‘‘मेरे काम में काफी तनाव रहता है। हालांकि मैं अभी मां नहीं बनना चाहती थी लेकिन अचानक गर्भवती हो गई। क्या मुझे काम छोड़ देना चाहिए?”
तनाव को आप किस रूप में लेती हैं, यह उसी आधार पर अच्छा या बुरा हो सकता है।यदि आप इसे अच्छे तरीके से लेना जानती हैं तो इसी के बल पर बेहतर से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं वरना यह आप पर हावी होकर आपको तहस-नहस कर सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि गर्भावस्था कुछ खास तरह के तनाव के स्तर से प्रभावित नहीं होती, यदि आप उस तनाव से उबर सकती हैं तो आपका शिशु भी उसका सामना कर लेगा लेकिन अगर इस तनाव की वजह से आपकी रातों की नींद उड़ जाए या आप अवसाद से घिर जाएं,सिर-दर्द, पेट-दर्द या भूख की कमी महसूस करने लगें। इसकी वजह से धूम्रपान या मदिरापान जैसी गलत आदतें अपना लें या बुरी तरह निढाल हो जाएं तो बेशक यह एक समस्या बन सकता है। अगर दूसरी व तीसरी तिमाही में भी तनाव के लिए यह नकारात्मक प्रतिक्रिया जारी रहे तो उसे खत्म करना एक प्राथमिकता बन जाना चाहिए। निम्नलिखित उपाय आपके काम आ सकते हैं।
भार हल्का करें :- अपने मन का भार किसी के सामने हल्का कर दें। अपने साथी के साथ मन की हर बात बांटें। रात को बिस्तर पर जाने से पहले हर तनाव, हर चिंता से छुटकारा पा लें।हर समस्या का समाधान तलाशें। मिलकर हंसें बोलें। यदि वे भी तनावग्रस्त हों तो किसी दूसरे साथी की मदद लें। यदि तनाव के शारीरिक लक्षण भी सामने आ रहे हों तो डॉक्टर की राय लें। दूसरी गर्भवती मांओं से मेलजोल बढ़ाएं। दोस्ताना माहौल में आप अपने मन को काफी हद तक शांत कर सकती हैं।
रिलैक्स हो जाएं :- क्या तनाव हावी हो रहा है? तब तो आपको योग की रिलैक्सेशन तकनीकें अपनानी होंगी। आप किसी योग कक्षा में या डीवीडी की मदद से घर बैठे इस आसान तकनीक को आप कहीं भी व किसी भी समय आसानी से सीख सकती हैं। आप जब भी चिंता में हों दिन में एक बार योग करके इसका (चिंता)निवारण कर सकती हैं। आंखें बंद करके बैठ जाएं। किसी सुंदर दृश्य की कल्पना करें व सोचें कि आप शिशु को बांहों में लिए बैठी हैं। शरीर की हर मांसपेशी को ढीला छोड़ें तो ‘हां’ या ‘न’ शब्द जोर से बोलें। इसे 10 से 20 मिनट तक दोहराएं। 1-2 मिनट भी कर लेंगी तो भी काफी फर्क पड़ेगा। आपको तनाव व उत्तेजना से मुक्ति मिलेगी।
इस बारे में कुछ करें :- अपने जीवन में तनाव के स्रोतों का पता लगाएं और देखें कि उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है। कुछ ऐसे काम छोड़ दें, जो प्राथमिकता की सूची में न आते हों। अगर आपने घर व ऑफिस में कई जिम्मेवारियां ले रखी हों तो तय करें कि उन्हें किसे सौंपा जा सकता है या कब तक स्थगित किया जा सकता है। जब ज्यादा घबराहट हो तो कागज-कलम लेकर बैठ जाएं और किए जाने वाले कामों की सूची बनाएं व तय करें कि आप उन्हें कब करना चाहेंगी। इस तरह आपको सब कुछ नियंत्रित लगेगा जो काम होते जाएं सूची में से काटती जाएं ताकि आपको लगे कि भार कुछ हल्का हुआ है।
