Running During Periods : महावारी यानी पीरियड्स एक ऐसा समय होता है जब शरीर शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही बदलावों से गुजरता है। कई महिलाएं इस दौरान थकान, दर्द या चिड़चिड़ापन महसूस करती हैं, और ऐसे में एक्सरसाइज़ या रनिंग करना एक चुनौती जैसा लगता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि पीरियड्स के दौरान रनिंग करना नुकसानदायक नहीं, बल्कि फायदेमंद भी हो सकता है? आइए जानते हैं, पीरियड्स में दौड़ने के क्या असर होते हैं और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
रनिंग से दर्द में राहत मिलती है
पीरियड्स के समय पेट और कमर में दर्द होना आम बात है। लेकिन हल्की दौड़ लगाने से शरीर में एंडॉर्फिन नामक हार्मोन रिलीज होता है, जो नेचुरल पेनकिलर की तरह काम करता है और दर्द को कम करता है।
मूड बेहतर होता है, स्ट्रेस होता है कम
इस समय हार्मोनल बदलावों की वजह से मूड स्विंग्स और तनाव ज्यादा हो सकते हैं। रनिंग से शरीर और दिमाग रिलैक्स होता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और आप हल्का महसूस करती हैं।
थकान से लड़ने में मदद मिलती है
पीरियड्स में आलस और थकान महसूस होना आम है, लेकिन रनिंग से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जिससे एनर्जी लेवल ऊपर आता है और आप पूरे दिन एक्टिव बनी रह सकती हैं।
ब्लोटिंग और सूजन में राहत
पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को पेट फूला हुआ और भारी लगता है। हल्की दौड़ या ब्रिस्क वॉक ब्लोटिंग को कम करने में मदद कर सकती है, जिससे पेट हल्का और आरामदायक महसूस होता है।
वजन बढ़ने की संभावना होती है कम
इस समय खाने की क्रेविंग ज्यादा होती है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना होती है। लेकिन अगर आप थोड़ी रनिंग कर लें तो कैलोरी बर्न होती है और वजन बढ़ने से बचा जा सकता है।
पीरियड साइकल रेगुलर रहने में मदद
नियमित रूप से रनिंग करने से हार्मोनल बैलेंस बेहतर होता है, जिससे पीरियड्स समय पर आते हैं और अनियमितता की समस्या धीरे-धीरे कम हो सकती है।
रनिंग करते समय रखें सावधानियां
अगर आपको बहुत ज्यादा ब्लीडिंग या दर्द होता है, तो उस दिन रनिंग करने से बचें। शरीर का ध्यान रखें, ज्यादा तेज दौड़ने से बेहतर है कि आप हल्की रनिंग या वॉक करें। अच्छे एब्जॉर्बेंट पैड या टैम्पॉन का इस्तेमाल करें ताकि आपको असहजता न हो।
