एक अनुमान के मुताबिक विश्व में 600 से 800 लाख विवाहित जोड़े इनफर्टिलिटी के शिकार हैं। इनमें से 150 से 200 लाख लोग भारत में हैं। इसका अर्थ यह है कि भारत में आज यह एक बड़ी समस्या बन चुकी है। यह बहुत निराशाजनक होता कि जब आप मातृत्व चाहती हों और आपके गर्भ परीक्षण का परिणाम अच्छा न हो। पर इससे पहले कि आप यह समझें कि आईवीएफ ही एकमात्र विकल्प है, यह जरूरी है कि आप इनफर्टिलिटी/बांझपन के महत्वपूर्ण कारणों को जानें, शांता आईवीएफ सेंटर की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर अनुभा सिंह से-

पर्याप्त स्वस्थ एग की कमी
एक बच्ची एग्स की एक निर्धारित संख्या के साथ जन्म लेती है, लेकिन उम्र बढऩे के साथ स्वस्थ एग्स की संख्या में कमी आती है। अमेरिकन सोसाइटी ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार 30 वर्षीय एक स्वस्थ महिला में प्रत्येक माह मां बनने के चांसेज 20 प्रतिशत रह जाते हैं। अगर आप फर्टिलिटी ड्रग ले रहे हैं तो एग्स की संख्या और भी कम हो जाती है।

साथी हो सकता हैं जिम्मेदार
एक तिहाई मामलों में बांझपन की समस्या पुरुषों की वजह से होती है। अगर आपके साथी का वजन ज्यादा है, वह शराब या धूम्रपान करता है तो इससे आपके मां बनने के मौके कम हो सकते हैं। प्रोस्टेट ग्लैड्स इंफैक्शन भी एक बड़ी समस्या है।

पीसीओएस- एक अनजान खतरा
पीसीओएस भी मां बनने में बहुत बड़ा रोड़ा है, जो 5 से 10 फीसदी महिलाओं में होता है। इस बीमारी में मासिक चक्र बिगड़ जाता है, पुरुष हारमोन बढ़ जाते हैं। यह एग न पनप पाने का कारण भी होता है। चेहरे, छाती व कमर आदि पर बालों का बढऩा पीसीओएस के लक्षण हैं। यह वजन सामान्य से ज्यादा व कम होने से, शराब व धूम्रपान से, थायरॉइड असंतुलन से हो सकता है।

इंडोमेट्रीओसिस है बाधक
इंडोमेंट्रीओसिस एक ऐसी मेडिकल समस्या है, जो वैश्विक रूप से लगभग 890 लाख युवा महिलाओं को है। इनमें 250 लाख महिलाएं भारतीय हैं। डॉ. शोभा का कहना है कि इसकी वजह से माहवारी के दौरान ज्यादा दर्द, अधिक रक्त स्राव के साथ-साथ यह 30 से 50 प्रतिशत महिलाओं के बांझपन का कारण बन सकती है।

फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक
अगर आपकी फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या क्षतिग्रस्त है तो यह भी आपको मातृत्व सुख से वंचित रख सकता है। एक अनुमान के मुताबिक 35 प्रतिशत महिलाएं इस कारण गर्भवती नहीं हो पाती है। किसी सर्जरी के कारण भी महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती है।

फाइब्रॉइड की समस्या
फाइब्रॉइड के चलते महिलाओं में कई समस्या हो जाती है। इनमें माहवारी के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, पेट दर्द और पेशाब की थैली पर दबाब के लक्षण होते हैं। फाइब्रॉइड्स के चलते बांझपन, गर्भपात और गर्भधारण में दिक्कत भी हो सकती है।

प्रीमेच्योर ओवरीज फेल
पीओएफ का मतलब है 40 की उम्र से पहले ओवरीज में सामान्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण न होना या अंडे का नियमित रूप से रिलीज न होना। इससे बांझपन आम समस्या होती है। डॉक्टर अनुभा सिंह ने बताया कि उम्र से पहले मीनोपॉज का अर्थ है माहवारी का स्थायी तौर पर रुक जाना और तब गर्भवती होना नामुमकिन है।

आईवीएफ एक कारगर इलाज
अगर आपको पता है कि आप ओव्युलेट नहीं कर सकते तो आईवीएफ ही एकमात्र रास्ता है। एक आईवीएफ सेंटर चुनें व अपनी फैमिली 35 साल से पहले ही प्लान कर लें। इसके लिए सबसे पहले दंपत्ति के बुनियादी परीक्षण किए जाते हैं। इसके बाद पत्नी को हाइली प्यूरीफाइड इंजेक्शन दिया जाता है। 10 से 12 दिन उन्हें ऑब्जर्वेशन पर रखा जाता है, ताकि पता चले कि अंडों का निर्माण हो रहा है या नहीं। पति के स्पर्म को आईवीएफ कल्चर रूम में स्पर्म क्यूबर में रखा जाता है जहां दो से तीन एम्बियोज ग्रो करते हैं। इसको अल्ट्रासाउंड का प्रयोग करते हुए स्त्री के यूट्रस में इंजेक्ट करते हैं। इसके बाद स्त्री को 15 दिनों तक प्रेगनैंसी सपोर्ट मेडिसिन दी जाती हैं। उसके सामान्य परीक्षण किए जाते हैं, जो कि उसके स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं।