क्या है लिव.52 टैबलेट, इसके फायदे, नुकसान और कैसे करें इस्तेमाल?
लिव.52 एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका इस्तेमाल लिवर संबंधी परेशानियों को कम करने के लिए किया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस टैबलेट के बारे में0
Himalaya Liv 52 Tablets in Hindi : हिमालय लिव.52 टैबलेट एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग हेपेटाइटिस, लिवर डिसीज़ जैसी समस्याओं को कम करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर शरीर में होने वाली अन्य समस्याओं के इलाज के लिए लिव.52 टैबलेट लेने की सलाह दे सकते हैं। इस टैबलेट की उचित खुराक के लिए डॉक्टर से संपर्क की जरूरत होती है। मुख्य रूप से डॉक्टर मरीज की उम्र, लिंग, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और स्थिति के आधार पर इसका डोज निर्धारित करती है। आइए विस्तार से जानते हैं क्या है लिव.52 टैबलेट, इसके फायदे, नुकसान और कैसे करें इस्तेमाल?
क्या है हिमालय लिव 52 टैबलेट?

यह दवा हिमालय कंपनी द्वारा निर्मित एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों का समावेश होता है। यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां स्वास्थ्य की कई परेशानियों को दूर करने में लाभकारी होती हैं। इसमें मुख्य रूप से हिमसरा और कसानी जैसे घटक मौजूद होते हैं, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। इसके अलावा यह आयुर्वेदिक दवा लिवर के आंतरिक हिस्सों को बेहतर ढंग से कार्य करने में मददगार साबित हो सकते हैँ। साथ ही लिवर की कोशिकाओं के नियमित कार्यों को बेहतर करने में मदद करते हैं। इस औषधि में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण, हेपेटिक कोशिकाओं को स्थिर करने में भी असरदार साबित हो सकते हैं।
कैसे काम करती है लिव. 52 टैबलेट?
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लिव.52 में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर में एक मजबूत डिटॉक्सिफाइंग एजेंट यानी हानिकारक तत्वों से मुक्त करने वाले एजेंट का निर्माण करते हैं। इस एंटीऑक्सीडेंट्स की मदद से हवा, भोजन, पानी और दवाओं में मौजूद विभिन्न तरह के विषाक्त पदार्थों के प्रभाव को शरीर में कम करने या नष्ट करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
इतना ही नहीं, नियमित रूप से डॉक्टर की मदद पर अगर आप हिमालय liv52 टैबलेट का सेवन करते हैं, तो इससे हेपेटिक एंजाइम के स्तर को कंट्रोल करने में भी मदद मिल सकती है। साथ ही यह शरीर में अवशोषण में भी सुधार ला सकता है और लिवर के सेल्स के निर्माण में सहायक होता है। इससे लिवर की कार्य क्षमता होती है।
इस आयुर्वेदिक टैबलेट में कई तरह की जड़ी-बूटियां मौजूद होती हैं, जो लिवर के कार्यों को ठीक तरीके से करने में मदद कर सकती हैं। इसमें मौजूद हिमस्रा, एक हेपेटिक उत्तेजक के रूप में कार्य करती है, जो आपके लिवर की कार्य क्षमता को बढ़ावा दे सकते हैं। साथ ही यह लिवर की संरचनात्मक इंटेग्रिटी को भी बनाए रखने में मददगार होता है। इतना ही नहीं, लिव.52 ग्लाइकोजन और सीरम प्रोटीन के लिए भी फायदेमंद साबित होता है।
लिव.52 टैबलेट में मौजूद कसानी हेप्टिक उत्तेजक के साथ-साथ एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स भी है, जो आपके शरीर में पित्त स्राव को कंट्रोल करता है। साथ ही यह पाचन शक्ति को भी बढ़ावा देता है। यह हिमसरा के प्रभाव को बढ़ाता है, जिससे शरीर को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इस आयुर्वेदिक टैबलेट में कई तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं, जिसका अपना अलग-अलग महत्व है, जैसे-
- लिव.52 में मौजूद बिरंजासिफिआ मूत्राशय और पाचन तंत्र के कार्यों को बेहतर कर सकता है।
- इसमें मिश्रित झवुका में क्षारीय गुणों से भरपूर होता है, जिससे हेपेटिक की कमी को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
- इसमें मौजूद अर्जुन की छाल हार्ट हेल्थ को बेहतर करके इसकी कार्य प्रणाली में सुधार लाता है।
- वहीं, कसमारदा हमारे शरीर में प्रभावी जुलाब की तरह कार्य करता है, जिससे मल त्यागने में होने वाली परेशानियां कम होती हैं।
- कासनी फ्री रेडिकल्स से शरीर को सुरक्षित रखते हैं, जो लिवर के कार्यों को सामान्य रूप से बेहतर करने में मददगार है।
- हिमस्त्रा शरीर में होने वाली सूजन को कम करता है। साथ ही यह ऑक्सीडेटिव तनाव को भी कम करने में आपकी मदद कर सकता है।
लिव.52 के टैबलेट के फायदे क्या हैं – Liv 52 Tablets benefits in Hindi
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पीलिया का करे इलाज
आयुर्वेदिक हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह पर अगर आप लिव.52 टैबलेट का सेवन करते हैं, तो इससे पीलिया के लक्षणों में सुधार देखने को मिल सकता है। यह टैबलेट पीलिया के मरीजों के शरीर में बिलीरुबिन (पीले यौगिक) के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है, जो पीलिया का कारण है। ऐसे में पीलिया मरीजों के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है। हालांकि, डॉक्टर के उचित परामर्श पर ही इस टैबलेट का सेवन करें।

