अगर आपको भी पसंद है रंगबिरंगी कॉटन कैंडी तो हो जाएं सावधान: Cotton Candy Banned
Cotton Candy Banned

Cotton Candy Banned: कॉटन कैंडी एक ऐसी चीज होती है जिसे देखकर सहज ही बच्चों का खाने को जी चाहता है। वहीं पेरेंट्स भी अक्सर बच्चों को बाहर घूमने जाने पर दिलवा ही देते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चों की सेहत को लेकर जागरुक हैं तो ये स्टोरी आपके लिए बहुत अहम है। दरअसल, पुडुचेरी राज्य में कॉटन कैंडी की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके उत्पादन में एक खतरनाक रसायन, रोडामाइन-बी मिला है। हालांकि अगर वेंडर फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट से क्वालिटी सर्टिफिकेट लाते हैं तो ही वह इसे बेच सकते हैं। जाहिर है कि आप पेरेंट हैं तो आपके मन में भी यह बात खटकी होगी कि यह रसायन क्या है और यह बच्चों की सेहत पर क्या प्रभाव डालता है?

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रोडामाइन बी

यह एक कैमिकल है इसका उपयोग डाई के तौर पर किया जाता है। लेकिन अगर इसे खाने में मिलाया जाता है तो शरीर में पहुंचकर एक एंजाइटी और बैचेनी को पैदा करता है। इतना ही नहीं गर आप लंबे समय तक इसका सेवन करते हैं तो इससे कैंसर और लीवर इंफैक्शन जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।

वीडियो साझा कर किया आगाह

पुडुचेरी की उपराज्यपाल तमिलिसाई साउंडराजन ने अपने अधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंड पर विडियो साझा करते हुए पेरेंट्स से विनती की है कि वे अपने बच्चों को कॉटन कैंडी नहीं खाने दें। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें एक ऐसे रसायन का उपयोग हो रहा है जो कि बच्चों की सेहत के लिए सही नहीं है। अब आप चाहें गुड़िया के बाल कहें या बुढ़िया के या फिर बंबई की मिठाई। यह आपके बच्चों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन भी खाने की चीजों में रंग को बढाने के लिए कलर का इस्तेमाल किया जाता है पेरेंट्स ऐसी चीजें बच्चों को न खिलाएं।

क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट

Cotton Candy Ban in Puducherry
Cotton Candy Ban in Puducherry

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो बाहर का खाना चाहे उसमें रंग पड़ा हुआ या नहीं वह खराब ही होता है। बाहर के खाने की चीजों में किस तरह के प्रिजर्वेटिव को डाला जा रहा है कौन सा मसाला मिलाया जा रहा है इस बारे में किसी को पता नहीं होता। कॉटन कैंडी को ही देख लें इसका कलर खूबसूरत करने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की चीजें खाने से बच्चों के ब्रेन में न्यूरॉन्स में असंतुलन या कॉर्डिनेशन में कमी हो जाती है। यही वजह है कि बच्चों में चिढ़चिढ़ापन, मूड स्विंग और हाइपर एक्टिविटी जैसी समस्याएं होने लगी हैं। वहीं बच्चों को कई बार ऑटिज्म की समस्या भी कई बार खाने में पड़े इन प्रिजर्वेटिव की वजह से आती है। बहुत बार बच्चों में सोडियम भी बढ़ जाताहै जो कि दिमाग के डवलपमेंट पर विपरीत प्रभाव डालता है।