Tadka Recipe
Tadka Recipe

तड़का लगाना केवल किसी व्यंजन को स्वादिष्ट ही नहीं बनाता बल्कि उसमें कई औषधीय गुणों
को भी समाहित करता है। तड़के में यूज़ होने वाले मसाले एक तरह से आयुर्वेदिक हर्ब्स हैं जो
एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

तड़का, छौंका या बघार जो चाहे कह लें, इसके बिना कोई भी व्यंजन सम्पूर्ण नहीं माना जाता है। किसी भी व्यंजन में तड़का लगाने के लिए खड़े मसाले या उनको पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मसालों को तड़के के तौर पर प्राचीन काल से प्रयोग में लाया जा रहा है। तड़का लगाना केवल किसी व्यंजन को स्वाद ही नहीं बनाता बल्कि उसमें कई औषधीय गुणों को भी समाहित करता है। तड़के में यूज़ होने वाले मसाले एक तरह से आयुर्वेदिक हर्ब्स हैं जो एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

किसी भी व्यंजन में अलग तरह से लगाया तड़का उसको खाने से होने वाले शारीरिक विकास को बैलेंस कर देता है, जिससे आप भोजन को मज़ा लेने के साथ स्वस्थ भी रहते हैं। किसी भी क्षेत्र के अनुसार अलग- अलग भोजन में अलग तरह के तड़के लगाए जाते हैं। हमारे देश को सोने की चिड़िया कहे जाने से तात्पर्य केवल यहां की धन-सम्पदा ही नहीं बल्कि तड़के में यूज़ होने वाले ढेरों मसाले भी थे, जिनकी खुशबू हजारों किलोमीटर दूर विदेशों में भी महकती थी।

तभी तो कुछ मसाले सोने से भी महंगे होते थे। एक ही रेसिपी को अलग प्रान्त में अलग मसालों का छौंक लगा कर उसे एक नया नाम और अलग स्वाद दे दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर देखें तो पंजाबी पकौड़ा कढ़ी राजस्थानी और गुजराती कढ़ी से बिलकुल अलग होती है। कढ़ी की पूरी सामग्री एक जैसी होती है परन्तु उसमें लगने वाला तड़का उसका स्वाद ही बदल देता है।

विभिन्न प्रकार के तड़के

तड़के के लिए भारतीय मसालों की एक विस्तृत शृंखला है। जीरा, मेथीदाना, अजवायन, धनिया दाना, छोटी एवं बड़ी इलायची, दालचीनी, लौंग, राई, सौंफ, जावित्री, जायफल, हींग, स्टार फूल, तेजपत्ता, हल्दी, साबुत लाल मिर्च, कलौंजी, सरसों दाना आदि, न जाने और भी कितनी चीज़ों का तड़का लगाने में इस्तेमाल होता है।

रायता तड़का

किसी भी तरह से दहीं से तैयार रायते जैसे कि लौकी रायता, बूंदी रायता या वेज रायता हो तो उसमें किसी भी घी या तेल में हींग, राई, जीरा और करीपत्ते का बघार लगाना रायते में एरोमा और स्वाद भर देता है। अगर मिट्टी की कटोरी में कोयला रख कर रायते का स्मोकी फ्लेवर दिया जाये तो स्वाद के क्या कहने

शाही तड़का

किसी भी ग्रेवी वाली सब्जी के लिए या कोफ्ता करी के लिए शाही तड़का लगाया जाता है। ऑयल में शाही जीरा, धनिया दाना, पिसी सौंफ, देगी मिर्च, अमचूर पाउडर, छोटी इलायची और गरम मसाला के अतिरिक्त ह्रश्वयाज, टमाटर, अदरक व लहसुन का इस्तेमाल भी होता है।

गरम मसाले से भाव है कि जीरा, साबुत धनिया, साबुत काली मिर्च, मोटी इलायची, दालचीनी और छोटी इलायची को मध्यम आंच पर हल्का सेंक कर बारी$क पीस लिया जाता है और इस मसाले को हर व्यंजन में डाला जाता है।

विभिन्न दालों में लगने वाले विभिन्न तड़के त$करीबन सभी दालों में तड़के में ह्रश्वयाज़, अदरक, लहुसन, टमाटर और हरी धनिया तो जरूरी होते ही हैं लेकिन मसाले बदल जाते हैं।

मसूर की दाल हो या छिलके वाली मूंग दाल, उस में जीरा, हींग, देगी मिर्च, लौंग और साबुत लाल मिर्च का तड़का लगाया जाता है।

मारवाड़ी दाल में शुद्ध घी में मेथीदाना, हींग, जीरा और अमचूर को बघार दिया जाता है।

