Female Detective: जासूसी से जुड़े हुए किस्से-कहानियां हमने खूब सुनी हैं। ये कहानियां इतनी रोचक होती हैं कि इन्हें सुनने और देखने का मन बार-बार करता है। इनपर कई फिल्में भी बनी हैं और किताबे भी लिखी गईं हैं। जासूसी की दुनिया असल में खतरों से घिरी होती है। जब भी खतरों वाले काम की बात आती है, तो पहला विचार हमारे दिमाग में आता है कि ये तो कोई पुरुष ही कर सकता है, जबकि जासूसी के इतिहास में कई ऐसे नाम हैं जो महिलाओं के हैं, जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ और चालाकी से कई बड़े-बड़े कामों को अंजाम दिया है।
इस लेख में हम उन्हीं महिला जासूसों के बारे में बाते करेंगे जिन्होंने अपनी निडरता का परिचय देते हुए साबित किया की वे परिस्थिति के हिसाब से अपने आपको नाजुक और कठोर दोनों बना सकती हैं।
शी जिआनकिआओ

यह चाइनीज़ मिलिट्री अफसर शी कॉन्गबीन की बेटी थीं। शी कॉन्गबीन की मौत एक साजिश के तहत हुई थी। इसी का पता लगाने के लिए शी जिआनकिआओ ने जासूसी की दुनिया में कदम रखा। अपने पिता की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए उन्हें चाइनीज़ मिलिट्री के बारे में जानने था , जिसको दुनिया की सबसे खतरनाक मिलिट्री में से एक माना जाता है। ऐसे में उसकी जासूसी करना एक खतरनाक काम था। लेकिन शी जिआनकिआओ ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए बिना दो पल गंवाए ये रास्ता चुना। इन्होंने जासूसी की दुनिया में शी गुलान नाम से कदम रखा। 1935 में पिता की मौत का बदला लेने के लिए जासूस शी ने चीनी नेता सुन चुआंगफांग की हत्या की थी। हत्या के बाद वह वहां से भागने के बजाय वहीं खड़ी रही।
इसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकद्दमा चला। 1936 में जिआनकिआओ को रिहा करने का फैसला दिया गया। कोर्ट ने कहा कि ये हत्या अपने पिता की हत्या से आहत होकर की गई।
शॉर्लेट कॉर्डी
इन्होंने फ्रांस की क्रांति के दौरान जासूसी की थी और उस क्रांति का हिस्सा रही थीं। शॉर्लेट का पूरा नाम मैरी एन शार्लेट डी कॉर्डी था। शॉर्लेट एक गिरोडिन थीं। फ़्रांस की क्रांति में गिरोडिन उन लोगों को कहा जाता था जो राजशाही के खिलाफ थे और उसे ख़त्म करना चाहते थे, लेकिन हिंसा के भी ख़िलाफ़ थे। लेकिन क्रांति और हिंसा शायद ही दूर रहती है। इसलिए हिंसा को ना अपनाने वाली शॉर्लेट ने अपने विपक्षी जैकोबिन समूह के नेता जीन पॉल मैराट की हत्या की। यह वर्ष 1793 का जुलाई महीना था। शार्लेट ने मैराट को उस वक्त चाकू मारा जब वो बाथटब में नहा रहे थे। जब उन्हें इस हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया गया तो शॉर्लेट ने इसे देश हित में की गई हत्या कहा। उन्होंने दावा किया कि इस एक हत्या से उन्होंने सैकड़ों-हज़ारों की जान बचाई है। लेकिन इसके चार दिन बाद ही उन्हें सज़ा दे दी गई।
डबल एजेंट ‘माता हारी’

‘माता हारी’ का असली नाम मार्गेथा गीरत्रुइदा मैकलियोड था। नाम छुपाने के लिए इन्होंने जासूसी की दुनिया में अपना नाम ‘माता हारी’ रखा। ये खूबसूरत तो बहुत थीं लेकिन उससे ज्यादा ये अपने नृत्य के लिए प्रसिद्ध थीं। इन्हें प्रथम विश्व युद्ध में जासूसी करने के आरोप में गोली मार दी गई। इनकी जिंदगी पर हॉलीवुड में 1931 में फिल्म भी बन चुकी है जिसमें ग्रेटा गर्बो ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इनका जन्म हॉलैंड में हुआ था और शादी एक फ़ौजी कैप्टन से। इनका रिश्ता काफी बुरा चला और इस रिश्ते से जन्मे नवजात बच्चे को भी इन्होंने खो दिया। साल 1905 मार्गेथा ने खुद को ‘माता हारी’ की पहचान दी और इटली के मिलान स्थित ला स्काला और पेरिस के ओपेरा में एक कामुक नृत्यांगना बनकर उभरीं। अब वे अपने पेशे में खूब सफर किया करती थीं और सफर करने के ही दौरान वे जासूसी करने लगीं। इन्होंने प्रथम विश्व युद्ध जर्मनी से पैसे लेकर जासूसी जर्मनी के लिए जासूसी करना शुरू कर दिया। माता हारी ने ख़ुद तो किसी को नहीं मारा, लेकिन उनकी जासूसी ने लगभग 50 हज़ार फ्रांसिसी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। इसके बाद फ़्रांस को उन पर शक़ होने लगा। फरवरी 1917 में उन्हें पेरिस से गिरफ्तार कर लिया गया और अक्टूबर में उन्हें गोली मार दी गई।
नैंसी वेक
इन्हें लोगों की मदद करने के लिए जाना जाता है। फ्रांस में जब जर्मनी घुसपैठ हुई तो नैंसी ने सबसे पहले लोकल प्रतिरोधी समूहों की मदद करनी शुरू की। जल्द ही वह बड़े स्तर पर काम करने लगी। इस बीच जर्मनी को इस बारे में पता चल गया। लेकिन जर्मनी के आगाह होते ही वह फ्रांस भाग गईं। इस बीच नैंसी से बदला लेने के लिए नैंसी के पति को मार दिया गया।
ब्रिगित मोअनहॉप्ट

