Birth plan in pregnancy
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Summary: गर्भवती महिलाओं में Low-Lying Placenta क्यों होता है? जानिए जरूरी बातें

गर्भावस्था में प्लेसेंटा की निचली स्थिति है, जो ब्लीडिंग जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। नियमित जांच, आराम और डॉक्टर की सलाह से इसे सुरक्षित रूप से संभाला जा सकता है।

Low-Lying Placenta: गर्भावस्था का समय एक महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत समय होता है, लेकिन कई बार यह खूबसूरत समय मुश्किलों भरा हो सकता है जो गर्भवती महिला को चिंता तथा तनाव में डाल सकता है। गर्भवती महिला के लिए ऐसी ही एक तनाव की स्थिति है लो-लाइंग प्लेसेंटा। यह एक ऐसी स्थिति जो पहली बार सुनते ही गर्भवती महिला के मन में डर पैदा कर देता है, लेकिन गर्भवती महिला को जानना यह जरूरी है कि यह स्थिति आम है तथा सही देखभाल और डॉक्टर की जानकारी के लो-लाइंग प्लेसेंटा को सुरक्षित रूप से संभाल जा सकता है। आइए इस लेख में लो-लाइंग प्लेसेंटा के लक्षणों तथा देखरेख के बारे में जानते हैं।

Low-Lying Placenta
Low-lying Placenta

गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा का कार्य गर्भ में पल रहे शिशु तक ऑक्सीजन तथा पोषण पहुंचने का है। सामान्यत प्लेसेंटा की स्थिति गर्भाशय की ऊपरी दीवार पर होती है, लेकिन कई बार प्लेसेंटा की स्थिति गर्भाशय की निचली दीवार पर होती है, इसी स्थिति को लो-लाइंग प्लेसेंटा कहते हैं। जरूरी नहीं कि यह स्थिति पूरे गर्भावस्था में बनी रहे शिशु के बढ़ने के साथ प्लेसेंटा की स्थिति में बदलाव आ सकता है।

लो-लाइंग प्लेसेंटा के मुख्य तीन प्रकार होते हैं

लो लाइंग; इस स्थिति में प्लेसेंटा सर्विक्स के पास होता है, लेकिन सर्विक्स को ढकता नहीं है।

पार्शियल प्रीविया; इस स्थिति में प्लेसेंटा सर्विक्स को कुछ हद तक ढकता है।

कंप्लीट प्रीविया; इस स्थिति में प्लेसेंटा सर्विक्स को पूरी तरह से ढक लेता है। तीनों स्थितियों में यह सबसे गंभीर स्थिति है।

अगर किसी गर्भवती महिला को लो-लाइंग प्लेसेंटा की स्थिति है तो उसे तीसरे महीने के बाद से वेजाइनल ब्लीडिंग हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान बिना दर्द के खून आना या पेट में हल्का दर्द या दबाव महसूस हो सकता है। जरूरी नहीं की सभी गर्भवती महिला को यह लक्षण नजर आए, कई बार महिला को किसी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते, रूटिंग अल्ट्रासाउंड के दौरान उन्हें लो-लाइंग प्लेसेंटा का पता चलता है।

पूरी तरह आराम करें, अपने शरीर को ज्यादा ना थकाएं, जरूरत से ज्यादा ना चले, चलते समय ध्यान रखें धीरे-धीरे तथा समतल सतह पर चले, ज्यादा वजन ना उठाएं वजन वाले कामों से बचें।

अगर गर्भावस्था लो-लाइंग प्लेसेंटा है तो साथी से संबंध बनाने से बचें, जब तक आपका डॉक्टर सलाह ना दे तब तक यौन संबंध ना बनाएं। खासकर अगर ब्लीडिंग की समस्या है तो।

अगर आपको हल्का वजाइनल ब्लीडिंग भी हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें, इस स्थिति को टालना खतरनाक हो सकता है।

अपने खाने में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और फोलिक एसिड से भरपूर आहार को शामिल करें तथा शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी तथा पेय पदार्थ लें।

लो-लाइंग प्लेसेंटा केस में आपको नियमित रूप से डॉक्टर से जांच तथा अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी है, ताकि प्लेसेंटा की क्या स्थिति है पता लगाया जा सके।

अगर गर्भावस्था के अंतिम महीने तक प्लेसेंटा की स्थिति लो-लाइंग बनी रहती है तो डॉक्टर सी-सेक्शन डिलीवरी की सलाह देते हैं, ताकि मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...