सांबर दाल यानि अरहर दाल जोकि कई सब्जियों को मिलाकर बनाई जाती है एक साउथ इंडियन व्यंजन है और उसमें लगाया जाने वाला बघार ही सांबर को विशेष बनाता है। सांबर को दक्षिण में डोसा, इडली या बडा के साथ खाया जाता है। साबुत सूखी लाल मिर्च, करीपत्ता, राई और इमली के गूदे के साथ सांबर मसाले को तड़का जाता है। सांबर मसाला बनाने के लिए पांच साबुत लाल मिर्च, आधा टीस्पून चना दाल, जीरा, मेथी दाना, कालीमिर्च और साबुत धनिया को तीन-चार मिनट तक
सूखा भून लें और ठंडा होने पर मिक्सी में पीस लें।

पंजाबी दाल मखनी जोकि साबुत काली उड़द दाल और राजमा को मिला कर बनाई जाती है, उसमें जीरा, हींग, दरदरा कुटा धनिया, दालचीनी, लौंग, इलायची और काली मिर्च का तड़का लगाया जाता है। इस दाल में तड़का शुद्ध घी और बटर में लगता है। ह्रश्वयाज़, टमाटर, अदरक और लहुसन तो जरूरी है ही।

पंचफोरन तड़का

यह मुख्य रूप से असम, बंगाल, महाराष्ट्र और पूर्वी भारत के क्षेत्र में चिकन करी, मछली, दाल, शुक्तो और अन्य सब्जियों में लगता है। इस तड़के में मेथीदाना, राई, सौंफ, जीरा व कलौंजी यह पांच मसाले होते हैं, जिनको बिना पीसे ही साबुत प्रयोग में लाया जाता है। यह तड़का आमतौर पर सरसों के तेल में ही तैयार होता है

नवरतन तड़का

इस तड़के का प्रयोग दलिया, राजमा, आलू सब्जी और दाल में किया जाता है। इसको लगाते समय ड्राई लाल मिर्च, चकरी फूल, उड़द दाल, साबुत धनिया, करीपत्ता, मटन मसाला और कच्चे नारियल को इस्तेमाल किया जाता है।

चटपटा अचारी तड़का

दही वाले आलू, पापड़ कढ़ी, खिचड़ी, स्प्राउट्स, रायते आदि में यह तड़का लगाया जाता है। इसमें कलौंजी, मेथीदाना, सौंफ, अजवायन, राई, हींग, लाल मिर्च और कसूरी मेथी शामिल की जाती है।

कसूरी मसाला तड़का

तवा पनीर, स्टफ्ड वेजिटेबल्स और सूखी सब्जियों में यह तड़का लगाया जाता है। तड़के की बाकी सामग्री के साथ इसमें अजवायन, कसूरी मेथी, लौंग और बड़ी इलायची का डाला जाता है।

बिरयानी मसाला तड़का

बात चाहे वेज बिरयानी की हो या नॉनवेज बिरयानी की, यदि उसमें किसी भी मसाले की कमी रह जाये तो स्वाद अधूरा रह जाता है। तेजपत्ता, जायफल, जावित्री, स्टार फूल, दालचीनी, मोटी इलायची, हरी इलायची, लौंग और काली मिर्च इस तड़के की प्रमुख सामग्री है। इन सबके अतिरिक्त बेसन की कढ़ी में साबुत धनिया, मेथीदाना और करीपत्ते का तड़का लगाया जाता है। इसी प्रकार मूंगफली, नारियल या ह्रश्वयाज की चटनी में राई और करीपत्ते का तड़का लगाया जाता है।

अरबी की सब्जी में अजवायन का तड़का जरूरी होता है। मसालों का विभिन्न सब्जियों में तड़के के रूप में यूज़ हमारी शारीरिक क्षमता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मसाले हमारे पाचन तंत्र और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। इनके नियमित यूज़ से वजन नियंत्रण और हर तरह की दर्दों से छुटकारा मिलता है। पेट से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और भूख भी बढ़ती है। अत: इनको तड़के के रूप में जरूर इस्तेमाल करें।

तड़के के फायदे

किसी भी व्यंजन में तड़का घी या तेल में लगाया जाता है, जो हमारे शरीर को वसा प्रदान करते हैं। तड़का लगाए व्यंजनों में कुछ ऐसे विटामिन होते हैं जो वसा में घुलनशील होते हैं और इसलिए इंसान का शरीर आसानी से इन विटामिनों को अवशोषित कर लेता है।

ध्यान रखने वाली बातें

तड़के के लिए पर्याप्त मात्रा में ही घी या तेल लें। पहले हमेशा जीरा ही डालें। अगर हींग यूज़ करनी है तो उसको हमेशा जीरे के साथ यानि दोनों एक साथ डालें। तेजपत्ता, लौंग व कालीमिर्च पहले भूनें, फिर बाकी सामग्री डालें।

मसाला हमेशा मध्यम आंच पर हिलाते हुए भूनें वरना जरा सा भी जल जाने पर यह सब्जी
का स्वाद बेकार कर देगा। द्य तड़के में मसालों का अनुपात सही रखें नहीं तो स्वाद का बैलेंस बिगड़ जायेगा।

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