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पूरी नींद लें :- नींद भी किसी दवा से कम नहीं है इससे तन-मन दोनों ही शांत हो जाते हैं।कई बार सोने से भी काफी तनाव और उत्तेजना शांत हो जाते हैं। अगर आपको सोने में दिक्कत हो रही हो तो इसी पुस्तक में दिए गए उपाय आजमाएं।
पर्याप्त पोषण :- व्यस्त दिनचर्या आपकी खानपान की आदतों को भी प्रभावित करती है। गर्भावस्था में तो गलत खान-पान की आदतें और भी कष्ट देती हैं। दिन में कम से कम 6 बार हल्का भोजन करें जटिल कार्बोज व प्रोटीन पर जोर देते हुए, कैफीन व चीनी की मात्रा घटाएं।पोषक आहार लेने से भी तनाव घटता है।
आशावादी बनें :- माना जाता है कि आशावादी ज्यादा लंबा व स्वस्थ जीवन जीते हैं। गर्भवती मां आशावादी हो तो बालक का नजरिया भी बदल सकता है। शोधकर्ताओं ने देखा और पाया है कि गर्भवती महिलाओं में प्रसव से पहले खतरों की संभावना काफी कम होती है। इस तरह गर्भावस्था से जुड़े खतरे भी घट जाते हैं। तनाव के निम्न स्तर की आशावादी महिलाओं के गर्भावस्था के खतरे निश्चित रूप से घट जाते हैं। तनाव के उच्च स्तर पर गर्भावस्था के समय व बाद में महिलाएं स्वास्थ्य की अनेक समस्याओं से उलझती हैं। तनाव में वे पूरी बातें नहीं बताती। ऐसी महिलाएं जो आशावादी हों कहीं बेहतर तरीके से अपना ध्यान रख पाती हैं, उचित खान-पान, व्यायाम, उचित देखभाल करें,धूम्रपान व मद्यपान से दूर रहकर दवाओं के उचित उपयोग द्वारा। वे अपने सकारात्मक व्यवहार व चिंतन से गर्भावस्था पर सकारात्मक व्यवहार डालती हैं।आप भी अपनी गर्भावस्था में इन आशावादी रवैए को अपना कर बहुत कुछ पा सकती हैं, बस आपको दूध से भरे आए गिलास को ‘आधा खाली’ देखने की बजाय ‘आधा भरा हुआ’ देखना होगा।
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योग अपनाएं :- अपना तनाव घटाने के लिए योग या तैराकी जैसी कसरत की मदद लें।अपनी व्यस्त दिनचर्या में से इनके लिए समय अवश्य निकालें।
स्नान करें :- हल्के गुनगुने पानी से नहा लें। इससे तनाव घटेगा और मन शांत हो जाएगा। आपको गहरी नींद भी आएगी।
इससे दूर हो जाएं :- तनाव से लड़ें, इसका सामना करें। कोई अच्छी फिल्म देखें, किताब पढ़ें या संगीत सुनें। बेबी के लिए सुंदर जूते बुनें।किसी दोस्त के साथ मंच पर जाएं। डायरी लिखें। ऑनलाइन सर्च करें। या फिर यूं ही चहलकदमी के लिए निकल जाएं।
कारण ही मिटा दें :- अगर कोई कारण ऐसा है, जिसे मिटाया या हटाया जा सकता है तो उसमें देर न लगाएं। काम का ज्यादा बोझ हो तो, उसे दूसरों के साथ बांटें। यदि ज्यादा तनाव की वजह से नौकरी बदलना चाह रही हैं तो कम से कम कुछ समय तो रुक ही जाएं। शिशु के जन्म के बाद ही इस बारे में सोचें।
वैकल्पिक चिकित्सा :- कई पूरक व वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से भी तनाव घटाया जा सकता है; जैसे एक्यूपंचर,बायोफीडबैक, सम्मोहन थैरेपी या मालिश। ध्यान व मानसिक चित्रण भी कारगर हो सकते हैं। मन ही मन सुंदर कुदरती दृश्यों की कल्पना करें। रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास भी कारगर हो सकता है।
याद रखें कि शिशु आने के बाद तनाव की मात्रा बढ़ने वाली है इसलिए अभी से इससे निपटना सीख लें।
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