अपनी शेप या सही आकार में वापसी
डिलीवरी के बाद भी छह महीने की गर्भवती दिखना कितना अजीब लगता है। डिलीवरी के बाद पहनने के लिए जो जींस घर से लाई गई थी। उसे यूं ही वापिस ले जाना पड़ता है क्योंकि आपकी कमर अभी तक वैसी ही मोटी है।
नई माँ, भावी माँ कब तक लगती रहेगी?
यह उत्तर चार कारकों पर निर्भर करता है:- गर्भावस्था में कितना वजन बढ़ा था, कैलोरी की मात्रा पर कितना काबू है कितना व्यायाम करती है या आपका मेटाबॉलिक कितना है।
व्यायाम की क्या जरूरत है? दरअसल शिशु के काम से जुड़ी भागदौड़ व थकान को व्यायाम मानने की गलती न करें। इससे आपके पैरीनियल या पेट की मांसपेशियाँ अपने सही आकार में नहीं लौटती। आपको गर्भावस्था के बाद किए जाने वाले सही तरह के व्यायाम करने होंगे। इससे प्रसव व डिलीवरी की थकान घटेगी और आप अपने पहले आकार में वापिस आ सकेंगी। कीगल व्यायाम से मूत्राशय पर नियंत्रण बढ़ेगा और सेक्स से जुड़ी समस्याएँ दूर होंगी। आपकी काम करने की क्षमता बढ़ेगी और मूड भी बेहतर रहेगा आप अपने तनाव का बेहतर तरीके से सामना कर सकेंगी।यदि आपकी डिलीवरी योनि मार्ग से हुई है तथा जटिल नहीं थी तो आप डिलीवरी के कुछ समय बाद ही व्यायाम शुरू कर सकती है।पहले डॉक्टर से भी पूछ लें।
पहले छः सप्ताह के लिए कुछ नियम
1. आरामदायक वस्त्र व ब्रा पहनें।
2. व्यायाम सत्र को दो-तीन हिस्सों में बाँटें।एक ही बार में अधिक व्यायाम करने से नुकसान हो सकता है।
3. हल्के व्यायाम से सत्र आरंभ करें। धीरे-धीरे व्यायाम करें व बीच-बीच में आराम करें।
4. पहले 6 हफ्तों में किसी भी तरह के झटके, सदमे या तेज गति से बचें।सिट-अप या डबललैग लिफ्ट जैसे व्यायाम न करें।
5. अपनी हृदय गति जानें।
6. व्यायाम के बाद पर्याप्त मात्रा में द्रव्य लें।
7. जरूरत से ज्यादा व्यायाम न करें। थकान महसूस होते ही रुक जाएँ वरना आप अगले दिन व्यायाम करने की हालत मेंनहीं रहेंगी।
8. अपना पूरा ध्यान रखें। शिशु को भी यही अच्छा लगेगा।
पहले छः सप्ताह में वर्कआउट
1. सहारा देने वाली ब्रा व आरामदायक कपड़े पहने।
2. व्यायाम के सैशन को दिन में दो-तीन बार में बाँटें।
3. हल्के व्यायाम से शुरूआत करें।
4. धीरे-धीरे व्यायाम करें। शरीर को झटका न लगने दें। आपके लिगामेंट ढीले है। इसलिए व्यायाम सोच कर ही करें।
5. रल पदार्थों की भरपूर मात्र लें ताकि पानी की कमी न हो जाए।
6. जरूरत से ज्यादा व्यायाम के चक्कर में न पड़ें। थकान से पहले ही रुक जाएं।
7. शिशु के साथ-साथ आपकी देखभाल भी जरूरी है। इस तथ्य को कभी न भूलें।
बेसिक पोजीशन
पीठ के बल लेटकर घुटने मोड़ें, पाँव करीब 12 इंच की दूरी पर हों। तलवे फर्श पर टिके रहें। सिर व कंधों को कुशन से सहारा दें व बाजुएं दोनों ओर रहें।
पेल्विक टिल्ट
पीठ के बल बेसिक मुद्रा में लेटें। सांस लें। सांस छोड़ते हुए पीठ को फर्श की ओर धकेलें। फिर आराम में इसे 3-4 बार दोहराते हुए 12 और फिर 24 बार करें।
लैग स्लाइड
बेसिक मुद्रा में लेट कर टाँगे फर्श पर बिछाएँ। सांस लेते हुए दाईं टांग को ऊपर की ओर मोड़ें। कमर को फर्श से जोड़े रखें। टांग नीचे ले जाते हुए सांस छोड़ें फिर बाएँ पांव से दोहराएँ। इस मुद्रा को कई बार दोहराएँ। कुछ सप्ताह बाद आप इसी व्यायाम में थोड़ा बदलाव भी ला सकती हैं।
हैड/शोल्डर लिफ्ट
बेसिक मुद्रा में लेटें। गहरी सांस लेते हुए सिर उठाकर बाजू फैलाएं व सांस छोड़ें।सिर नीचे करते हुए सांस लें। हर रोज ज्यादा सिर उठाने की कोशिश करें। पहले छः सप्ताह में अपनी गति धीमी रखें। इसे करने से पहले ‘पेट के सेपरेशन’ वाले बिंद पर ध्यान दें।
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