मानसून में रहें सावधान: Monsoon Health Tips
Monsoon Health Tips

Monsoon Health Tips: मानसून सीजन यानी कभी हल्की-हल्की बूंदों की रिमझिम, तो कभी मूसलाधार बारिश, कभी पसीने से भिगोती उमस, तो कभी ठंडी हवाएं और इन सबके साथ कदम ताल करती कुछ आम शारीरिक परेशानियां। इन परेशानियों से कैसे छुटकारा पाया जाए। आइए जानें लेख से।

Also read: बारिश देती रोमांस का सुरूर

मानसून सीजन बिमारियों का खजाना है। नगरों की क्या हालत है, यह सब जानते हैं। वहां न तो सफाई व्यवस्था है ना ही गंदे पानी की ठीक से निकासी की व्यवस्था ऐसे में एक दो बारिश में ही नगर के अधिकांश इलाके जल भराव के शिकार हो जाते हैं और पानी के रुकने का मतलब है- गन्दगी, मच्छर और वायु का प्रदूषण और इन सबका सीधा सा मतलब है फंगस इन्फेक्शन, जो दाद, खाज, खुजली के रूप में सामने आता है। डायरिया अर्थात् दस्त-पेचिश एवं उल्टी, पीलिया, जोड़ों का दर्द और भीगने से हुआ सर्दी जुकाम-खांसी।

अब ऐसा तो बिरला ही होगा जो इन हमलों से सुरक्षित निकल आए। डॉ. उपेन्द्र जौहरी का कहना है कि होम्योपैथी के रोग निवारण का सीधा सिद्धांत है, जहर-जहर को मारता है, अर्थात् जिस तत्त्व से शरीर में जो लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं, उस तत्त्व पर आधारित होम्योपैथिक दवा लाभ देगी। हां, अगर दवा उपयुक्त नहीं है, तो वह मात्र मीठी गोली है। उसका कोई नुकसान या साइड इफेक्ट नहीं होता। मानसून सीजन की आम बिमारियों में स्वयं भी होम्योपैथिक दवा ले सकते हैं। हां, लाभ न होने पर किसी योग्य चिकित्सक से संपर्क जरूरी है।
डॉ. जौहरी के अनुसार आम बिमारियों की दवायें इस प्रकार हैं- अतिसार (दस्त)- तथा (मदर टिंचर)।
दाद-खुजली-
पीलिया
जोड़ों का दर्द
सर्दी-जुकाम
मानसिक बेचैनी

आयुर्वेद एवं योग विज्ञान पर समान अधिकार रखने वाले वरिष्ठ योगाचार्य डॉ. एस. के शुक्ला के अनुसार आयुर्वेद की यह मान्यता है कि मानव के शरीर में वात, पित्त, कफ ये तीन दोष एवं मांस, मेद मज्जा, रस, अस्थि, शुक्र एवं रक्त ये सात धातुएं यदि सम मात्रा में हों उसकी मल-मूत्र विसर्जन क्रिया सामान्य हो तथा मन प्रसन्न हो, तो वह स्वस्थ है। बारिश के दिनों में अधिकतर पित्त का संतुलन बिगड़ जाता है अब इसे अगर संतुलित रखना है तो श्रेष्ठ उपाय है त्रिफला का सेवन। रात्रि को डेढ़ चम्मच त्रिफला पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को छानकर नेत्रों पर छींटे मारें और त्रिफला को शहद मिलाकर चाटें।
डॉ. शुक्ला कहते हैं कि ‘मानसून सीजन में हैजा, गैस्टो, डायरिया, मलेरिया, त्वचा रोग और डेंगू कब किस पर आक्रमण कर देंगे कहा नहीं जा सकता।
मानसून सीजन के इन आक्रमणों का मुकाबला जिन हथियारों से किया जा सकता है वह आपके आसपास ही हैं।
इस मौसम में गन्ने का रस, मूली, नींबू, छाछ का खूब सेवन करें। खाली पेट चार-पांच तुलसी एवं नीम की पत्ती चबाएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आपके लिए कवच का काम करेगी।
योग विज्ञान के अनुसार सुबह ब्रह्मï मुहूर्त (सूर्योदय से नब्बे मिनट पूर्व) में उठें और धीरे-धीरे तीन-चार गिलास पानी पिये, तब शौच जाए। कुछ योगाभ्यास, जिनमें सर्वांग आसन, मत्स्य आसन, पवन मुक्तासन, योग मुद्रासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तासन, अर्थ मत्स्येन्द्र आसन प्रमुख हैं, इस ऋतु में अवश्य करें।
इसके साथ ही पांच मिनट नाड़ी शोधन प्राणायाम एवं पांच मिनट कपाल भाती अवश्य करें। इनका प्रशिक्षण किसी योग्य योग-प्रशिक्षक से लिया जा सकता है।
मानसून सीजन में एक सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। वह है पेट का खास ख्याल रखना।
ताजा, सादा व सुपाच्य भोजन, शुद्ध जल (संभव हो तो छानकर एवं उबालकर), भूख से थोड़ा कम भोजन, पानी कई बार में थोड़ा-थोड़ा करके पीना इत्यादि लाभकारी रहता है।
सीलन से बचें। खुली साफ, हवादार, जगह पर सोयें। पूरी नींद सोएं।
सुप्रसिद्ध वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनोकोलोजिस्ट) डॉ. सुनीता कहती हैं कि इधर एक खास फैशन चला है। बॉडी शॉपिंग या जीरो फिगर और डायटिंग। महिलाओं का इस ओर बड़ा ध्यान है। जिम और स्लिमिंग सेंटर जाना फैशन में आ गया है। यह सीजन इसके लिए खतरनाक है। अगर आपने ऐसा कोई कार्यक्रम बनाया है, तो उसे सर्दी आने तक भूल जाएं। अगर पहले से जिम या स्लिमिंग सेंटर जा रहे है, तो भी इन दिनों उधर का रुख न करें। केवल और केवल सूती वस्त्र ही पहनें, खासकर अंडर गारमेंट्स। अगर आप गर्भवती हैं तो खानपान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इस सीजन में पीलिया बड़ी जल्दी होता है। पानी उबालकर पिएं और दूध पीना ही हो, तो गर्म पिएं। भीगने पर खांसी जुकाम हो सकता है, जो आपसे ज्यादा गर्भ में बच्चे को नुकसान पहुंचाएगा। इस कारण भीगने से हमेशा बचें।
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अशोक शिरोमणि कहते हैं कि बारिश में सबसे ज्यादा परेशान करती है, मक्खी-मच्छर जनित बिमारियां। पहले तो इनसे छुटकारा पाने का उपाय करना है। कूलर का पानी जल्दी-जल्दी बदलना तथा नाली की सफाई करना बेहद जरूरी है। फिनायल का प्रयोग अधिक करें। इस सीजन में ह्यूमीडिटी बढ़ जाती है। इससे ही त्वचा रोग होते हैं। इसके लिए हल्के-फुल्के कपड़े पहनें। खाने में इन दिनों ठंडी चीजों से दूर रहना बेहतर है। आइस्क्रीम ब्रांडेड हो, तो खाएं। चटनी, सॉस, जूस, नूडल्स, पास्ता नुकसान दे सकते हैं। अधपका या कच्चा खाना न खाएं। सीधे बर्फ का सेवन न करें तथा साबुन के प्रयोग में नीम या मार्गो साबुन ठीक है। हां, खाने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोएं। इस सीजन में दस्त हो जाना आम बात है। स्वयं कोई दवा न लें। ओआरएस (नमक-चीनी का घोल) लेते रहें और निकटवर्ती चिकित्सक की सलाह लें। बेलपत्र और ईसबगोल लाभप्रद है। पपीता और अनार भूखे पेट न लें, नुकसान करेगा। यह सीजन डायबिटीज के रोगियों को ज्यादा परेशान करता है, अत: खान-पान एवं नियमित दवा का ख्याल रखें।

