Fibroid Problem
Women Fibroid Problem

Fibroid Problem: महिलाओं में आजकल फाइब्राइड्स की समस्या आम हो गई है। फाइब्रॉयड यूट्रस के अंदर मांसपेशियों और कोशिकाओं से बनने वाली एक तरह की गांठें होती हैं जो आकार में छोटी-बड़ी होती है।

आ ज के समय में हर दस में से तीन या चार महिलाएं गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स की समस्या से ग्रसित हैं। अधिकतर महिलाओं को इसके बारे में पता भी नहीं होता। इसे गर्भाशय में रसौली के नाम से भी जाना
जाता है। अगर कभी किसी अन्य बीमारी के बारे में जानकारी के लिए अल्ट्रासाउंड कराया जाता है और अचानक फाइब्रॉइड के बारे में पता चलता है। यह छोटे और बड़े आकार के होते रहते हैं और कभी-कभी तो खुद ही खत्म भी हो जाते हैं। हां, यदि किसी महिला को फाइब्रॉइड होने का पता चले तो डॉक्टर उसे यह सलाह अवश्य देते हैं कि आप तीन-चार महीने के अंतराल पर मेडिकल जांच अवश्य कराती रहें ताकि फाइब्रॉइड के आकार में होने वाले अंतर का पता लगता रहे।

ये समस्या 16 वर्ष से 50 वर्ष की आयु में विकसित हो सकती है। यह प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन हार्मोन से संबंधित होती हैं। यह हारमोन महिला के प्रजनन अंगों द्वारा यानी अंडाशय द्वारा उत्पन्न होते हैं। आमतौर पर यह 30 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं में अधिक देखने को मिलती हैं। इनका आकार मटर के दाने से लेकर खरबूजे के आकार तक हो सकता है। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद जब पीरियड रुक जाते हैं तो यह फाइब्रॉइड्स खुद ही सिकुड़ जाते हैं। कई बार जब यह आकार में बढ़ने लगते हैं तो महिलाओं के लिए कई तरह की समस्याएं पैदा कर देते हैं। ऐसी अवस्था में डॉक्टर सर्जरी द्वारा निकालन की सलाह देते हैं। जब रिस्क ज्यादा हो तो फाइब्रॉइड के साथ यूट्रस भी निकाल दी जाती है। कुछ स्थिति में ओवरीज रहने दी जाती हैं लेकिन यूट्रस निकालने के 3 साल बाद वे भी सिकुड़ जाती हैं। इसकी जांच एमआरआई, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड के द्वारा की जाती है और इनके आकार व स्थिति को ध्यान में रख कर उपचार किया जाता है।

यह समस्या बढ़ती उम्र और हारमोंस के बदलाव या जेनेटिक कारणों से भी हो सकती
हैं। इसके होने पर आपको कुछ निम्न लक्षण हो सकते हैं-

1.नाभि के निचले हिस्से में दर्द रहना और भारीपन महसूस होना
2. पीरियड्स के दौरान भारी रक्त स्त्राव, तेज दर्द होना
3. पीरियड्स जल्दी आना
4. लंबे समय तक कब्ज की समस्य
5. बार-बार यूरिन प्रेशर महसूस होना
6.शारीरिक संबंधों में अत्यधिक दर्द

यूट्रस के भीतर होने वाले फाइब्रॉइड्स अधिकतर महिलाओं में हेवी ब्लीडिंग का कारण बनते हैं। साइज में बढ़ने वाले फाइब्राइड् के साथ जब यूट्रस भी बड़ा होने लगता है तो उसकी बढ़ती कैविटी के कारण हेवी ब्लीडिंग होने लगती है, ऐसा होने के पीछे कई कारण है

1. एक लंबे अंतराल तक शारीरिक संबंध ना बनने के कारण काफी महिलाओं में फाइब्रॉइड
की आशंका होती है।
2. दरअसल एक उम्र आने पर युवती का शरीर बच्चे को जन्म देने के लिए खुद को तैयार करता है और उस उम्र में कई हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। ऐसे में शरीर के भीतरी अंगों की एक जरूरत होती है, जो शारीरिक
संबंध के रूप में पूरी होती है, जिससे एक तरह से शिशु के जन्म की प्रक्रिया की शुरुआत भी होती है। हार्मोनल बदलाव अनुसार जब शरीर शिशु को पैदा नहीं कर पाता तो यह समस्या पैदा हो सकती है।
3. कुछ हद तक अनुवांशिकता भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या है तो आशंका है कि अगली पीढ़ी को भी यह समस्या हो सकती है।

4. अगर छोटी उम्र में पीरियड शुरू हो जाए या यूट्रस में किसी प्रकार का इन्फेक्शन भी फाइब्रॉइड होने के खतरे को बढ़ा सकता है। मोटी महिलाओं में यह खतरा सामान्य महिलाओं की अपेक्षा 3 गुना ज्यादा होता है।

यूट्रस के अंदर या बाहर कहीं भी फाइब्रॉइड की गांठे हो सकती हैं। फाइब्रॉइड कई प्रकार का होता है, जो अलग-अलग तरह से महिला के स्वास्थ्य पर असर डालता है। कुछ फाइब्रॉइड यूट्रस के बाहरी हिस्से में होते हैं,
जिससे पीरियड्स पर कोई असर नहीं पड़ता लेकिन उससे यूरिन प्रेशर, कमर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ फाइब्रॉइड्स यूट्रस के अंदर जहां गर्भधारण के बाद शिशु विकसित होता है वहां पर विकसित होने लगते हैं, जिस कारण प्रेगनेंसी में कई तरह की परेशानियां पैदा हो सकती हैं तो कुछ फाइब्रॉइड यूट्रस की
दीवारों में भी पनप सकते हैं। इनके कारण महिलाओं की सेहत को ज्यादा नुकसान नहीं होता परंतु गर्भधारण करने में कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं।

अगर किसी महिला के फाइब्रॉइड सर्जरी के द्वारा रिमूव कर दिए जाते हैं और यूट्रस नहीं निकाला जाता है तो हर 6 महीने के अंतराल पर अल्ट्रासाउंड अवश्य कराना चाहिए क्योंकि फाइब्रॉइड की गांठें फिर से पैदा हो
सकती हैं। अगर डॉक्टर यूट्रस भी साथ में रिमूव कर देते हैं तो सावधानी बरतना जरूरी है। सर्जरी के बाद 2 महीने तक शारीरिक संबंधों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। चार-पांच महीनों तक भारी सामान नहीं
उठाना चाहिए।

कोई भी महिला यूट्रस में फाइब्रॉइड होने पर भी प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती है । हां, कुछ मामलों में फाइब्रॉइड यूटरीन कैविटी के भीतर पनपते हैं और फैलते हैं, यह महिलाओं में इनफर्टिलिटी और मिसकैरेज के खतरे को बढ़ा देता है।

यूट्रस की दीवार पर पनपने वाले फाइब्रॉइड्स के कारण यूट्रस का आकार बड़ा होने लगता है, जिससे गर्भधारण की समस्या हो सकती है। कुछ फाइब्रॉइड यूट्रस की भीतरी परतों के नीचे भी हो सकते हैं, जो मां बनने में मुश्किल उत्पन्न कर देते हैं।

कभी-कभी फाइब्रॉइड्स यूट्रस के आकार को सिकोड़ देते हैं और उसकी परत को खराब करके इसमें अंडे को पहुंचने से रोक देते हैं। अगर अंडा विकसित हो भी जाए तो यह अंडेतक रक्त आपूर्ति ही नहीं पहुंचने देते हैं और गर्भपात हो जाता है । किसी महिला को गर्भ धारण करने में मुश्किल आ रही है और अल्ट्रासाउंड के बाद उसे फाइब्रॉइड्स का पता चलता है तो उसे फाइब्रॉइड्स निकलवाना जरूरी हो जाता है। कई बार इसके होने के बाद भी आप गर्भधारण कर चुकी होतीं हैं तो डॉक्टर फाइब्रॉइड्स को बढ़ने से रोकने के
लिए दवाई देते हैं ताकि कोई मुश्किल ना हो।

Fibroid Problem
jab badh jae fibroids ka size

आधुनिक जीवनशैली और मोटापे से यूट्रस में फाइब्रॉइड्स और ओवेरियन सिस्ट के कारण कई बार कम उम्र की महिलाएं सर्जरी करा लेती हैं जबकि इसकी जरूरत नहीं होती। अगर फाइब्रॉइड्स का आकार बढ़ भी जाता है तो दवाओं से वे सिकुड़ जाते हैं लेकिन यह इसका परमानेंट इलाज नहीं होता है। दवाओं को ज्यादा समय तक नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसके साइड इफेक्टस भी होते हैं। फाइब्रॉइड्स के कारण यदि यूट्रस का आकार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो रोगी को परिस्थिति के अनुसार सर्जरी की सलाह दी जाती है। अगर महिला की उम्र कम है तो उसके फाइब्रॉइड्स को निकाल दिया जाता है, जो कि एक सामान्य तरीका है। इसमें उसके यूट्रस को सुरक्षित रहने दिया जाता है। जो महिलाएं अपना परिवार संपूर्ण कर चुकी हैं यानी आगे बच्चे की कोई प्लानिंग नहीं है और फाइब्रॉइड्स की वजह से परेशानी रहती है तो उन्हें फाइब्रॉइड्स यूट्रस सहित निकालने की सलाह दी जाती है।

फाइब्रॉइड्स होने की अवस्था में महिलाओं को जो समस्या आती है योग द्वारा कुछ हद तक उन्हें ठीक किया जा सकता है। योग में कुछ ऐसे आसन हैं जिन्हें करने से फाइब्रॉइड्स सिकुड़ने लगते हैं जैसे- मलासन,
पादहस्तासन, अर्ध मत्स्यासन, बुद्ध कोणासन, पश्चिमोत्तानासन ।

1. खूब पानी पिएं ताकि आपके पेट की मांसपेशियां लचकदार बनी रहे।
2. हमेशा पौष्टिक व सुपाच्य भोजन लें।
3. कच्चे पदार्थों का सेवन ना करें।
4. किसी भी खाने वाली चीज से एलर्जी है तो ना लें।
5. भीतरी अंगों की स्वच्छता पर ध्यान दें।
6. किसी भी तरह का तनाव ना पड़ने दें, हमेशा खुश रहें।

बेशक कुछ स्थितियों में फाइब्रॉइड्स गंभीर नहीं होते, लेकिन यह कई अन्य शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकते हैं इसलिए इनका इलाज जरूरी है। कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर भी इसके आकार को बढ़ने से रोक
सकते हैं-

हल्दी: यह एंटीसेप्टिक है, जो खतरनाक तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालती है। इसके नियमित सेवन से
फाइब्रॉइड्स के आकार को बढ़ने से रोका जा सकता है।
लहसुन: रोजाना खाली पेट सुबह लहसुन की एक कली का पानी के साथ सेवन इस समस्या से छुटकारा
दिला सकता है। यह 2 महीने तक आजमा सकती है।
एप्पल साइडर विनेगर: रोजाना सुबह गुनगुने पानी के साथ एप्पल साइडर विनेगर का नियमित सेवन इस समस्या से शरीर को दूर रखता है।