Ice Therapy
Ice Therapy

Ice Therapy: आएदिन हम सिरदर्द, जोड़ों के दर्द या चोट लगने पर होने वाले दर्द जैसी समस्याओं से परेशान रहते है और न जाने कितनी पेन किलर खा लेते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो ये मेडिसिन हमें फायदा कम, नुकसान ज्यादा पहुंचाती हैं। क्योंकि ये मेडिसिन टेम्परेरी रिलीफ तो पहुंचाती हैं, लेकिन दर्द को जड़ से खत्म करने में नाकाफी होती हैं। कई मामलों में समय बीतने के साथ शरीर पर साइड इफेक्ट भी देखे जा सकते हैं।

Ice Therapy

नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति में इस तरह के दर्द का इलाज आइस थेरेपी से किया जाता है जो प्रकृति में मौजूद पंचभूत तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) में जल का जमा हुआ और ठोस रूप है। जी हां,आइस यानी बर्फ। आप सोच रहे होंगे कि ठंडी-ठंडी बर्फ तो गर्मी में प्यास बुझाने के काम आती है, लेकिन दर्द और दूसरी समस्याओं के उपचार में कैसे काम आती है? तासीर में गर्म होने के कारण बर्फ डायजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करती है। अपनी खूबी के चलते आइस थेरेपी शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले दर्द और कई परेशानियों में भी आराम पहुंचाती है। चलिए जानते हैं किस तरह के दर्द और समस्याओं में बर्फ की सिकाई लाभदायक होती है।

ब्लीडिंग रोके और सूजन में दे आराम

ब्लीडिंग बंद करने के लिए डेटाॅल लगाई जाती है जिससे जलन भी होती है। अगर वहां बर्फ का टुकड़ा या बर्फ की पोटली बनाकर लगाई जाए, तुरंत आराम मिलेगा। बर्फ रखने से वहां की नसें ठंडी पड़ जाती हैं जिससे ब्लड सर्कुलेट होना बंद हो जाता है और ब्लीडिंग रुक जाती है। ठंडी बर्फ लगाने से चोट वाली जगह में थोड़ा सुन्नपन आ जाता है जिससे दर्द भी कम होता है।

कई बार तो हैवी वर्कआउट करने से मसल्स पूल हो जाती हैं या गुम चोट भी लगती है। जिसका पता तब चलता है जब प्रभावित जगह में सूजन आ जाती है और दर्द होता है। प्रभावित जगह पर अगर आइस थेरेपी की जाए, तो जल्द आराम मिलता है। बर्फ जहां सूजी हुई मसल्स को संकुचित करती है, वहीं दर्द में आराम पहुंचाती है।

बाॅडी टेम्परेचर करे कम

आपने देखा होगा कि तेज बुखार होने पर मरीज के माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखी जाती है जिससे बाॅडी टेम्परेचर धीरे-धीरे कम होता है। तेज बुखार  को कम करने के लिए आइस-थेरेपी कहीं अधिक कारगर है। इसमें बर्फ से बाॅडी के विभिन्न हिस्सों की सिंकाई की जाती हैै। गीले तौलिये या मोटे कपड़े में बर्फ के टुकड़े डाल कर बनी पेाटली से माथे, पेट पर नाभि से नीचे के भाग या पेडूू पर, दोनों हथेलियों, पैर के तलवे पर घुमाते हुए सिंकाई की जाती है। चूंकि बर्फ में शरीर के टाॅक्सिन अवशोषित करने की क्षमता होती है, जिससे आइस-थेरेपी से बुखार से पीड़ित मरीज का टेम्परेचर कम हो जाता है।

जोड़ों के दर्द में दे आराम

आजकल की आरामपरस्त जीवन शेैली के चलते हर दूसरा व्यक्ति आर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द की समस्या को झेल रहा है। तरह-तरह के इलाज यहां तक कि नी-रिप्लेसमेंट कराकर भी परेशान है। जोड़ो का दर्द झेल रहे मरीज के लिए आइस-थेरेपी काफी मददगार है। इसके लिए उन्हें सिंकाई वाली दो हाॅट वाॅटर बोतल लें जिनमें से एक में गर्म पानी और दूसरी में बर्फीला पानी डालें। पहले गर्म पानी की बोतल से प्रभावित जगह की 2-3 मिनट सिंकाई करें, फिर ठंडी बोतल से। इस तरह 8-10 बार करने पर आराम मिलेगा।

