Different Types of Flour
Different Types of Flour

Different Types of Flour: हमारे देश में सदियों से अनाज यानी रोटी आहार का मुख्य हिस्सा है जो आमतौर पर गेहूं के आटे की बनी होती है। लेकिन हमारे देश में गेहूं के आटे के साथ-साथ मिलेट्स अनाज यानी जवार, बाजरा, रागी, मकई या फिर मल्टी ग्रेन आटे की रोटी भी खाई जाती है। खासकर गांवों में इनका प्रचलन काफी रहा है। आजकल शहरों में भी लोग इसका सेवन करने से पीछे नहीं हैं। आयुर्वेद में तो रोटी के लिए विभिन्न तरह के आटा के गुण-धर्म के संबंध में विस्तार से वर्णन किया गया है जो मौसमानुसार और व्यक्ति की प्रकृति के हिसाब से विभिन्न तरह के आटे को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। गेहूं की अपेक्षा मिलेट्स अनाज पचने में हल्के होते हैं। जिन लोगों की डायजेस्टिव सिस्टम कमजोर होने की वजह से गेहूं की रोटी पचने में दिक्कत रहती है ब्लोटिंग, ग्लूटेन इंटोलरेंस जैसी समस्याएं रहती हैं, उनके लिए मिलेट्स बेहतर विकल्प हैं। इसके अलावा मोटापा, कोलेस्टाॅल लेवल का बढ़ा होना, आर्टरीज में ब्लाॅकेज के कारण किसी तरह का हृदय रोग, डायबिटीज या फैटी लिवर की समस्या है- उनके लिए मिलेट्स अच्छा विकल्प है।

होलग्रेन गेंहू का आटा

यह आटा ड्यूरम गेहूं से निकाला जाता है जिसे संसाधित और परिष्कृत किया जाता है क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में ग्लूटेन होता है। इसके अलावा आटे में चोकर की मात्रा अधिक होती है। इसमें पूरा फाइबर होता है जिससे यह गट हेल्थ के लिए बहुत अच्छी होती है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है । बच्चों के विकास के लिए बहुत फायदेमंद है। गेेहूं के आटे से बनी रोटी शरीर और मसल्स की कमजोरी दूर कर मजबूत बनाती है। एनीमिया या खून की कमी को पूरा करती है। बीमारियों से लड़ने की क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाती है। हल्का घी लगी ताजी रोटी खाने से पेट के साथ-साथ पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखता है। कब्ज, गैस जैसी पेट की बीमारियों से बचाती है।

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Wholegrain Wheat Flour

जौ का आटा-पौषक तत्वो से भरपूर जौ के आटे की रोटी स्किन को मुलायम और कांतिमय बनाती है। झड़ते बालों की समस्या को दूर करने में सहायक है। बैड कोलेस्ट्राॅल लेवल को कम कर गुड कोलेस्ट्राॅल बढ़ाने मे सहायक है। पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है जिससे बीमारियां कम होने की संभावना रहती है। जौ, चना और गेहूं मिलाकर मल्टीग्रेन आटे का सेवन सभी उम्र के लोगों के लिए स्वास्थ्यप्रद है।

जवार

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Sorghum

पचने में आसान और शरीर में रूक्षता बढ़ाता है जिससे कफ और पित्त से ग्रसित लोग इसका सेवन कर सकते हैं। प्रकृति शीत होने के कारण जवार के आटे का सेवन ग्रीष्म ऋतु में करना श्रेष्ठ है। जिनकी स्किन ड्राई है या शरीर में रूखापन है- उन्हें जवार का सेवन बहुत ध्यान से करना चाहिए। कब्ज के शिकार लोगों को भी कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। उन्हें जवार आटे से बनी रोटी सप्ताह में 1-2 बार गाय के घी के साथ लेनी चाहिए। जबकि मोटापे या डायबिटीज के शिकार व्यक्ति को जवार की रोटी को छाछ के साथ लेना फायदेमंद है। ग्लूटन-फ्री होने के कारण ग्लूटन-इंटोलरेंस वाले लोगों के लिए बेहतर विकल्प है।

बाजरा

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Millet is a hot flour

बाजरा गर्म तासीर वाला आटा है जिसकी वजह से शरीर मे गर्मी को बढ़ाता है और डायजेशन सिस्टम को दुरूस्त रखता है। गेहूं की तुलना में पचने में आसान और ज्यादा एनर्जी प्रदान करता है। सर्दी, बारिश के मौसम में खाना बेहतर हैै। बाजरे की रोटी घी-गुड़ या सरसों, बथुए के साथ खाई जाती है। इसमें हर तरह के पौषक तत्व मिलते हैं जो शारीरिक विकास में सहायक होते हैं। बाजरे के आटे को भून कर लड्डू भी बनाए जाते हैं जो स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दुग्ध उत्पादन में मदद करता है। खून की कमी या कमजोरी महसूस करने वाले लोगों के लिए फायदा है। वजन कम करने में भी सहायक है। शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाती है और विभिन्न बीमारियों से बचाव करती है। जोड़ों के दर्द, डायबिटीज जैसे रोगों में लाभदायक है। हार्ट को फिट रखने में मदद करती है।

