‘‘मैं नट्स, चिप्स और फास्ट फूड की दीवानी हूं । मुझे पता है कि मुझे सेहतमंद खाना लेना चाहिए और मैं लेना भी चाहती हूं लेकिन मैं अपनी आदतें नहीं बदल पा रही।”
अगर आप आदतें बदलना चाह रही हैं तो मान लें कि आपने आदतें बदलने की दिशा में पहला कदम उठा ही दिया है। सबसे पहले तो इसके लिए अपने-आप को बधाई दें! हालांकि इस बदलाव के लिए कुछ गंभीर कदम उठाने होंगे लेकिन ऐसे कई रास्ते हैं, जिनकी मदद से हम आपकी आदत बदल सकते हैं।
1. खाना साथ ले जाएं :- अगर नाश्ते की मेज पर कॉफी पीने की इच्छा हो तो घर से ही पौष्टिक व सेहतमंद नाश्ता लेकर जाएं, जिसमें कॉम्पलैक्स कार्ब और प्रोटीन का मिश्रण हो।इस तरह आपका पेट भरा रहेगा और जंक फूड खाने की इच्छा ही नहीं होगी। अगर आप जानती हैं कि दुकान में जाकर आप वहां खाना देखकर मचल जाएंगी तो वहां न ही जाएं।अपने आसपास की दुकान से हैल्दी सैंडविच ऑर्डर करें या फिर ऐसी जगह जाएं जहां तले-भुने व्यंजन न मिलते हों।
2. थोड़ी प्लानिंग जरूरी है :- गर्भावस्था के दौरान लगातार सेहतमंद और पौष्टिक भोजन चाहिए। अपने घर की अलमारियों में ऐसे खाद्य पदार्थ रखना न भूलें। उन होटलों या रेस्त्रां के नंबर अपने पास रखें, जहां से फोन करके साफ-सुथरा पौष्टिक खाना मंगवाया जा सकता है। भूख बहुत तेज होने से पहले ही खाना आर्डर कर दें। घर, काम के स्थान, बैग व कार में ऐसे स्नैक्स रखें जो भूख मिटा सकें,जैसे ‒ फल, ट्रेल मिक्स, सोयाचिप्स, साबुत अनाज से बने ग्रेनोला बार व क्रेकर, योगर्ट या स्मूदीज़, स्ट्रिंग चीज़ या वैजीस। अगली बार प्यास लगने पर सोडा पीने का मन न करे इसलिए अपने पास पानी रखें।
3. लालच से बचें :- कैंडी, चिप्स, कुकीज़ व साफ्ट ड्रिंक को घर से निकाल दें ताकि दिमाग में भी उनका ख्याल न आए। पेस्ट्री के डिब्बे के लालच में न आए। यह लालच आपको महँगा पड़ सकता है।

4. विकल्प तलाशें :- कोई भी पदार्थ जो बहुत स्वादिष्ट लगता हो, आप उसका विकल्प भी तलाश सकती हैं। विकल्प ऐसा हो कि स्वाद की लत भी पूरी हो जाए और आपको पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व भी मिल जाएं। यदि आपका मन आईसक्रीम के लिए ललचा रहा है तो आप मीठे में जूस बार या गाढ़ा क्रीमी फ्रूट स्मूदी भी ले सकती हैं।
5. शिशु का रखें ध्यान :- आप जो खाती हैं, शिशु भी वही खाता है लेकिन कई बार तब आपका मन अपने मनपसंद स्वाद के लिए ललचा रहा हो, तो इस बात को याद रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। अपने कमरे में आस-पास सुंदर शिशुओं की तस्वीरें लगाएं घर, ऑफिस या कुर्सी के आसपास लगी ये तस्वीरें सही-गलत की पहचान की प्रेरणा देती रहेंगी।
6. अपनी हदें पहचानें :- कुछ जंक कभी-कभार खाए जा सकते हैं लेकिन कुछ न खाने में ही बेहतरी होती है। अगर आप थोड़ी सी मात्रा से तसल्ली नहीं ले पातीं या थोड़ा खाने के बाद और ज्यादा खाने की इच्छा होने लगती है तो आपको अपनी हदें पहचाननी होंगी।
7. अच्छी आदतें लंबे समय तक साथ निभाती हैं :- स्वस्थ आदतें लंबे समय तक साथ निभाती हैं डिलीवरी के बाद भी नई मां को काफी अतिरिक्त ऊर्जा चाहिए, उस समय यही आदतें आपके काम आएंगी। इस तरह शिशु भी शुरू से आदतों के साथ फलेगा-फूलेगा।
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