I am 40 now, changes are bound to happen
I am 40 now, changes are bound to happen

After 40 Life Changes: आखिर 40 उम्र ही ऐसी है। डरिए नहीं, सब सामान्य है। यह है सिर्फ हार्मोनल बदलाव। 40 की उम्र के बाद एस्ट्रोजन की कमी होना एक सामान्य प्रक्रिया है। यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करें।

केस 1: कुछ दिन पहले प्रीति से मुलाकात हुई। मैं हैरत में पड़ गई। बीस साल पहले की प्रीति और आज की बहन जी दिखने वाली प्रीति में कितना बदलाव आया है। बीस साल पहले वो चहकती, कूदतीफांदती और चुस्त-दुरुस्त थी। और तो और पूरे शरीर में कंटीली कसावट थी। जब पूछा इतनी कैसे बदल गई, तो जवाब था अब मैं पचास साल की बूढ़ी होती महिला हूं। नम आंखों और दबी आवाज में प्रीति बोली तुम्हारे साथ भी यही होगा जब मेनोपॉज से गुजरोगी।
केस 2: दो-तीन साल पहले तक नारायणी पतली-दुबली लड़की थी। आज वो इतनी मोटी हो गई है कि कपड़े उसे दर्जी से सिलवाने पड़ते हैं। उसके साइज के कपड़े रेडीमेड मिलते ही नहीं। पूछने पर बोली ऐसा 40 के बाद हर महिला के साथ होता है।
केस 3: रानी की उम्र 46 साल है। बारबार हड्डी में फ्रैक्चर आ रहा है। डॉक्टर को दिखाने पर पता लगा कि 40 की उम्र के एस्ट्रोजन की कमी से हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो सकती है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है। इन तीनों केस से हमारा मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि सचेत करना है। 40 की उम्र के बाद महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। बता दें कि
जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं। खासतौर पर 40 की उम्र के बाद हार्मोनल बदलाव तेजी से होते हैं। महिलाओं के शरीर में एक मुख्य हार्मोन होता है जिसे
एस्ट्रोजन कहा जाता है। यह हार्मोन पीरियड्स को नियंत्रित करता है, त्वचा को चमकदार तथा नम बनाता है, हड्डियों को मजबूत रखता है और महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य में बड़ी भूमिका निभाता है।
डॉ. दीपशिखा नाहर कहती हैं असल में 40 की उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है। यह बदलाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे पेरिमेनोपॉज
कहा जाता है। इसके बाद मेनोपॉज आता है, जब पीरियड्स पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। यह 50 की उम्र के बाद आता है जब मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। लेकिन भारत में आज की जीवनशैली और तनाव के कारण 44-45 की उम्र में महिलाओं के मासिक धर्म बिल्कुल बंद हो जाते हैं।

After 40 Life Changes-Symptoms of Peri Menopause
Symptoms of Peri Menopause

एस्ट्रोजन कम होने के कारण शरीर और मन दोनों पर असर होता है। इसके लक्षणों को जानकर आप समझ सकते हैं कि पेरिमेनोपॉज में हैं आप। ये हैं- पीरियड्स अनियमितता, कभी जल्दी, कभी देर से, ब्लीडिंग भी कभी ज्यादा, कभी कम हो सकती है, अचानक चेहरे, गर्दन या शरीर में तेज, गर्मी लगना और पसीना आना, नींद में परेशानी- नींद टूट जाना या गहरी नींद न आना, जल्दी गुस्सा आना, उदासी या चिंता बढ़ जाना, बिना मेहनत के भी थका-थका महसूस करना, खासकर पेट और कमर के आसपास चर्बी जमा होना, बाल कमजोर हो सकते हैं और त्वचा रूखी महसूस हो सकती है, सेक्स में रुचि कम हो सकती है और योनि में सूखापन महसूस हो सकता है और एस्ट्रोजन की
कमी से हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो सकती है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है।

I am 40 now, changes are bound to happen
I am 40 now, changes are bound to happen

ये बदलाव सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं होते, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर भी असर डालते हैं। कई महिलाएं इस दौर में खुद को अकेला या असहाय महसूस करने लगती हैं। यह समझना जरूरी है कि ये लक्षण आम हैं और हर महिला को किसी न किसी रूप में इनका सामना करना पड़ता है।

डॉ. दीपशिखा नाहर का कहना है कि इस तरह के बदलावों से घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ आसान उपायों को अपनाकर एस्ट्रोजन की कमी के असर को कम किया जा सकता है। साथ ही मासिक धर्म पूरी तरह से बंद होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसे ना रोका जा सकता है और ना ही टाला जा सकता है। मासिक धर्म बंद होने पर प्राकृतिक रूप से मां नहीं बना जा सकता, लेकिन विविध तरीकों से महिला बच्चे को जन्म दे सकती है।

प्राकृतिक रूप से मां नहीं बना जा सकता, लेकिन विविध तरीकों से महिला बच्चे को
जन्म दे सकती है।

संतुलित आहार लें: दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम और तिल जैसी चीजों में कैल्शियम और विटामिन-डी होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। सोया, अलसी और चना जैसे फूड्स में फाइटोएस्ट्रोजन होते हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन जैसे काम करते हैं। ज्यादा पानी पीएं और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें।

तनाव से बचें: मेडिटेशन, गहरी सांस लेना और अपने लिए समय निकालना
जरूरी है। दोस्तों और परिवार से बात करें।
नींद पूरी करें: हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद लें। सोने का एक तय समय रखें।
डॉक्टर से सलाह लें: अगर लक्षण बहुत ज्यादा हो रहे हैं तो डॉक्टर से मिलें। कुछ मामलों में डॉक्टर हार्मोन रिह्रश्वलेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) की सलाह देते हैं, लेकिन ये हर किसी के लिए नहीं होती। इसे शुरू करने से पहले डॉक्टर की पूरी सलाह लेना जरूरी है।
(आभार- लेख डॉ. दीपशिखा नाहर प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, निदेशक एवं सलाहकार, नाहर अस्पताल, इंदौर से बातचीत पर आधारित है)

रोजाना 30 मिनट वॉक या योग करने से शरीर फिट रहता है और मूड भी अच्छा रहता है।
इससे हड्डियां भी मजबूत रहती हैं।