ज्यादा दस्त हो रहे हों तो धनिये और सौंठ का काढ़ा बनाकर दो दो चम्मच पिलाएं। उल्टी दस्त होने पर एक गिलास ठंडे पानी में 50 ग्राम हल्दी घोलकर थोड़ा-थोड़ा करके कई बार में पिए।
डॉ. शिरोमणि कहते हैं कि ‘इस सीजन की बिमारियों के लिए एलोपैथी में दर्जनों दवाएं हैं और एन्ट्रोक्यूनॉल, डायसिल आदि के नाम लोग भी जानते हैं, लेकिन बिना चिकित्सक की सलाह के कोई दवा लेना खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
इन सबके अलावा हमारी दादी-नानियां भी इस सीजन की समस्याओं को सुलझाने के ढेर सारे घरेलू नुस्खे जानती हैं। बच्चों की प्यारी नानी के नाम से मशहूर पूर्व विभागाध्यक्ष (संगीत) श्रीमती सरला इन्दवार से जब हमने मानसून सीजन की बात की तो उन्होंने ढेर सारे नुस्खे बता डाले। मसलन पेट दर्द हो रहा हो, तो हींग, अजवायन, काला नमक, एक कली लहसुन बारीक पीसकर, मूंग के दाने जैसी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक गोली गुनगुने पानी से लें, दर्द ठीक हो जाएगा। सौंठ, अनारदाना, पीपर एवं हरड़ बराबर मात्रा में लेकर बारीक कूट लें। अब इसे नींबू के रस में घोटकर छोटी-छोटी गोली बना लें। भोजन के बाद दो-दो गोली ताजा पानी से लें। इससे खाना जल्दी पचेगा और गैस भी नहीं बनेगी।

इस सीजन में बदहजमी हो जाती है। इसके लिए दो पत्ते पान डंठल सहित और एक तोला अजवायन पीसकर खा लें, राहत मिलेगी। पेट भारी-भारी लगे तो नमक अजवायन दोनों को बराबर मात्रा में सौंठ मिलाकर पीसकर सेवन करें अथवा रात को इन तीनों को पानी में भिगो दें और सुबह छानकर पी जाएं। ज्यादा दस्त हो रहे हों तो धनिये और सौंठ का काढ़ा बनाकर दो दो चम्मच पिलाएं। उल्टी दस्त होने पर एक गिलास ठंडे पानी में 50 ग्राम हल्दी घोलकर थोड़ा-थोड़ा करके कई बार में पिए। नॉनवेज खाने पर अपच हो तो जलाखार, दूध से अपच हो तो लहसुन, घी से अपच हो तो जंबीरी व नींबू का रस, खीरे से अपच हो तो मूंग का शोरबा, पूरी से अपच हो तो पीपल मूल लें।
ये थे हमारी दादी-नानियों के नुस्खे। हमारे ख्याल से अगर इन एक्सपर्ट की सलाह पर ध्यान दिया जाए तो यह मानसून सीजन आसानी से गुजर जाएगा और आप यह नहीं कहेंगे कि आखिर ये बारिश का मौसम आता ही क्यंू है।
नोट- दवा सेवन के लिए डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें।