साग-सब्जी हो अथवा दाल-भात-रायता अकसर सबमें बघार (छौंक) देना जहां जायका एवं रुचि की दृष्टि से उत्तम होता है वहीं इसके प्रयोग से अनेक व्याधियों से बचा जा सकता है।

सामान्यतया जीरा, अजवायन, मेथी, हींग, धनिया का प्रयोग बघार देने में किया जाता है। जीरा तथा हींग तो अकसर सभी के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है लेकिन मेथी का इस्तेमाल कढ़ी, सीताफल, उड़द की दाल के लिए होता है। अजवायन का प्रयोग अरबी-भिंडी और धनिया का प्रयोग बैंगन आदि के लिए खासतौर से होता है। यहां बघार में प्रयोग आने वाली सामग्री के चिकित्सा सम्बन्धी कुछ घरेलू प्रयोग दिए गए हैं-

अजवायन

अजवायन हल्की चटपटी, तीक्ष्ण, पाचक, उष्ण, रुचिकारक, कीड़ों को नष्ट करने वाली, अग्नि को प्रदीप्त करने वाली और कड़वी होती है। यह महिला रोगों को समाप्त करने में कारगर भूमिका निभाती है। आचार्य चरक प्रणीत चरक संहिता में अजवायन को दर्द नाशक और जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाला पाचक बताया गया है। 

  • अजीर्ण की शिकायत हो तो प्रात: खाली पेट 3 ग्राम अजवायन का सेवन करने से लाभ होगा।
  • चेहरे पर मुंहासे या झांइयां हो गई हों, तो 40 ग्राम अजवायन को पीसकर 40 ग्राम दही में फेंटकर रात में चेहरे पर मल लें। सबेरे गुनगुने पानी से चेहरे को धो लें। नित्य प्रयोग करने से एक सप्ताह के अंदर फर्क महसूस होगा।
  • अजवायन एक चम्मच तथा आधा चम्मच सेांठ चूर्ण गर्म जल से प्रात:-सायं लें। सर्दी आदि में आराम मिलेगा।
  • यदि जोड़ों का दर्द सताए, तो सरसों के तेल में लहसुन और अजवायन डालकर उस तेल से मालिश करनी चाहिए।
  • दस ग्राम अजवायन, 10 ग्राम पुराना गुड़ दो कप पानी में उबालें। आधा कप शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पिएं, जब तक अबाध मासिक ठीक न आए व गर्भाशय साफ होकर रक्त वृद्धि न हो जाए।

हींग

यह पेट के रोगों में हींग का सेवन अधिक लाभकारी रहता है। यह सूजन, काली खांसी, कब्ज, डकार, हिचकी, हिस्टीरिया, पसली दर्द में लाभकारी है।

  • थोड़ी-सी भुनी हुई हींग लेकर रूई के फाहे में लपेटकर दाढ़ पर रखें। तुरंत दाढ़ के दर्द में राहत मिलेगी।
  • यदि पेट में दर्द या गैस परेशान कर रही हो, तो चुटकी भर हींग नाभि में रख दें। दर्द सही हो जाएगा।
  • हींग, सोंठ डालकर गर्म किए हुए तिल के तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंग का जकड़ जाना, लकवा वगैरह वायु के रोग मिटते हैं।
  • यदि पैर में कांटा चुभ जाए तो वहां हींग का घोल लगा देने से वह बाहर निकल आएगा।
  • यदि बच्चों या बड़ों के पेट में कीड़े हैं तो टमाटर के रस को हींग से बघार कर पीने से लाभ होता है।

जीरा

जीरा ठंडा, सुगंधित तथा पाचक पदार्थ है। यह पेट में मौजूद एंजाइमों को उत्तेजित करता है, जिससे भोजन के पाचन में आसानी होती है। खाने में अरुचि, पेट फूलना, अपच, दस्त, पेट में कीड़े, रक्तार्श, मुख सौंदर्य, खुजली, पित्ती, प्रदर, मुंह की बदबू आदि व्याधियों में तमाम प्रकार से इस्तेमाल करने से फायदा करता है।

