women's problem
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बदलते समय के साथ महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। हालांकि तकनीकी उन्नयन ने इन स्वास्थ्य समस्याओं में कमी लाने में अहम योगदान दिया है। यहां महिलाओं में बार-बार होने वाली ऐसी पांच स्वास्थ्य समस्याओं और उनके उपचार में टेक्नोलॉजी के योगदान पर प्रकाश डाला जा रहा है-

प्रजनन संबंधी समस्याएं

रिपोर्टों के अनुसार, 15 और 44 वर्ष उम्र के बीच की लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं को गर्भधारण या इसे सफलतापूर्वक बनाए रखने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रजनन संबंधी समस्याएं एंडोमेट्रियोसिस और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की वजह से होती हैं। इसके अन्य कारकों में फेलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होना, अनियमित ऑव्यूलेशन और गर्भाशय की अनियमितताएं शामिल हैं। हालांकि, उपचार विकल्पों की भरमार की वजह से चिकित्सा या सर्जरी या आईयूआई, आईवीए, आईसीआई जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के जरिये प्रजनन में मदद मिल रही है।

फर्टिलिटी रेस्टोरेशन सर्जरी से महिला की प्रजनन क्षमता में सुधार आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे लोकप्रिय चिकित्सकीय उपचारों में शामिल हैं-

लैपरोस्कॉपिक या हिस्टेरोस्कॉपिक सर्जरी

इस प्रणाली का इस्तेमाल गर्भधारण की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। एंडोस्कॉपी से जुड़े एक छोटे कैमरे की मदद से असामान्य गर्भाशय आकार को ठीक करने, पेल्विस या अटेरिन एधेसिव हटाने, या एंडोमेट्रियल पॉलिप्स और कुछ तरह के फाइबरॉयड्स (जो गर्भाशय छिद्र का आकार प्रभावित करते हैं) हटाने के लिए किया जाता है। 

surgery

ट्यूबल सर्जरी तब की जाती है जब फेलोपियन ट्यूब बंद हो जाती है या इसमें हाइड्रोसैलपिंक्स जैसे फ्लूड फंस जाते हैं। इस प्रक्रिया से चिपके पदार्थो को हटाने, ट्यूब को बड़ा करने और नई ट्यूबल ओपनिंग बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, हाइड्रोसैलपिंक्स या गर्भाशय के पास की ट्यूब को ब्लॉक करने के लिए ट्यूब को हटाने से आईवीएफ के जरिये गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है।

आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन 

यह अंडे, शरीर से निकले शुक्राणु के निशेचन की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में ओवरी पर नजर रखना और स्टिमुलेटिंग, उसके बाद अंडाशय से ओवा को हटाना और फिर लैबोरेटरी में लिक्विड में शुक्राणु को निशेचित करना शामिल है। इस प्रक्रिया को इसकी सफलता की ऊंची दर (40-50 प्रतिशत प्रति उपचार चक्र) की वजह से काफी हद तक अपनाया जाता है।

fat

मोटापा

यह एक ऐसी जटिल बीमारी है जो अत्यधिक बॉडी फैट के जमा होने के कारण पैदा होती है। रिपोर्टों के अनुसार, ‘भारत में 23त्न से ज्यादा महिलाएं या तो ज्यादा वजन की या ज्यादा मोटी हैं, जो पुरुषों (20त्न) की तुलना में ज्यादा है।’ मोटापा सिर्फ एक कॉस्मेटिक चिंता नहीं है बल्कि इससे अन्य बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ावा मिलता है। इस तरह से, मोटापे को दूर करना जरूरी है। जहां आहार में बदलाव, शारीरिक गतिविधि में वृद्धि और व्यवहारगत बदलावों से आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है, वहीं निर्धारित चिकित्साएं और वजन घटाने वाले तरीके मोटापे के उपचार के मुख्य विकल्प हैं।

मोटापे के उपचार के लिए ऐसी एक लोकप्रिय प्रक्रिया एंडोस्कॉपिक है। हालांकि एंडोस्कॉपिक के कई प्रकार हैं, लेकिन इसमें स्किन पर किसी तरह का चीरा लगाने की जरूरत नहीं होती है। जब व्यक्ति को एनेस्थेसिया दिया जाता है, तो फ्लेक्सीबल ट्यूब और टूल्स मुंह के जरिये पेट में पहुंचाए जाते हैं। इसके अलावा, इन प्रक्रियाओं का इस्तेमाल उस स्थिति में सामान्य तौर पर 30 या इससे अधिक के बीएमआई वाले लोगों के साथ किया जाता है, जब आहार और व्यायाम सफल नहीं रहते हैं। वजन घटाने वाली अन्य सामान्य सर्जरियों (जैसे बैरिएटिक सर्जरी) में गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी, एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंडिंग, बिलियोपनक्रिएटिक डाइवर्जन और गैस्ट्रिक स्लीव शामिल हैं।