रागी

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Raagi

यह न बहुत ज्यादा गर्म प्रकृति की होती है, न बहुत ज्यादा ठंडी प्रकृति की। रागी पचने में आसान होती है। स्निग्ध गुणों से परिपूर्ण रागी का आटे का सेवन हर मौसम में किया जा सकता है। इसका उपयोग ज्यादातर रोटी, चीला, कुकीज, बिस्कुट बनाने में किया जाता है। आयरन-कैल्शियम से भरपूर रागी का आटा हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है- एनिमिया दूर करता है, शरीर की स्ट्रैन्थ बढ़ाता है, ऑस्टियोपोसिस जैसी हड्डियों के रोग दूर कर उन्हें मजबूत करता है। रागी का आटा आप रोटी, लड्डू, रागी के सत्व को पेय के रूप् में लिया जा सकता है। ब्लड शूगर लेवल, कोलेस्ट्राॅल को कंट्रोल करने में मदद करती है। पाचन तंत्र को सुचारू रूप् से चलाने में मदद करती है।

चने का आटा यानी बेसन

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It is helpful in increasing immunity and increasing energy

मिस्सी रोटी, बेसन के चीले के रूप में ज्यादा खाई जाती है। मिठाई से लेकर करी तक बेसन के घोल में डूबा हुआ पकोड़ा यह जादुई आटा पकौड़ेए रोटियां और पराठे बनाने के लिए एकदम सही है। आमतौर पर चने के आटा कम प्रचलन में है लेकिन सेहतमंद है। इम्यूनिटी बढ़ाने और एनर्जी बढ़ाने में सहायक है। बेसन अक्सर त्वचा और बालों को पोषण प्रदान करता है। जो लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं, थकान जल्दी हो जाती है,कमजोरी रहती है- उनके लिए चने के आटे की रोटी का सेवन बहुत फायदेमंद है। जिन लोगों को गेहूं या ग्लूटोन पचाने में समस्या रहती है, उनके लिए चने का आटा फायदेमंद है। वजन कम करने के लिए चने का आटे का सेवन करने के लिए आहार विशेषज्ञ भी सिफारिश करते हैं।

मल्टीग्रेन आटा

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Multigrain flour

इसके लिए गेहूं, चना का एक-एक हिस्सा और सोयाबीन, बाजरा, जोै को आधी-आधी मात्रा में मिलाकर आटा तैयार किया जाता है। इस आटे की रोटी के सेवन से इम्यूनिटी मजबूत होती है और कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। शरीर को ताकत मिलती है। डायबिटीज और कोलेस्ट्राॅल को नियंत्रित करता है।

मकई का आटा

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Maize bread gives strength to the body

मक्का की रोटी शरीर को ताकत देेने वाली होती है। मकई के आटे में मौजूद पौषक तत्व और अघुलनशील फाइबर दुबले-पतले लोगों को वजन बढ़ाने में सहायक होता है। शरीर के विभिन्न अंग-प्रत्यंगो (रक्त, मांसपेशियों, हड्डियों, बोन मैरो) को पोषित करता है। कमजोर नजर वालों के लिए मकई की रोटी फायदेमंद है। एनीमिया को दूर करने में मदद करती है। फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण पचाने में आसानी होती है जिसकी वजह से मकई का आटा पाचन तंत्र और शरीर के सिस्टम को सुचारू रूप् से चलाने में मदद करता है।

चावल का आटा

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Rice Flour

इस आटे का उपयोग आमतौर पर कई व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर चावल का आटा ग्लूटेन फ्री होता है। ग्लूटेन इनटॉलेरेंस वाले लोगों के लिए चावल का आटा आटे का एक बढ़िया विकल्प है। आसानी से पचने वाले आटे में से एक होने के कारण यह शिशु आहार और अनाज में सबसे आवश्यक सामग्री में से एक है। वजन घटाने, रक्त शर्करा के स्तर और पाचन को नियंत्रित करने और यकृत समारोह में सुधार करने में मदद करने के लिए जाने जाते हैं।

मैदा

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Refined wheat flour is used in making roti, kulcha, naan, cake to white bread, pasta

दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले और पसंद किए जाने वाले आटे में से एक है। गेहूं को रिफाइंट करके बने मैदा रोटी, कुल्चे, नान, केक से लेकर व्हाइट ब्रेडए पास्ता बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। रिफाइंड होने की वजह से इसमें ग्लूटेन उच्च मात्रा में होता है। हालांकि मैदा को स्वस्थ नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें ग्लूटेन की उच्च मात्रा होती हैए जो आंतों की दीवारों से चिपक जाती है और पाचन के लिए मुश्किल हो जाती है। लेकिन इससे बने व्यंजनों का स्वाद छोटे-बड़े सभी को भाता है।

(डाॅ चेतना बंसल, न्यूट्रिशनिस्ट, अपोलो मेडिक्स अस्पताल, लखनऊ ,से बातचीत के आधार पर )

 

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