पाचन में करे सुधार
पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए भी डॉक्टर लिव.52 टैबलेट लेने की सलाह देते हैं। यह भूख को बढ़ाता है, साथ ही मल त्यागने में होने वाली परेशानियों को दूर करने में असरदार है। अगर आप किसी तरह की पाचन संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर के परामर्श पर इस दवा का सेवन कर सकते हैं।

हेपेटाइटिस ए रोगियों के लिए है फायदेमंद
लिव.52 टैबलेट का इस्तेमाल हेपेटाइटिस ए यानि हेपेटाइटिस संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। यह हेपेटाइटिस में इस्तेमाल होने वाली सबसे आम दवाओं में से एक है। लगभग सभी आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे लेने की सलाह देते हैं। इससे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को भी कम किया जा सकता है, जिससे लिवर को डैमेज होने से रोकने में मदद मिलती है। ध्यान रखें कि बिना डॉक्टरी सलाह के इसका सेवन न करें। डॉक्टर के परामर्श पर ही इस टैबलेट का सेवन करें।

सुस्त लिवर की परेशानी का कर सकता है इलाज
कुछ-कुछ स्थितियों में लिवर की कार्य क्षमता गिरने लगती है, जिसकी वजह से लिवर में दर्द, सांस लेने में परेशानी, पेट में दर्द, शरीर से गंध आना जैसे लक्षण दिखते हैं। इन लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर लिव.52 टैबलेट ले सकते हैं। लिव.52 लिवर की सुस्ती के कारण दिखने वाले इन लक्षणों को कम करने में असरदार साबित हो सकता है।

कब्ज की समस्या से आराम
कब्ज की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए लिव.52 टैबलेट फायदेमंद हो सकता है। यह पाचन तंत्र बेहतर ढंग से कार्य करता है, जो हल्के कब्ज में आपके लिए फायदेमंद है। इससे मल को त्यागने में आसानी हो सकती है।

लिव. 52 टैबलेट का डोज़ क्या है – Liv 52 Tablets dosage in Hindi
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लिवर संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए डॉक्टर हिमालय Liv.52 टैबलेट लेने की सलाह दे सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इस टैबलेट का डोज मरीज की स्थिति, उम्र, लिंग और बीमारी पर निर्भर करती है। ऐसे में इसका खुराक आपको कितना लेना चाहिए, इसकी सटीक जानकारी के लिए आपको डॉक्टर से परामर्श की जरूरत होती है।

हालांकि, अधिकतर स्थितियों में 1-1 टैबलेट को दिन में दो बार, गुनगुने पानी के साथ लेने की सलाह दी जाती है। ध्यान रखें कि इसे कुचलकर या फिर तोड़कर न खाएं। इसे सीधे निगल कर खाने की सलाह दी जाती है। वहीं, इस टैबलेट का सेवन खाने के बाद ही करना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। इसकी खुराक कब तक लेनी चाहिए, यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर डॉक्टर इस दवा को लेने की सलाह कुछ सप्ताह से 3 महीने तक दे सकते हैं।
लिव.52 के साइड-इफेक्ट्स क्या हैं– Liv 52 Tablets side effects in Hindi

अधिकतर मरीजों के लिए लिव.52 टैबलेट सुरक्षित माना जाता है। यह नैचुरल तरीके से बनी दवा है, ऐसे में इससे नुकसान होने की संभावना कम होती है। हालांकि, अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आपको कुछ समस्याएं होने का खतरा रहता है, जैसे- दस्त लगना, स्किन पर सूजन, जलन इत्यादि। वहीं, अगर शिशु को अगर आप यह दवा पहली बार दे रहे हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर सूचना दें।
क्या प्रेग्नेंसी में लिव.52 टैबलेट देना सही है?

इस विषय पर अभी रिसर्च अधिक नहीं हुए हैं। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि लिव.52 प्रेग्नेंसी में महिलाओं के लिए सही है या नहीं। हालांकि, अगर आप प्रेग्नेंसी में लिव.52 लेने का विचार कर रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। बिना डॉक्टरी परामर्श के इसका सेवन न करें।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैंI Grehlakhsmi इनकी पुष्टि नहीं करताI इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करेंI)
FAQ | क्या आप जानते हैं
कौन सी बीमारी में लिव.52 टैबलेट काम आता है?
लिव.52 एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग पीलिया, पाचन संबंधी परेशानियां, हेपेटाइटिस ए, लिवर की समस्याएं और कब्ज का इलाज करने में किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी परेशानी में लिव.52 टैबलेट लेने पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
कब करना चाहिए लिव.52 का सेवन?
डॉक्टर की सलाह पर लिव.52 टैबलेट का सेवन करना चाहिए। सामान्य तौर पर खाने के बाद इस टैबलेट को लेने की सलाह देते हैं। आप इसका सेवन दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ कर सकते हैं।
किडनी पर लिव.52 का क्या असर पड़ता है?
लिव.52 किडनी रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले आप डॉक्टर से उचित परामर्श लेना न भूलें। ताकि मरीज की स्थिति के बारे में डॉक्टर को सही जानकारी हो।
लिवर को कैसे रखें स्वस्थ?
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को कम करना जरूरी होता है। इसके लिए हेल्दी आहार, नियमित रूप से एक्सरसाइज, अधिक से अधिक पानी पीना, अच्छी और गहरी नींद लेना, स्ट्रेस से दूर रहना इत्यादि रूटीन को फॉलो करने की जरूरत होती है।
लिवर खराब होने के लक्षण क्या है?
लिवर खराब होने पर शरीर में कई तरह के बदलाव नजर आ सकते हैं। इन बदलावों में टखनों और पैरों में एडिमा, स्किन में खुजली होना, यूरिन के रंग में बदलाव, मल के रंग में बदलाव, जल्दी थकान होना शामिल है।