धार्मिक आस्था से जिन पेड़ों को पूजा जाता है वो सबसे ज्यादा आॅक्सीजन देने वाले पेड़ हैं। इतना ही नहीं इनका चिकित्सा विज्ञान में भी विशेष महत्व है।

पीपल का पेड़

पीपल के पेड़ को वृक्षों का राजा माना गया है। इस पर लोगों की विशेष धार्मिक आस्था होती है। इस पेड़ की पूजा लोग खास तौर पर अपने कष्टों के निवारण के लिए करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस वृक्ष में यम का वास होता है। इसलिए उत्पत्ति के कामों में इसकी पूजा नहीं होती। वैदिक युग में पीपल को अश्वत्था के नाम से पुकारा जाता था। पुराणों में इसे कल्प वृक्ष भी कहा गया है। अथर्व वेद में वर्णित है कि ये वृक्ष शत्रुओं का नाश करता है वहीं स्कंद पुराण में बताया गया है कि पीपल की पूजा करने से सभी प्रकार के दूर्भाग्य दूर हो जाते हैं। पीपल से संबन्धित कुछ अन्य मान्यताएं भी प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यहां माता लक्ष्मी हर शनिवार वास करती हैं। सीता जी को ढूंढते हुए हनुमान जी ने इसी वृक्ष में विश्राम किया था।

वैज्ञानिक महत्व आयुर्वेदिक उपचार में पीपल का खास महत्व है। इसका इस्तेमाल संक्रमण दूर करने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने और विषाक्त दूर करने के लिए किया जाता है। उपचार के लिए इसकी पत्ती, बीज और फल काम में आते हैं। पीपल से अस्थमा, रक्त संबन्धी समस्याएं, किडनी की समस्याओं का इलाज भी किया जाता है।

बरगद का पेड़

बरगद का पेड़

बरगद के पेड़ को हिंदू मान्यता में त्रिमूर्ति के रूप में देखा जाता है। माना जाता है इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो का वास होता है। जिसमें इसकी जड़ों को ब्रह्मा, तने को विष्णु और शाखाओं को भगवान शिव माना गया है। माना जाता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से सभी प्रकार की कामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही इससे धन की प्राप्ति भी होती है। अग्नि पुराण में बताया गया है कि वटवृक्ष की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है। इस वृक्ष को स्थाइत्व का प्रतीक भी माना गया है। मान्यता है कि सावित्री ने इसी वृक्ष के नीचे तपस्या कर अपने पति की लम्बी आयु पाई। इसलिए सौभाग्य और सुहाग के लिए इसकी खास तौर पर पूजा की जाती। ये विशाल पेड़ सामाजिक और वैज्ञानिक दोनो रूप में महत्वपूर्ण है। बड़ी संख्या में लोग एक वृक्ष की छाया तले बैठ सकते हैं, इसके पत्तों का इस्तेमाल दोना बनाने में किया जाता है।

वैज्ञानिक महत्व- इस पेड़ को मृदा संरक्षण के लिए जरूरी माना गया है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल उपचार के लिए भी किया जाता है। मसूड़ों और दातों की समस्या होने पर इसकी हवा में लटकी जड़ों को चबाने से आराम आता है। इसकी छाल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। बरगद से डायरिया, अवसाद, गुप्तरोग, मधुमेह जैसी समस्याओं का उपचार संभव है।

तुलसी का पौधा

तुलसी का पौधा

तुलसी को वृंदा के नाम से जानते हैं। माना जाता है कि ये दानव पुत्री माता लक्ष्मी का अवतार और वैद्य थी। इनके पति जलंधर को मारने के लिए भगवान विष्णु ने छल से वृंदा से विवाह रचाया था। प्रबोदिनी एकादशी को तुलसी विवाह किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा में इनकी पूजा का विशेष महत्व है। तुलसी विष्णु को अतिप्रिय हैं इसलिए इन्हें विष्णु प्रिया कहते हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख, शांति और सम्पन्नता आती है।

वैज्ञानिक महत्व जैसे धार्मिक मान्यता में तुलसी को पवित्रता का प्रतीक माना गया है उसी तरह विज्ञान भी इस पौधे को विषाक्तों को दूर करने के लिए जरूरी मानता है। शरीर को डीटॉक्स करने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तुलसी की चाय काम आती है। बालों, त्वचा, आखों को तुलसी से विशेष लाभ मिलता है। इसका इस्तेमाल ऐंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाइयों को बनाने के लिए किया जाता है। शोध बताते हैं तुलसी से स्ट्रेस हार्मोन संतुलित बने रहते हैं। इसलिए सिर दर्द को ठीक करने के लिए इसका सेवन किया जा सकता है। तुलसी धूम्रपान छुड़वाने मे भी मददगार है।

नीम का पेड़

नीम का पेड़

नीम के पेड़ में मां शीतला का वास मानते हैं। दक्षिण भारत में मान्यता है कि मां मरिम्मन इस पेड़ में वास करती हैं जो चर्म रोगों को ठीक करती हैं। इस वृक्ष को अच्छी सेहत के लिए पूजा जाता है। धार्मिक आस्था में इसे सर्व रोग निवारणी, अरिस्था और निम्बा पुकारा जाता है जिसका मतलब है, सभी प्रकार के रोगों से दूर रखने वाला।

वैज्ञानिक मान्यता मेडिकल साइंस में नीम का खास महत्व है। इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। त्वचा को भी इसको ढेरों लाभ मिलते हैं। लिप्रोसी, आखों की समस्या, नाक से खून आना, पेट की समस्या, ह्रदय रोग, लिवर और दातों की समस्या में नीम से उपचार किया जाता है।

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