इनकी गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक महिलाओं में होती है। जर्मनी की सबसे खूंखार महिला मानी जाने वाली ब्रिगित मोअनहॉप्ट रेड आर्मी फैक्शन की सदस्य भी पह चुकी हैं। ब्रिगित 1977 में जर्मनी में एक आतंकी गतिविधि में शामिल रहीं हैं। यह 70 के दशक की बात है जब वामपंथी समूहों ने पश्चिम जर्मनी में एक के बाद एक कई हाईजैक, हत्याएं और बम धमाके किए। जहाज हाईजैक के साथ लगभग 30 लोगों की हत्या इस समूह ने की। ये अपराध पश्चिम जर्मनी में पूंजीवाद को खत्म करने के नाम पर किए 1982 में इस अपराध में शामिल होने के कारण मोअनहॉप्ट को गिरफ्तार किया गया और पांच साल की सज़ा सुनाई गई। इसके अलावा उन्हें 15 साल की सज़ा नौ अन्य हत्याओं के मामले में भी सुनाई गई।
लेकिन सज़ा सुनाने से क्या होता है। मोअनहॉप्ट ने कभी अपना जुर्म कबूल नहीं किया और 2007 में उन्हें परोल पर जेल से बाहर आने का मौका मिला।
एजेंट पेनेलोपे

यह इज़राइल की एजेंट थीं और इजरायली इंटेलीजेंस एजेंसी मोसाद के लिए काम करती थीं। ये फ़लस्तीनी समूह ब्लैक सितंबर के नेता अली हुसैन सलामे की हत्या समूह में शामिल रहीं हैं। अली हुसैन वही नेता है जिसने साल 1972 में म्यूनिख़ ओलिंपिक के दौरान 11 इज़राइली खिलाड़ियों को बंधक बनाया और उनकी हत्या कर दी। इस हत्या के जवाब में इज़राइली प्रधानमंत्री गोल्डे मेरी के आदेश पर ‘ऑपरेशन व्रैथ ऑफ गॉड’ शुरू किया गया और इस ऑपरेशन को अंजाम देते हुए अली हुसैन सलामे की हत्या की गई। इस काम को अंजाम देने के लिए
पेनेलोपे ने लगभग छह हफ़्ते का वक़्त उस अपार्टमेंट के पास बिताया जहां अली हुसैन रहा करते थे। अली हुसैन सलामे की हत्या बम धमाके से हुई थी जिसमें पेनेलोपे भी मारी गईं। इस तरह अपने देश के प्रति फर्ज निभाते हुए एक जाबांज़ महिला की मौत हो गई।
वर्जिनिया हॉल

इन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन दोनों के लिए काम किया है। यह वर्जिनिया यूएस के बाल्टीमोर की थीं। इन्होंने सीआईए के साथ ज़्यादा समय बिताया था। इन्हें एक बार काम से टर्की जाना पड़ा और इसी दौरान एक भयानक एक्सीडेंट में घुटनों से नीचे अपने पैर भी खो दिए। तब से वह एकांत में जीवन बिताने लगीं। वह जर्मन इंटेलिजेंस के भीतर ‘द लिम्पिंग लेडी’ के नाम स भी जानी जाती थी।
माधुरी गुप्ता
जासूसी की दुनिया में भारतीय महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। इसमें सबसे पहले नाम आता है माधुरी गुप्ता को जो भारतीय राजनयिक थीं। इन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप लगे। वह इस्लामाबाद में इंडियन हाई कमीशन में मीडिया सेक्शन में बतौर सेक्रेटरी काम कर रही थीं। इन्हें साल 2010 में उन्हें समन भेजकर दिल्ली बुलाया गया और दिल्ली एयरपोर्ट में ही इन्हें आने को कहा और एयरपोर्ट पर कदम रखते ही उन्हें इंटिलिजेंस ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। भारत के ख़िलाफ़ जासूसी करने के लिए इन्हें 14 साल की सज़ा सुनाई गई।
नूर इनायत ख़ान

अंत में हम बात करते हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत और खतरनाक महिला की जो ब्रिटेन के लिए काम करती थीं। यह पहली महिला थी, जिन्हें बतौर रेडियो ऑपरेटर नाज़ी द्वारा कब्ज़े में लिए गए फ्रांस में भेजा गया था। इन्हें विंस्टन चर्चिल की स्पेशल ऑपरेशन एक्जीक्यूटिव द्वारा जासूसी के मिशन पर भेजा गया था ताकि जर्मन सेना के प्लान को पता लगा सकें। जासूसी करने के ही दौरान इन्हें जर्मनी की सीक्रेट पुलिस ने पकड़ लिया और गोली मार दी
यह थी महिला जासूसों की लिस्ट जिन्होंने अपने खतरनाक चालों से मिलिट्री और पुलिस को खूब दौड़ाया और परेशान किया।