बालों की अत्यधिक या अवांछित वृद्धि होना

हर्सूटिज्म यानी अत्यधिक बाल निकलना एक ऐसी समस्या है, जिसमें शरीर और चेहरे पर बहुत ज्यादा या अवांछित बाल निकल आते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, ‘अत्यधिक बालों की समस्या 5-10 प्रतिशत महिलाओं को होती है, और यह परिवारों में बनी रहती है।’ शरीर पर अत्यधिक बालों से शॄमदगी की स्थिति पैदा हो सकती है, लेकिन यह खतरनाक नहीं होती है। इस तरह से विभिन्न उपचारों के जरिये, महिलाएं बालों के अत्यधिक विकास को रोक सकती हैं।

बाद में चलन में आई ऐसी एक लोकप्रिय प्रक्रिया लेजर हेयर रिमूवल है। इस उपचार में आपके हेयर फॉलीसाइल में बदलाव लाने के लिए लाइट रेज का इस्तेमाल कर बालों को हटाया जाता है। जहां प्रभावित या क्षतिग्रस्त फॉलीसाइल में बाल उगने की संभावना नहीं होती है, और पहले से निकले बाल गिर जाते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त उपचारों के साथ लेजर हेयर रिमूवल से स्थायी या आंशिक स्थायी परिणाम निकल सकता है। बालों को हटाने की अन्य प्रक्रिया इलेक्ट्रोलिसिस है। इस प्रक्रिया में हरेक फॉलीसाइल का व्यक्तिगत तौर पर उपचार कर बाल हटाने के लिए इलेक्ट्रिक करंट का इस्तेमाल होता है।

Hair loss

हेयर लॉस

एजिंग प्रक्रिया के दौरान, कई महिलाओं को फीमेल- पैटर्न हेयर लॉस (एफपीएचएल) की समस्या सामने आती है और हार्मोन असंतुलन की वजह से यह स्थिति गंभीर हो सकती है। इस स्थिति को एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया या एंड्रोजेनिक एलोपेसिया के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या सामान्य तौर पर रजोनिवृति के दौरान और उसके बाद होती है और आखिरकार इसमें बाल काफी पतले हो जाते हैं। 

बालों के नुकसान के प्रभावी उपचार मौजूद हैं, और आप निश्चित तौर पर हेयर लॉस की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं या इस समस्या में कमी ला सकते हैं। हेयर लॉस के लिए दो लोकप्रिय उपचार हैं हेयर ट्रांसप्लांट या लेजर थेरेपी।

ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के दौरान, बालों को सिर के एक हिस्से से हटाया जाता है और फिर उन्हें सिर के गंजेपन वाले हिस्से पर लगाया जाता है।

लेजर थेरेपी का इस्तेमाल सामान्य तौर पर पुरुषों और महिलाओं में बालों की वंशानुगत नुकसान की समस्या दूर करने में किया जाता है और इसका असर लबे समय तक बना रहता है। 

Hypertension

हाइपरपिगमेंटेशन

यह स्थिति सामान्य तौर पर महिलाओं में तब पाई जाती है जब फीमेल सेक्स हार्मोन मेलानिन के अत्यधिक उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, हाइपरपिगमेंटेशन के कुछ खास हार्मोन उपचार के दुष्प्रभाव भी देखे जा सकते हैं। हालांकि हाइपरपिगमेंटेशन एक सामान्य त्वचा समस्या है और इसके लिए फेस एसिड रेटिनॉयड्स, केमिकल पील, लेजर पील, माइक्रोडर्माब्रेसन, डर्माब्रेसन, और इंटेंस पल्स लाइट थेरेपी (आईपीएल) जैसे उपचार मौजूद हैं। 

स्किन रीसर्फेसिंग या लेजर पील ट्रीटमेंट का इस्तेमाल हाइपरपिगमेंटेशन घटाने के लिए किया जाता है। इसमें दो तरह के लेजर होते हैं- एबलेटिव और नॉन-एबलेटिव और इनमें एबलेटिव लेजर ज्यादा तेज होता है, और वह आपकी स्किन की लेयर हटाने का काम करता है। 

इंटेंस पल्स लाइट थेरेपी या आईपीएल ऐसे नॉन-एबलेटिव लेजर उपचार का प्रकार है, जो डर्मिस के अंदर कॉलेजन के विकास को बढ़ावा देता है।

माइक्रोडर्माब्रेसन हाइपरपिगमेंटेशन के उपचार में मददगार है। इस प्रक्रिया के दौरान, वायर ब्रश या अन्य एब्रेसिव के साथ एक ड्रिल जैसा टूल इस्तेमाल किया जाता है।

डर्माब्रेसन प्रक्रिया एपिडर्मिस हटाने से जुड़ी होती है, लेकिन इसका असर आपके डर्मिस पर बना रहता है। इस तकनीक से झुर्रियां हटाने और टेक्सचर संबंधित समस्याएं दूर करने में मदद मिलती है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है, अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लें, और ऐसे उपचारों का चयन करें जो आपको बेहतर परिणाम देने में मददगार हों।

– डॉ. मनीषा राजपाल सिंह

(सीनियर कंसल्टेंट, स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रमुख, रीप्रोडक्टिव मेडिसिन एंड सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल, बैनरघाटा रोड, बेंगलूरू)

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