  • स्याह जीरा को पांच ग्राम कुछ दिनों तक नित्य लेने से मुख की दुर्गंध थोड़े दिनों में ही समाप्त हो जाती है।
  • जीरा ठंडे पानी में पीसकर उसकी लुगदी गुदा पर रखने से बवासीर (अर्श ) में आराम मिलता है। करीब 10 दिन तक नियमित ऐसा करने से रक्त गिरना बंद हो जाता है।
  • जीरा और अजवायन पीसकर उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर खाने के बाद खाना खाने से पाचन दुरुस्त रहता है।
  • खीरे के रस में जीरे का चूर्ण मिलाकर रोज पीने से अम्लपित्त के रोगियों को काफी लाभ होता है।
  • सर्दी-जुकाम से बचाव के लिए जीरे के बीज के पाउडर में गुड़ मिला लें। गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम खाने से सर्दी असर नहीं करती है।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाएं दूध के साथ जीरे के पाउडर व गुड़ को दो बार पिएं। इससे उनके स्तनों में दूध की मात्रा में वृद्धि होगी।

मेथी

यह वायु, वातरोग, गठिया, अर्श, भूख न लगना, जल जाने, कब्ज, मधुमेह, मंदाग्नि, पेचिस, मुख दुर्गंध, बहुमूत्रता, उदर विकार के लिए लाभकारी है।

  • प्रतिदिन निराहार मुख एक चम्मच मेथी दाने के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से कब्ज तथा घुटने की पीड़ा में राहत मिलती है। बुढ़ापे के कारण होने वाले घुटनों के दर्द में यह विश्ेाष उपयोगी है। दर्द के अलावा यह स्नायु रोग, बहुमूत्र, सूखा रोग व खून आदि की कमी में बहुत उपयोगी है।
  • मेथी के दानों को रात में भिगो दीजिए। सुबह उसी पानी से कुल्ला कर लें। इससे आपके दांत साफ रहेंगे और मुंह की दुर्गंध भी दूर होगी।
  • थोड़े दूध में मेथी को भिगोकर दो घंटे बाद उबटन बनाकर चेहरे पर हर रोज लगाने से चेहरे के दाग, धब्बे दूर होते हैं और चेहरे का रंग भी साफ हो जाता है।
  • मधुमेह नियंत्रित करने के लिए भोजन में मेथी का पाउडर और जीरा नियमित रूप से प्रयोग करें, लाभ होगा। रायते में मेथी को बघार देकर खाया जा सकता है।
  • गैस होने पर मेथी का साग बनाकर खाने से गैस की शिकायत दूर हो जाती है।

धनिया

धनिया का प्रयोग नेत्र विकार, जलन, कास, दमा, उल्टी, उदर रोग, गला विकार, हृदय की धड़कन, मलेरिया, चक्कर आना, वात व्याधि में खासतौर से किया जाता है।

  • 25 ग्राम धनिया, 25 ग्राम जीरा घी में पकाकर खाने से कफ, पित्त और मंदाग्नि रोग दूर होते हैं। 
  • धनिया तथा आंवला दोनों 9-9 ग्राम लेकर थोड़े से पानी में भिगोकर रात को रख दें। सुबह उस पानी में मिश्री मिलाए, फिर उसे छानकर पिएं। तीन-चार दिनों तक ऐसा करने से चक्कर आने की बीमारी दूर हो जाती है।
  • हाथ-पांव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूटकर मिश्री मिलाकर खाने के बाद पांच ग्राम लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।
  • चंदन और धनिया में दो गुना मिश्री मिलाकर जल में पीसकर सेवन करने से गर्भवती महिलाओं का ज्वर नष्ट होता है।
  • मुंह के छाले होने पर पिसी धनिया को छालों पर मलने से राहत मिलती है। 

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