हाई ब्लड प्रेशर , सिर दर्द या अनिद्रा में राहत

Ice Therapy

अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है, तो आए दिन आपको सिर दर्द और अनिद्रा जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता होगा। कई तरह की मेडिसिन खानी पड़ती होगी, वो अलग बात है। ऐसे मरीज के लिए भी आइस-थेरेपी में कोल्ड एंड हाॅट फुट बाथ फायदेमंद है। इसके लिए एक बाल्टी में बर्फ का पानी और दूसरी बाल्टी में नाॅर्मल पानी लिया जाता है। इसमें मरीज को 1ः3 सेकंड के अनुपात में पैर डुबोने के लिए कहा जाता है। यानी 5 सेकंड के लिए मरीज अपने पैर बर्फीले पानी में डुबोए और 15 सेकंड के लिए नाॅर्मल पानी में डुबो कर रखे। सिर दर्द हो, तो बर्फ को तौलिये में लपेट कर सिर की सिंकाई उतनी देर करें, जितनी देर सहन हो सके।

मूड को करे बेहतर

शारीरिक कारणों या काम के प्रेशर के चलते मूड में बदलाव अक्सर देखने को मिलता है, जिससे रोजमर्रा की कार्यशैली और व्यक्तिगत जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। थोड़ी देर माथे-सिर पर बर्फ की सिंकाई करने से व्यक्ति का तनाव, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग कम होता है। आइस-थेरेपी शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन का उत्सर्जन करती है। मस्तिष्क और रीढ़ की नवर्स को सक्रिय करके ब्लड सकुर्लेशन को बढ़ाकर तनाव से राहत दिलाने में मदद करती है।

थकान और आंखों की जलन करे दूर

व्यस्ततम जीवन-शैली और अधिक वर्कलोड के कारण देर रात तक काम करने के कारण थकान, अनिद्रा, आंखों की जलन, लाल होना, सूजन जैसी समस्याएं होती हैं। जिसका उपचार साधारण-सी लगने वाली आइस-थेरेपी से किया जा सकता है। आइस-क्यूब्स की पोटली अगर आप अपने माथे या सिर पर थोड़ी देर रखकर सिंकाई करेंगे, जिससे दिनभर की थकान दूर हो जाएगी। बाजार में उपलब्ध जैल आइस पैक भी आंखों पर 5-10 मिनट के लिए रखने से आंखों मे जलन या लालिमा जैसी परेशानियां कम होंगी और आप रिलेक्स भी हो जाएंगे।

महिलाओं को होने वाली समस्याओं में कारगर

पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को पेल्विक पेन या यूटरस में सिस्ट या फाइब्राइड्स होने पर तेज दर्द होता है जिसके लिए उन्हें पेनकिलर मेडिसिन तक लेनी पड़ती हैं। आइस-थेरेपी इनकी प्राॅब्लम में भी मददगार है। दर्द होने पर महिला को बर्फ की पोटली से पेल्विक एरिया में घुमाते हुए 8-10 मिनट सिंकाई करें, तो उन्हें आराम मिलेगा।  

ब्लड सर्कुलेशन करे ठीक

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हम सभी हमेशा स्वस्थ रहना चाहते हैं। लेकिन न चाहते हुए भी किसी न किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करते रहते हैं। नेचुरोपेथी में इसके लिए कोल्ड एंड हाॅट बाथ फार्मूला अपनाने पर बल दिया है। यानी गर्मी हो या सर्दी, नहाते वक्त अगर व्यक्ति सबसे पहले थोड़े-से बर्फीले ठंडे पानी में फटाफट नहाए। तुरंत बाद नाॅर्मल या गुनगुने पानी में नहाकर आखिर में ठंडे पानी का कुछ सेकंड के लिए शाॅवर लें। तो व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है क्योंकि ठंडे पानी से संकुचन और गर्म पानी से प्रसारण होता है- इससे स्किन के पोर्स खोल देता है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, त्वचा संबंधी रोग ठीक होते हैं, पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है, जोड़ो का दर्द ठीक होता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।

घमौरियों में दे आराम

उमस भरे इस मौसम में अक्सर बड़े-छोटों को शरीर में फोड़े-फुंसियां निकल आती हैं जिनमें पस निकलने तक दर्द रहता है। ऐसे में फोड़े की जगह पर कोल्ड-हाॅट-कोल्ड सिंकाई करना फायदेमंद है। यानी पहले बर्फीले पानी की पट्टी से सिंकाई करें, फिर गर्म पट्टी से सिंकाई करे और आखिर में बर्फीले पानी की पट्टी से सिंकाई करने पर आराम मिलेगा। सिकाई के बाद फोड़ा साॅफ्ट हो जाएगा और बिना किसी परेशानी के फोडें में मौजूद टाॅक्सिन पस निकल जाएगी।

रखें ध्यान

थेरेपी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बर्फ और इस्तेमाल किए जाने वाला कपड़ा साफ हो ताकि किसी प्रकार के इंफेक्शन का खतरा न रहे। सर्दी-जुकाम, निमोनिया हो या ठंड लग रही हो, तो उन्हें आइस-थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए। 

(डाॅ सत्य नारायण यादव, प्राकृतिक चिकित्सक और योगाचार्य, अर्चना योगायतन, दिल्ली)