Hypo Thyroidism: थायराइड महिलाओं में होने वाली सबसे आम बीमारी है, लेकिन कुछ मामलों में यह काफी खतरनाक साबित होती है। यदि समय रहते इसका इलाज न कराया जाए तो इससे अन्य कई बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी थायरॉइड से परेशान हैं तो हाइपो थायरॉइडिज्म जैसी स्थिति के लक्षण, कारणों के बारे में जरूर जान लें।
पूरी दुनिया में थायरॉइड की बीमारी तेजी से फैल रही है, जो कि एक हार्मोनल बीमारी है, जिसका कारण जानना सबके लिए बेहद जरूरी है क्योंकि यह एक चिंता का विषय है। सबसे पहले आप सबके लिए यह जानना जरूरी है कि थायरॉइड होता क्या है। दरअसल यह एक गले में पाए जाने वाली ग्रंथि है, जो छोटी तितली के आकार की होती है और आपके शरीर की बहुत सी गतिविधियों को कंट्रोल करती है। इसका मुख्य काम आपके द्वारा खाने वाले पदार्थों को ऊर्जा में परिवर्तित करना है। यह ग्रंथि टी-3 और टी-4 हार्मोन को बनाती है।
सबसे अधिक प्रभावित अंग

पाचन तंत्र, शरीर के तापमान और दिल की धड़कन पर इन हॉर्मोन का प्रभाव रहता है। इन दोनों हार्मोन में असंतुलन की स्थिति में शरीर का वजन या तो बढ़ता है या घटता है। इस घटने या बढ़ने की समस्या को हाइपर थायरॉइड या हाइपो थायरॉइड के नाम से जाना जाता है। आज हम बात करने जा रहे हैं हाइपो थायरॉइडिज्म की, आइए जानते हैं विस्तार से-
क्या होता है हाइपोथायरॉइडिज्म
हाइपो थायरॉइडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी थायरॉइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में जरूरी हार्मोंस का निर्माण नहीं कर पाती है। शुरुआत की स्टेज में इस स्थिति के कोई ज्यादा लक्षण नहीं देखने को मिलते हैं लेकिन इस स्थिति के कारण आपको ढेर सारी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे- मोटापा, जोड़ों में दर्द, दिल से जुड़ी बीमारियां और बांझपन आदि। इस स्थिति को पहचानने के लिए इसके टेस्ट करवाने पड़ते हैं और इसका इलाज तुरंत शुरू करवा देना चाहिए। इस स्थिति का उपचार भी काफी साधारण और आसान होता है जिसके बारे में आपके डॉक्टर आपको बता देंगे। आइए जानते हैं इस स्थिति के लक्षणों और कारणों के बारे में-
लक्षण क्या हैं
हाइपोथायरॉइडिज्म के निम्न लक्षण संकेत देते हैं कि शरीर में थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन कम मात्रा में हो रहा है, जो कि एक गंभीर स्थिति बन सकती है। यह लक्षण इस प्रकार हैं-
बहुत ज्यादा थकान होना।
ज्यादा ठंड लगना और ठंड से कंपकंपी का बढ़ना।
कब्ज होना।
स्किन का ड्राई होना।
वजन बढ़ना।
चेहरे में सूजन आना।
मांसपेशियों में दर्द होना।
ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ जाना।
मांसपेशियों में अकड़न आना और दर्द होना।
बालों का पतला होना।
मासिक धर्म में बदलाव होना।
हृदय गति का कम होना।
थायराइड ग्लैंड का बढ़ जाना।
क्या हैं कारण

