीओएस तब होता है जब ओवरी हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाती है।
हार्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है। इस कंडीशन की वजह से ओवरी में छोटा अल्‍सर (सिस्‍ट) बन जाता है। अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है तो न केवल ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि यह आगे चल कर कैंसर का रुप भी ले लेती है। दरअसल महिलाओं और पुरुषों दोनों के शरीरों में ही प्रजनन संबंधी हार्मोन बनते हैं। पीसीओएस की समस्या से ग्रस्त
महिलाओं के अंडाशय में हार्मोन सामान्य मात्रा से अधिक बनते हैं। यह स्थिति सचमुच में घातक साबित होती है। ये सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होते हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। अंडाशय में ये सिस्ट एकत्र होते रहते हैं और इनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। यह स्थिति पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिन्ड्रोम कहलाती है और यही समस्या ऐसी बन जाती है, जिसकी वजह से महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं।

kya hain lakshan
PCOS Symptoms

पीसीओएस की समस्या में आमतौर पर अनियमित माहवारी, मोटापा, बांझपन, मुंहासे, शरीर के बालों की अनियमित ग्रोथ और सिर के बालों के कम होने जैसे लक्षण दिखते हैं। इसके साथ ही पेट के आस-पास अत्यधिक मात्रा में फैट जमा होने की समस्या भी दिखती है। अधिकतर महिलाओं को इस बीमारी का
पता इन लक्षणों के इलाज के दौरान चल पाता है। कुछ मामलों में ये लक्षणकिशोरावस्था की शुरुआत और माहवारी के शुरू होने के समय से दिखने लगते हैं, तो कई मामलों में 25-26 साल की उम्र के बाद ये लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। अलग-अलग क्लाइमेट में रहने वालों में इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

आखिर ऐसे क्या कारण है कि कम उम्र की लड़कियां इस बीमारी की चपेट में हैं-

आप जो भी खाती हैं उसका प्रभाव इंसुलिन रजिस्टैंस तथा माटोपे पर पड़ता है। इसलिए अत्यधिक तैलीय, मीठा व वसा युक्त भोजन न खाएं। मीठा भी सेहत के लिये खराब माना जाता है। इस बीमारी के पीछे डायबिटीज भी एक कारण हो सकता है। अपने खाने पीने में हरी-पत्तेदार स‍ब्जियों को शामिल करें और जितना हो सके उतना फल खाएं।

मोटापा हर मर्ज में परेशानी का कारण बनता है। ज्यादा वसा युक्त भोजन, व्यायाम की कमी और जंक फूड का सेवन तेजी से वजन बढ़ाता है। अत्यधिक चर्बी से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जो ओवरी में सिस्ट बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है, इसलिए वजन घटाने से इस बीमारी को बहुत हद तक काबू में किया जा सकता है। जो महिलाएं बीमारी होने के बावजूद अपना वजन घटा लेती हैं, उनकी ओवरीज में वापस अंडे बनना शुरू हो जाते हैं।

इन दिनों ज्‍यादा काम के चक्‍कर में तनाव और चिंता अधिक रहती है। इस चक्‍कर में लड़कियां अपने खाने-पीने का बिल्‍कुल भी ध्‍यान नहीं देती। साथ ही लेट नाइट पार्टी में ड्रिंक और स्‍मोकिंग उनकी लाइफस्‍टाइल बन जाती है, जो बाद में बड़ा ही नुक‍सान पहुंचाती है, इसलिये अपनी दिनचर्या को सही कीजिये और स्‍वस्‍थ्‍य रहिये।

1. पीसीओएस को सही किया जा सकता है। अगर हार्मोन को संतुलित कर लिया जाए तो यह अपने आप ही ठीक हो जाएगा। आजकल की लड़कियों को खेल में भागलेना चाहिए और खूब सारा व्‍यायाम करना
चाहिए।
2.इसके अलावा अपने खाने-पीने का भी अच्‍छे से ख्‍याल रखना चाहिय तभी यह ठीक हो सकेगा।
3. साथ ही बिना दवा या दवा लेकर पीसीओएस की समस्या दूर करने के लिए महिलाओं को अपने जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरूरी होता है।
4. संतुलित आहार और नियमित व्यायाम इस बीमारी से निजात दिलाने में सबसे बड़ा सहायक होता है।
5. पीसीओएस से पीड़ित मोटी महिलाओं को सबसे पहले अपना वजन घटाना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि पीसीओएससे पीड़ित मोटी महिलाओं में 10 से 15 किलो वजन घटाने से भी बांझपन की
समस्या से 75 प्रतिशत तक छुटकारा मिलता है।
6. मधुमेह दो ऐसी जानलेवा बीमारियां हैं जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों को
न्यौता देती हैं। पोली सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि शरीर में हारमोन्स के असंतुलन के कारण पैदा हुई एक ऐसी समस्या है, जिसको उपचार व चिकित्सा के जरिए कम
किया जा सकता है।
7. महिलाओं को एल्कोहल व धूम्रपान के सेवन से भी बचना चाहिए। पीसीओएस
को अब एक जेनेटिक बीमारी के रूप में पहचाना जा रहा है, जो परिवार में किसी को भी हो सकती है। इसका लिंक मधुमेह से भी हो सकता है। आज इस समस्या के नियंत्रण व उपचार के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी कई डायग्नोस्टिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।