हालांकि हाइपो थायरॉइड एक साधारण स्थिति है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 4 से 6त्न लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बीमारी से महिलाएं ज्यादा प्रभावित रहती हैं और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस बीमारी का रिस्क बढ़ता जाता है। जब आपकी थायरॉइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में इस हार्मोन को नहीं बना पाती है, तब ही यह स्थिति आपको देखने को मिलती है। इसके ऑटो इम्यून डिजीज, रेडिएशन थेरेपी और थायरॉइड सर्जरी जैसे बहुत से कारण हो सकते हैं।
ऑटो इम्यून डिजीज
हाशिमोटो थायरॉइडिटिस जैसी ऑटो इम्यून डिजीज के कारण ही अधिकतर इस बीमारी के केस देखने को मिलते हैं। इस स्थिति में आपकी एंटी बॉडीज आपके शरीर के टिश्यू पर ही हमला करने लगती हैं।
लिंफोसाइटिक थायरॉइडिटिस

यह बीमारी थायरॉइड ग्रंथि में किसी भी प्रकार की सूजन को दर्शाती है, जो कि डब्ल्यूबीसी के कारण होती है, जिसको लिंफोसाइटिक के नाम से भी जाना जाता है और तभी इसे लिंफोसाइटिक थायरॉइडिटिस बीमारी कहा जाता है।
हाइपर थायरॉइडिज्म के इलाज का ओवर रिस्पॉन्स
जिन लोगों का हाइपर थायरॉइडिज्म का इलाज हुआ होता है, वह लोग आयोडिन और एंटी थायरॉइड दवाइयों पर ज्यादा प्रतिक्रिया करते हैं। हो सकता है कि यह इन दवाइयों का नतीजा भी हो सकता है।
थायरॉइड सर्जरी: अगर आपके शरीर से सर्जरी के माध्यम से थायरॉइड ग्लैंड को ही निकाल दिया गया है तब भी आपके शरीर में थायरॉइड हार्मोन नहीं बन पाता है जिस कारण इस बीमारी को झेलना पड़ सकता है।
रेडिएशन थेरेपी: गर्दन और सिर की कैंसर को ठीक करने के लिए रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है और इसके कारण भी आपकी थायरॉइड ग्लैंड प्रभावित हो सकती है और थायरॉइड हार्मोन में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
कुछ अन्य कारण
ऊपर लिखित सभी कारणों के अलावा कंजेनिटल डिजीज, पिट्यूटरी डिसऑर्डर, प्रेगनेंसी, आयोडिन की कमी के कारण भी आपके शरीर में हाइपो थायरॉइडिज्म देखने को मिल सकता है।
क्या है इलाज

सबसे पहले आपके शरीर में हाइपर या हाइपो थायरॉइडिज्म है, इसकी पहचान की जाती है और इसके लिए काफी सारे अलग-अलग टेस्ट आपको करवाने पड़ते हैं। इसके बाद डॉक्टर आपकी स्थिति के हिसाब से आपकी डोज और समय अवधि को तय करते हैं।
इस स्थिति में सिंथेटिक थायरॉइड हार्मोंस को दिया जाता है। यह एक तरह की ओरल दवाई होती है जिस कारण शरीर में हार्मोन लेवल बढ़ सकता है। इससे आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल भी बढ़ सकता है। कई मामलों में यह हार्मोन आपको पूरी उम्र लेने पड़ सकते हैं। हर साल आपको अपने डॉक्टर को अपना थायरॉइड लेवल चेक करवाना पड़ेगा।
कैसे करें रोकथाम
धूम्रपान न करें।
तनाव कम लें।
रोजाना डाइट और एक्सरसाइज का ध्यान रखें।
साफ पानी पिएं।
कम वसा युक्त डाइट लें।
नमक का प्रयोग सीमित मात्रा में करें।
शुरू-शुरू में हो सकता है इसके उपचार के कारण आपको साइड इफेक्ट्स देखने को मिले, जैसे- रात में नींद न आना और भूख ज्यादा लगना या फिर शरीर का कांपना। इनके लिए आप अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं और इन साइड इफेक्ट्स के चलते आपको दवाइयों को बंद करने की कोई जरूरत नहीं है, नहीं तो आपको पूरा लाभ नहीं मिलेगा। अगर आपको थोड़ा आराम मिले तो आप दवाइयों में बदलाव कर सकते हैं।